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मौत होने की टॉप-10 वजहों में से एक हैं किडनी की बीमारियां, इन्हें वक्त पर कैसे पहचानें? Health Updates

मौत होने की टॉप-10 वजहों में से एक हैं किडनी की बीमारियां, इन्हें वक्त पर कैसे पहचानें? Health Updates

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Kidney Disease: दुनिया भर में क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) एक बड़ी स्वास्थ्य चिंता बन चुकी है. लैंसेट की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, बीते तीन दशकों में किडनी रोग के मामलों में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है. 1990 की तुलना में अब लगभग 80 करोड़ लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं.

रिपोर्ट में बताया गया है कि ज्यादातर मरीजों में बीमारी के शुरुआती स्टेज यानी स्टेज 1 से 3 CKD पाई गई, जिसकी कुल दर करीब 13.9 प्रतिशत है. साल 2023 में CKD दुनिया भर में मौत का नौवां सबसे बड़ा कारण बना, जिसने करीब 14.8 लाख लोगों की जान ली. यही नहीं, किडनी की काम करने की क्षमता में कमी को हार्ट की बीमारियों से जुड़ी मौतों के 11.5 प्रतिशत मामलों में एक बड़ा जोखिम बताया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्लड शुगर का बढ़ा स्तर, मोटापा और हाई ब्लड प्रेशर किडनी रोग के सबसे प्रमुख कारण हैं.

भारत में भी बड़ी संख्या में लोग प्रभावित

रिपोर्ट के अनुसार, किडनी रोग से प्रभावित लोगों की संख्या के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है. 2023 में चीन 15.2 करोड़ और भारत 13.8 करोड़ में CKD के सबसे ज्यादा मरीज पाए गए. वहीं अमेरिका, इंडोनेशिया, जापान, ब्राजील, रूस, मेक्सिको, नाइजीरिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, फिलीपींस, वियतनाम, थाईलैंड और तुर्किये जैसे देशों में भी 1 करोड़ से ज्यादा वयस्क इस बीमारी से जूझ रहे हैं.

किडनी रोग के मुख्य कारण

रिपोर्ट में कहा गया है कि हाई ब्लड प्रेशर, ज्यादा बॉडी मास इंडेक्स और मौसमी तापमान का असंतुलन किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले सबसे बड़े कारण हैं. उम्र बढ़ने के साथ ये खतरे और बढ़ जाते हैं. 20 से 69 वर्ष की आयु में ये सभी फैक्टर धीरे-धीरे बढ़ते हैं, जबकि 70 साल के बाद हाई ब्लड प्रेशर, BMI से भी बड़ा खतरा बन जाता है. वहीं, ब्लड शुगर का बढ़ा स्तर हर उम्र में CKD का सबसे बड़ा योगदानकर्ता पाया गया है.

शुरुआती स्टेज में नहीं दिखते लक्षण

CKD की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इसके शुरुआती चरण में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखते. जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, कुछ सामान्य संकेत सामने आने लगते हैं. इसके प्रमुख लक्षणों में कुछ इस प्रकार हैं-

  • थकान और ऊर्जा की कमी
  • पैरों, टखनों या हाथों में सूजन
  • पेशाब की मात्रा या रंग में बदलाव
  • भूख न लगना, मतली या उल्टी
  • खुजली या सूखी त्वचा
  • मांसपेशियों में ऐंठन या दर्द
  • नींद में परेशानी या ध्यान न लगना
  • बिना वजह वजन घटना
  • सांस लेने में तकलीफ

जल्दी पहचान और बचाव ही है उपाय

ज्यादातर लोग तब तक लक्षण नहीं पहचान पाते जब तक बीमारी काफी आगे नहीं बढ़ जाती. ऐसे में समय-समय पर मूत्र परीक्षण, ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की जांच, और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना बेहद जरूरी है. एक्सपर्ट के मुताबिक, शुरुआती स्टेज में दवाओं और खानपान में सुधार से बीमारी की रफ्तार को काफी हद तक धीमा किया जा सकता है और गंभीर दिक्कतों से बचाव संभव है.

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Check out below Health Tools-
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