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इस स्कैम में साइबर अपराधी पहले आपकी निजी जानकारी जुटाते हैं जैसे नाम, पता, जन्म तिथि, या आधार जैसी जानकारी. ये डाटा उन्हें फिशिंग ईमेल, फेक वेबसाइट या लीक डेटाबेस से मिल जाता है. फिर वे आपके मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटर से संपर्क कर खुद को आप बताकर नई सिम कार्ड की मांग करते हैं. कंपनी जब नई सिम एक्टिव करती है तो आपकी पुरानी सिम अपने आप बंद हो जाती है. बस, यहीं से ठगों के हाथ लग जाता है आपका मोबाइल नंबर.

अब वे आसानी से आपके फोन पर आने वाले मैसेज, ओटीपी और बैंक अलर्ट इंटरसेप्ट कर लेते हैं. चूंकि ओटीपी ऑनलाइन अकाउंट्स की सुरक्षा की सबसे अहम परत होती है, इसलिए नंबर हाथ में आते ही ठग पासवर्ड बदल सकते हैं ईमेल हैक कर सकते हैं और आपके बैंक खाते को खाली कर सकते हैं.

अगर अचानक आपके फोन में नेटवर्क सिग्नल गायब हो जाए, कॉल या मैसेज आना बंद हो जाए, या पासवर्ड रीसेट का नोटिफिकेशन आए जबकि आपने कुछ नहीं किया तो ये खतरे की घंटी है. कई बार संदेश मिलता है कि आपकी सिम किसी दूसरे डिवाइस पर एक्टिव हो गई है ये साफ संकेत होता है कि आपका नंबर किसी और के कब्जे में है.

बैंक और ईमेल अकाउंट की गतिविधि पर हमेशा नजर रखें और अगर नेटवर्क अचानक गायब हो जाए तो तुरंत अपने मोबाइल नेटवर्क प्रोवाइडर को सूचना दें. समय रहते उठाया गया कदम ही इस साइबर ठगी से आपका सबसे बड़ा बचाव बन सकता है.
Published at : 08 Nov 2025 09:30 AM (IST)
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