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अगर A+ ब्लड ग्रुप को चढ़ा दिया जाए B+ ब्लड तो क्या होगा, क्या सच में हो सकती है मौत? Health Updates

अगर A+ ब्लड ग्रुप को चढ़ा दिया जाए B+ ब्लड तो क्या होगा, क्या सच में हो सकती है मौत? Health Updates

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Blood Transfusion Mistakes: खून हमारे शरीर का जरूरी हिस्सा होता है और इंसान के शरीर में अलग-अलग ब्लड ग्रुप देखने को मिलते हैं. इनमें से कुछ ऐसे होते हैं, जिनसे हम किसी को भी खून दे सकते हैं और वहीं कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो दूसरों को खून नहीं दे सकते हैं. लेकिन क्या आपने सोचा है कि अगर A+ ब्लड ग्रुप को B+ चढ़ा दिया जाए, तो क्या होगा. क्या उस इंसान की मौत हो जाएगी. चलिए आपको इसके पीछे की सच्चाई बताते हैं कि अगर किसी इंसान को दूसरे ब्लड ग्रुप का ब्लड चढ़ा दिया जाए, तो उसके साथ क्या होता है.

पहले इसे समझिए

हर इंसान का ब्लड ग्रुप उसके एंटीजन और एंटीबॉडी के आधार पर तय होता है. American Red Cross के अनुसार, A+ ब्लड वाले लोगों के खून में A एंटीजन होते हैं और Anti-B antibodies होती हैं. ठीक उसी तरह B+ ब्लड में इसके उलट B एंटीजन और anti-A antibodies पाई जाती हैं. अब आते हैं, क्या हो अगर दूसरे के शरीर में दूसरा ब्लड ग्रुप चला जाए तो. National Institutes of Health के अनुसार, अगर किसी A+ व्यक्ति को गलती से B+ ब्लड चढ़ा दिया जाए, तो उसके खून में मौजूद anti-B antibodies, ट्रांसफ्यूज किए गए B ब्लड के B एंटीजन पर हमला कर देती हैं. इससे रेड ब्लड सेल्स फटने लगते हैं. इस पूरी प्रक्रिया को मेडिकल भाषा में Acute Hemolytic Transfusion Reaction (AHTR) कहा जाता है.

क्या हो सकती है दिक्कत?

एक्सपर्ट और तमाम मेडिकल संस्थाएं बताती हैं कि इससे आपको कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. जैसे कि यह स्थिति कुछ ही मिनटों में गंभीर रूप ले सकती है. मरीज को तेज बुखार, ठंड लगना, पेशाब का रंग गहरा होना, पीठ दर्द, ब्लड प्रेशर गिरना और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं. हालांकि इसमें डॉक्टर कई मामलों में दवा देकर स्थिति को कंट्रोल कर लेते हैं, लेकिन फिर भी कभी-कभी स्थिति मुश्किल होने का खतरा बना रहता है. ब्लड ट्रांसफ्यूजन से पहले हर अस्पताल में क्रॉस-मैचिंग किया जाता है, जिसमें मरीज और डोनर के खून की संगतता जांची जाती है. इस प्रक्रिया में अगर किसी भी स्तर पर दिक्कत मिलती है, तो ट्रांसफ्यूजन रोक दिया जाता है. अगर सरल शब्दों में कहा जाए, तो किसी भी तरह की गलत ब्लड टाइपिंग से बचने के लिए सैंपल को डोनर से लेकर मरीज तक दोहरी जांच के बाद ही क्लियर किया जाता है.

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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