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पूर्णिया जिले की सातों विधानसभा सीटों पर इस बार जबरदस्त मुकाबला देखने को मिल रहा है. एबीपी बिहार एक्सपर्ट एग्जिट पोल 2025 के मुताबिक, एनडीए और महागठबंधन के बीच इस बार बराबरी की टक्कर बनती दिख रही है. कुल 7 सीटों में से एनडीए को 3, महागठबंधन को 3 और एक सीट पर कांटे की लड़ाई बताई जा रही है. बीजेपी 2, जेडीयू 1, आरजेडी 2 और कांग्रेस 1 सीट पर मजबूत दिख रही है.
आइए जानते हैं, सीट दर सीट क्या है समीकरण और किसका पलड़ा भारी है.
धमदाहा में लेसी सिंह की बढ़त बरकरार
धमदाहा विधानसभा से एनडीए की जेडीयू प्रत्याशी और मंत्री लेसी सिंह आगे चल रही हैं. लेसी सिंह ने एक बार फिर अपनी मजबूत पकड़ साबित की है. राजपूत जाति से आने वाली लेसी सिंह का क्षेत्र में हर समुदाय पर प्रभाव है. चाहे वह कुशवाहा, कोयरी, पिछड़ा-अतिपिछड़ा या मुस्लिम वोटर हों.
सीएम नीतीश कुमार की करीबी मानी जाने वाली लेसी सिंह ने पूर्णिया एयरपोर्ट, सड़क, बिजली, पानी जैसे विकास कार्यों से लोगों का भरोसा जीता है. हालांकि, पांच बार की विधायक होने के कारण कुछ हद तक एंटीइंकम्बेंसी भी देखने को मिल रही है.
पूर्णिया की 7 सीटों का पार्टीवार बंटवारा –
– बीजेपी: 2 सीटें
– जदयू: 1 सीट
– राजद: 2 सीटें
– कांग्रेस: 1 सीट
– कड़ा मुकाबला: 1 सीट
दूसरे नंबर पर जेडीयू छोड़कर आरजेडी में आए संतोष कुशवाहा हैं. लव-कुश समीकरण (40%) के कारण उन्हें भी बड़ा फायदा मिल रहा है. तेजस्वी यादव की जनसभाओं का असर यहां दिख रहा है.
रुपौली में बीमा भारती बनाम शंकर सिंह की रोमांचक जंग
रुपौली में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला है. आरजेडी की बीमा भारती आगे चल रही हैं, जबकि निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह दूसरे नंबर पर हैं. बीमा भारती गंगोता समाज से आती हैं, जिनकी आबादी यहां करीब 35% है. मुस्लिम और यादव वोटर भी उनके साथ खड़े हैं.
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बीमा भारती ने इस बार चुनाव से पहले खूब मेहनत की, लोगों से लगातार मुलाकातें कीं और पुराने गिले-शिकवे मिटाने की कोशिश की. निर्दलीय शंकर सिंह पिछली बार की तरह इस बार भी कड़ा मुकाबला दे रहे हैं, मगर मुस्लिम वोटरों का बड़ा तबका अब महागठबंधन के साथ चला गया है. जेडीयू प्रत्याशी कलाधर मंडल इस बार समीकरण में कमजोर माने जा रहे हैं.
पूर्णिया सदर से बीजेपी कैंडिडेट मजबूत स्थिति में
पूर्णिया सदर सीट से बीजेपी विधायक विजय खेमका लगातार तीसरी बार जीत की ओर बढ़ रहे हैं. खेमका की पहचान साफ-सुथरी छवि वाले नेता के रूप में है. वैश्य और स्वर्ण वोटरों पर उनकी गहरी पकड़ है. PM मोदी-नीतीश के विकास कार्य, एयरपोर्ट, वंदे भारत ट्रेन और DBT योजनाओं का असर यहां साफ दिख रहा है.
हालांकि, महागठबंधन प्रत्याशी जितेंद्र यादव भी मुकाबले में बने हुए हैं. यादव-मुस्लिम समीकरण के साथ नगर निगम के कामकाज और उनकी पत्नी (मेयर) की लोकप्रियता उन्हें मजबूती दे रही है. यहां एंटीइंकम्बेंसी का हल्का असर है, लेकिन मोदी-नीतीश के चेहरे ने खेमका की स्थिति संभाल ली है.
कसबा में एनडीए के नीतीश सिंह को मिल सकती है जीत
कसबा विधानसभा में इस बार नया चेहरा एनडीए प्रत्याशी नितेश कुमार सिंह आगे चल रहे हैं. यहां कांग्रेस प्रत्याशी इरफान आलम दूसरे स्थान पर हैं, जबकि पूर्व विधायक अफाक आलम और निर्दलीय प्रदीप दास ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है.
कसबा में मुस्लिम वोटरों की आबादी 40% है, लेकिन इस बार चार मुस्लिम प्रत्याशियों की मौजूदगी से वोट बिखराव तय है. वैश्य और कुशवाहा समाज के वोटर एनडीए के पक्ष में एकजुट दिख रहे हैं. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि नितेश सिंह ने चुनाव के आखिरी दिनों में अपने खेमे के वोटरों को पूरी तरह गोलबंद कर लिया है.
बनमनखी से बीजेपी के कृष्ण कुमार ऋषि फिर आगे
बनमनखी सीट पर एक बार फिर भाजपा विधायक कृष्ण कुमार ऋषि मजबूत स्थिति में हैं. यह सीट SC आरक्षित है और ऋषि एससी समाज से आते हैं. चार बार के विधायक और दो बार मंत्री रह चुके हैं. विकास योजनाओं, रेलवे स्टेशन जीर्णोद्धार और मोदी-नीतीश की नीतियों का उन्हें फायदा मिल रहा है.
कांग्रेस प्रत्याशी देव नारायण रजक दूसरे नंबर पर हैं. इलाके में एंटीइंकम्बेंसी जरूर है, लेकिन जातीय समीकरण बीजेपी के पक्ष में झुका हुआ है.
बायसी में राजद के हाजी अब्दुस सुबहान की वापसी
बायसी में आरजेडी प्रत्याशी और पूर्व मंत्री हाजी अब्दुस सुबहान आगे चल रहे हैं. मुस्लिम बहुल क्षेत्र में उनका असर बरकरार है. AIMIM प्रत्याशी गुलाम सरवर दूसरे स्थान पर हैं. यहां मुस्लिम वोटरों में सुरजापुरी समुदाय की बहुलता (70%) है, जिससे हाजी सुबहान को भारी बढ़त मिली है.
तेजस्वी यादव की सभा और राजद के पुराने वोट बैंक ने सुबहान की स्थिति मजबूत कर दी है. गुलाम सरवर की साफ-सुथरी छवि और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के भाषणों का असर जरूर है, लेकिन वोटों के बिखराव से उनकी स्थिति दूसरी पायदान तक सीमित है.
अमौर में कांग्रेस के जलील मस्तान की मजबूत वापसी
अमौर में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अब्दुल जलील मस्तान आगे चल रहे हैं. यह सीट मुस्लिम बहुल है (70%), जिसमें सुरजापुरी समुदाय का वर्चस्व है. जलील मस्तान खुद इसी समाज से हैं और उनका स्थानीय स्तर पर गहरा प्रभाव है. वहीं, जेडीयू प्रत्याशी सबा जफर दूसरे नंबर पर हैं.
सबा जफर कुल्हैया बिरादरी से हैं और उनका राजनीतिक अनुभव भी लंबा है, लेकिन इस बार सुरजापुरी वोट बैंक पूरी तरह मस्तान के साथ दिखाई दे रहा है. कांग्रेस प्रत्याशी की ईमानदार छवि और इलाके के विकास में सक्रिय भूमिका ने उन्हें बढ़त दिलाई है.
एग्जिट पोल के मुताबिक पूर्णिया की सियासत इस बार जातीय और विकास के मिश्रित समीकरण पर टिकी है. धमदाहा और बनमनखी एनडीए के कब्जे में दिख रही हैं, वहीं रुपौली और बायसी में आरजेडी की स्थिति मजबूत है. अमौर में कांग्रेस, कसबा में एनडीए और पूर्णिया सदर में बीजेपी ने बाजी मारी है.
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