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नगर परिषद ने 7 वर्ष पूर्व बनाई थी योजना
संवाद न्यूज एजेंसी
सोहना। सोहना कस्बे में कूड़े से बायो डीजल बनाए जाने की योजना सिरे चढ़ नहीं सकी। उक्त योजना को करीब 7 वर्ष पूर्व नगर परिषद ने बनाया था।
14 जुलाई, 2018 को निवर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा सोहना में निकलने वाले ठोस कचरे के निस्तारण के लिए जर्मनी की एजी डॉटर कंपनी को जिम्मेदारी दी गई थी। नगर परिषद ने योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए परिषद सदन से मंजूरी लेकर उपायुक्त गुरुग्राम के समक्ष हरी झंडी के लिए इसे प्रेषित कर दिया था।
जर्मनी की एजी डॉटर कंपनी कूड़े को 8 से 10 हजार डिग्री तापमान पर गला कर बायो डीजल व बिजली पानी तैयार करके नागरिकों को प्रदान करती। कंपनी करीब 150 टन कूड़ा गलाती। ऐसा होने पर कंपनी नगर परिषद को 25 से 30 लाख रुपये प्रति माह प्रदान करती तथा भूमि लेने की एवज में 5 लाख रुपये प्रति माह किराए का भुगतान भी करना था।
सोहना के पुराने अलवर मार्ग पर कूड़े का पहाड़ बना हुआ है। प्रतिदिन 60 से 70 टन कूड़ा निकलता है जिसके निस्तारण के लिए परिषद करोड़ों रुपये की राशि खर्च करती है। किंतु फिर भी कूड़ा ज्यों का त्यों रहता है।
क्या कहते हैं अधिकारी
नगर परिषद के कार्यकारी अभियंता अजय पंगाल बताते हैं कि सरकार के आदेश पर उक्त योजना को तैयार किया गया था जिससे परिषद को अच्छी आमदनी होनी तय थी। कस्बे में केवल 60 टन कूड़ा प्रतिदिन निकलता है जबकि कंपनी को प्रतिदिन करीब 200 टन कूड़ा देना अनिवार्य था, जिससे योजना ठप हो गई है।
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Gurugram News: सोहना में कूड़े से बायो डीजल बनाने की योजना नहीं चढ़ी सिरे


