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बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा- ये संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 19 का उल्लंघन करता है।
केंद्र सरकार फैक्ट चेक यूनिट नहीं बना सकेगी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को IT एक्ट में किए गए संशोधन को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि IT एक्ट में संशोधन जनता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
दरअसल, केंद्र सरकार ने 2023 में IT नियमों में संशोधन किया था। सरकार इसके जरिए सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफार्म पर झूठी या फर्जी खबरों की पहचान करने के लिए फैक्ट चेक यूनिट (FCU) बना सकती थी।
इसी साल 20 मार्च को अधिसूचना जारी कर कहा था कि फैक्ट चेक यूनिट सरकार की तरफ से फैक्ट चेक करने का काम करेगी। उससे पहले केंद्र सरकार ने कहा था कि मामले की सुनवाई पूरी होने तक वो फैक्ट चेक यूनिट की अधिसूचना जारी नहीं करेगी।
बॉम्बे हाईकोर्ट के टाईब्रेकर जज ने सुनाया फैसला जनवरी 2024 में बेंच में शामिल दो जजों जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस नीला न्यायमूर्ति ने अलग-अलग फैसला दिया था। इसके बाद यह केस टाईब्रेकर जज जस्टिस एएस चंदुरकर के पास भेजा गया था। जब दो जजों के फैसले पर अलग-अलग मत होते हैं तब इसे टाईब्रेकर जज के पास भेजा जाता है।
जस्टिस पटेल और जस्टिस गोखले ने क्या कहा था जस्टिस गौतम पटेल: संशोधित IT नियम सेंसरशिप के समान हैं। जस्टिस गोखले: दिए जा रहे तर्कों के मुताबिक फ्री स्पीच पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।
कॉमेडियन कुणाल कामरा और एडिटर्स गिल्ड ने लगाई याचिका IT नियमों में संशोधन के खिलाफ कॉमेडियन कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन ने सबसे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
इसमें तीन रूल को चुनौती दी गई थी। ये रूल केंद्र सरकार को झूठी ऑनलाइन खबरों की पहचान करने के लिए FCU बनाने का अधिकार देते हैं।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ये भी कहा था कि फेक न्यूज तय करने की शक्तियां पूरी तरह से सरकार के हाथ में होना प्रेस की आजादी के विरोध में है।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि ये संशोधन सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं। इसके साथ ही संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 19(1)(a)(g) (कोई भी पेशा अपनाने, या कोई व्यवसाय, व्यापार या कारोबार करने की स्वतंत्रता) का उल्लंघन करता है।
21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने फैक्ट चेक यूनिट बनाने पर रोक लगाई केंद्र सरकार ने 20 मार्च 2024 को फैक्ट चेक यूनिट बनाने का नोटिफिकेशन जारी किया था। 21 मार्च को इस नोटिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। ये रोक तब तक के लिए लगाई थी, जब तक बॉम्बे हाईकोर्ट इस मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई ना कर ले। कोर्ट ने कहा था कि ये अभिव्यक्ति की आजादी का मामला है।
अश्विनी वैष्णव ने कहा था- केंद्र के लिए फैक्ट-चेक यूनिट जरूरी केंद्रीय IT मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि केंद्र सरकार के लिए अपनी फैक्ट-चेक यूनिट स्थापित करना जरूरी है। सरकार अपनी नीतियों और अन्य योजनाएं से जुड़े सवालों का जवाब देने के लिए सबसे उपयुक्त है।
अश्विनी वैष्णव ने एक न्यूज चैनल के इवेंट में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा- हाल ही में एक विपक्षी पार्टी ने पोस्ट किया कि भारतीय रेलवे के पैसेंजर्स 80% तक कम हो गए हैं। इस तरह की गलत जानकारी से बचने के लिए आपको रेलवे से सही आंकड़ा पूछना होगा। फैक्ट्स तो फैक्ट्स हैं।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा- फैक्ट-चेक यूनिट को लेकर हमारा प्रस्ताव केंद्र के काम से संबंधित फैक्ट्स और आंकड़ों तक ही सीमित था। दुर्भाग्य से सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। हालांकि, हम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं। पूरी खबर पढ़ें…
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SC ने PIB की फैक्ट चेक यूनिट पर रोक लगाई:कहा- ये अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च को प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) के अंतर्गत फैक्ट चेक यूनिट (FCU) का गठन करने वाली केंद्र सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाई थी। केंद्र ने एक दिन पहले बुधवार यानी 20 मार्च को ही आईटी यानी सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के तहत फैक्ट चेक यूनिट को नोटिफाई किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ‘यह यूनिट अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है।’ यह फैक्ट चेक यूनिट केंद्र सरकार के बारे में सोशल मीडिया में वायरल हो रही फर्जी सूचनाओं और पोस्ट की पहचान करने के साथ उसे प्रतिबंधित करने के लिए बनाई जानी थी। पूरी खबर पढ़ें…
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केंद्र सरकार फैक्ट चेक यूनिट नहीं बना सकेगी: बॉम्बे हाईकोर्ट ने रोक लगाई, कहा- IT एक्ट में संशोधन लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन