[ad_1]
भिवानी की रुद्रा कॉलोनी स्थित तोशाम रोड के बीच में बैठे लावारिस पशु।
भिवानी। लावारिस पशुओं की समस्या जिले में बड़ा मुद्दा बन चुकी है। करीब साढ़े पांच हजार लावारिस पशु तो शहर व आसपास के गांवों में घूम रहे हैं। जो सांझ ढलते ही मुख्य रास्तों और सड़कों पर अपना बसेरा बना रहे हैं। ऐसे में हादसों का अंदेशा भी बना रहता है।
हर साल लावारिस पशुओं की वजह से हुए सड़क हादसों में भी लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। गो सेवा आयोग की ग्रांट से भी लावारिस पशुओं की भूख नहीं मिट रही है, क्योंकि घोषणा के बावजूद भी गोशालाओं को ग्रांट का इंतजार बना है। लोगों का कहना है कि लावारिस पशु शहरी दायरे में सड़क हादसों की वजह बने हैं तो गांवों में ये किसानों की फसल चौपट कर रहे हैं।
लावारिस पशुओं की समस्या से पांच साल तक लोगों को छुटकारा नहीं मिला है। हालांकि जनप्रतिनिधियों के समक्ष भी लोगों की ये मांग पहुंची, आश्वासन भी मिले। लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ। गो सेवा आयोग की तरफ से लावारिस पशुओं को पकड़कर नंदीशाला या गोशाला में भेजने पर पिंक टैग लगाने और इनकी खुराक के लिए अलग से बजट देने की व्यवस्था भी कराई गई, लेकिन इसके बावजूद भी लावारिस पशु सड़कों से कम नहीं हुए। फिलहाल गोशाला और नंदीशाला में कोई भी लावारिस पशु नहीं लिया जा रहा है।
इसकी वजह से रोजाना ही लावारिस पशुओं की तादाद भी बढ़ रही है। इस समय ये लावारिस पशु सांझ ढलते ही हाईवे, नेशनल हाईवे के मुख्य रास्तों पर बीचोबीच जमा हो जाते हैं, जिससे रफ्तार में दौड़ रहे वाहनों से टकराकर हादसा ग्रस्त होने की संभावनाएं भी बनी रहती हैं। सड़कों पर वाहनों की वजह से रोजाना 15 से 20 लावारिस पशु भी चोटिल हो रहे हैं।
लावारिस पशुओं की बड़ी समस्या है। लावारिस पशुओं के बीच होने वाले आपसी झगड़ों में लोगों को भी काफी नुकसान झेलना पड़ता है। कई बार ये लावारिस पशु आपस में झगड़ते हुए मकानों, दुकानों में भी घुस जाते हैं और आसपास कोई मौजूद है तो उसे भी जख्मी कर देते हैं। इनका प्रबंध होना जरूरी है। गोशालाओं और नंदीशालाओं में इन्हें छोड़ने की व्यवस्था तत्काल होनी चाहिए। -सुरेश अरोड़ा, पूर्व पार्षद।
लावारिस पशुओं की वजह से किसानों की फसल में नुकसान और शहरी दायरे में हादसों का अंदेशा बना रहता है। इनमें से अधिकांश लोग तो अपने पशुओं को खुला छोड़ देते हैं, ऐसे लोगों पर भी प्रशासन द्वारा जुर्माना की व्यवस्था करनी चाहिए और भविष्य में ऐसा न करें इसके लिए भी कार्रवाई होनी चाहिए। जबकि नंदीशाला और गोशालाओं में इन पशुओं को बिना किसी शर्त के लेना चाहिए। – जगदीश गिरधर।
लावारिस पशु ऐसी बड़ी समस्या बन चुकी है, जिसका समाधान आम लोगों के साथ मिलकर सरकार को तत्काल प्रभाव से कराना होगा। ये लावारिस पशु सड़क पर रात के समय वाहन चालकों के लिए जान लेवा साबित होते हैं। जबकि अब सर्दी में धुंध होने पर तो और अधिक खतरा बढ़ जाता है। इन पर कोई रिफ्लेक्टर तक नहीं होता। तेजी से आ रहे वाहन चालक को जब तक इनके होने का आभास होता है तब तक हादसा हो चुका होता है। -संजय मक्कड़।
गोशाला और नंदीशाला को गो सेवा आयोग बजट देता है, लेकिन इसके बावजूद भी इनके अंदर चुनिंदा लावारिस पशु की पहुंच पाते हैं, ज्यादातर लावारिस पशु तो सड़कों पर ही विचरण करते रहते हैं। श्राद्ध के दिनों में लावारिस पशुओं को लोग तला हुआ भोजन भी खिला देते हैं, जिसकी वजह से भी इनकी मौत हो जाती है। लावारिस पशुओं की नंदीशाला और गोशाला में बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए। -लेखराज मुंजाल।
[ad_2]
Bhiwani News: लावारिस पशुओं से न निजात मिली, न खुराक का प्रबंध