Rajasthan HC Decision’s Against a Wife: राजस्थान हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में राज्य सरकार को आदेश दिया है कि एक महिला के वेतन से हर महीने 20,000 रुपये की कटौती की जाए और यह राशि उसके ससुर के खाते में जमा कराई जाए. यह मामला राजस्थान का है, जहां एक महिला को पति की मृत्यु के बाद अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिली थी. पति की मौत के बाद उसे करीब 70% प्रोविडेंट फंड और मुआवजा राशि भी दी गई थी. लेकिन, सिर्फ 18 दिन बाद ही वह ससुराल का घर छोड़कर दूसरी शादी कर ली.
ससुर ने उठाया कानूनी कदम
महिला के ससुर ने अदालत में याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि उनका बेटा स्वर्गीय राजेश कुमार, जो अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में टेक्निकल असिस्टेंट था, 15 सितंबर 2015 को सेवा के दौरान निधन हो गया था.
राजेश की मौत के बाद विभाग ने अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए परिवार से आवेदन मांगा. इस प्रक्रिया के दौरान ससुर भगवान को यह अवसर दिया गया था, लेकिन उन्होंने अपनी बहू के पक्ष में यह अवसर छोड़ दिया, ताकि वह अपने परिवार का सहारा बन सके. नौकरी मिलने के 18 दिन के भीतर ही महिला ने घर छोड़ दिया और दूसरी शादी कर ली. इसके बाद ससुर ने अदालत का दरवाजा खटखटाया.
अदालत में क्या हुआ?
महिला का कहना था कि उसने शुरुआत में ससुर की मदद की थी, लेकिन उसे परेशान किया गया, जिसके कारण उसने घर छोड़ दिया और दूसरी शादी करनी पड़ी. हालांकि, अदालत ने रिकॉर्ड्स की जांच के बाद पाया कि ससुर और सास दोनों आर्थिक रूप से बेटे की कमाई पर निर्भर थे और बेटे की असमय मृत्यु के बाद वे पूरी तरह असहाय हो गए.
राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि अनुकंपा नियुक्ति परिवार की आर्थिक सहायता के लिए दी गई थी, इसलिए यह उचित नहीं है कि नौकरी मिलने के बाद महिला अपने दिवंगत पति के माता-पिता को पूरी तरह नजरअंदाज कर दे.
अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि महिला के वेतन से 20,000 रुपये प्रति माह की कटौती की जाए और यह राशि ससुर भगवान के खाते में जमा की जाए. यह फैसला न केवल अनुकंपा नियुक्तियों के नैतिक उद्देश्य को रेखांकित करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कानून पारिवारिक जिम्मेदारी से मुंह मोड़ने की अनुमति नहीं देता.
Source: https://www.abplive.com/business/rajasthan-high-court-orders-twenty-thousand-rupees-monthly-support-for-father-in-law-know-what-happens-3042519


