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शैफाली की छोटी बहन नैंसी बताती हैं कि टीम में चयन की सूचना मिलते ही दीदी ने सबसे पहले मम्मी (प्रवीण बाला) को फोन कर कहा कि मम्मी आपके लिए एक सरप्राइज है… अनुमान लगाओ। कुछ क्षण की चुप्पी के बाद मां बोलीं, टीम में नाम आ गया है क्या…। शैफाली के मुंह से ”हां” सुनते ही मां भावुक हो गईं।
शैफाली की झोली में भी कई रिकॉर्ड आए
इसके बाद इतिहास रच गया। शैफाली के बल्ले से न सिर्फ रन वर्षा हुई बल्कि महिला क्रिकेट और खुद शैफाली की झोली में भी कई रिकॉर्ड आ गए। वह दुनिया की सबसे कम उम्र की ऐसी पहली महिला क्रिकेटर बन गई हैं जिन्होंने वर्ल्ड कप में अर्धशतक या इससे ज्यादा रन बनाए हैं। इस मायने में वे वीरेंद्र सहवाग के रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ चुकी हैं।
शतक लगाने से चूकने पर मां ने कहा कि बेटी के 87 रन ही हमारे लिए शतक के बराबर हैं। मुझे इसका कोई अफसोस नहीं कि वह विश्व कप में शतक बनाने से चूक गई। भारत की जीत से जो खुशी हासिल हुई है वह अनमोल है। उसने हमें चयन की सूचना के बाद जीत का भी दोहरा सरप्राइज दे दिया है।
शैफाली की मौसी सुदेश बताती हैं कि शैफाली बचपन में लड़कों के साथ क्रिकेट खेला करती थी। इसमें भी वह बड़े शॉट लगाती। वह इसमें कभी नहीं हिचकिचाती थी। यही निडरता विश्व कप के फाइनल मुकाबले में भी दिखाई दी और बेधड़क बल्ला चलाते हुए शानदार गेंदबाजी भी की। वह बताती हैं कि विश्वकप जीतने के बाद परिवार ने शेफाली के साथ छोटी-सी वीडियो कॉल की थी। उस वक्त वह मैदान पर ही थी। खुशी से लबालब उसका चेहरा देखकर हम सब गद्गद् हो गए।
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