[ad_1]
{“_id”:”690af927fcd22411de038cba”,”slug”:”video-congress-leader-anil-mann-in-hisar-said-sampat-singhs-entire-political-journey-was-a-symbol-of-opportunism-and-personal-selfishness-2025-11-05″,”type”:”video”,”status”:”publish”,”title_hn”:”हिसार में कांग्रेस नेता अनिल मान बोले- संपत सिंह का पूरा राजनीतिक सफर अवसरवाद और व्यक्तिगत स्वार्थ का प्रतीक रहा”,”category”:{“title”:”City & states”,”title_hn”:”शहर और राज्य”,”slug”:”city-and-states”}}
नलवा विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी रहे अनिल मान ने कहा कि कुछ लोगों का जमावड़ा कांग्रेस को बदनाम करने का काम कर रहा है। संपत सिंह ने अपने चार पेज के पत्र में उन्होंने यह नहीं बताया कि वह 2019 के चुनाव से पहले कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में गए थे। भाजपा ने उनको तवज्जो नहीं दी तो फिर कांग्रेस में लौट कर आए थे। संपत सिंह का पूरा राजनीतिक सफर अवसरवाद और व्यक्तिगत स्वार्थ का प्रतीक रहा है।
हिसार में मीडिया से बातचीत में अनिल मान ने कहा कि 2024 में कांग्रेस प्रत्याशी जयप्रकाश का साथ देने के बजाय संपत सिंह ने प्रचार से दूरी बनाए रखी। विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने कार्यकर्ताओं को घर बुलाकर भाजपा के पक्ष में वोट डालने की बात कही। संपत सिंह ने हरियाणा कांग्रेस की अनुशासन समिति के डर से कांग्रेस पार्टी से त्यागपत्र दिया, ताकि अनुशासनात्मक कार्रवाई से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि आज संपत सिंह के पत्र की भाषा देखकर यह लगता है कि वे किसी और की भाषा बोल रहे हैं।
संपत सिंह ने अपने इस्तीफे वाले पत्र में कहा कि 2009में मैंने फतेहाबाद से टिकट मांगी थी। प्रो. संपत सिंह ने यह नहीं बताया वह 2009 में इनेलो छोड़ कर आए थे। इनेलो छोड़ कर आए तो अभय चौटाला, अजय चौटाला पर काफी आरोप लगाए थे। इन्होंने फतेहाबाद से टिकट मांगी थी वहां सर्वे में पता लगा था कि वह हार रहे थे। चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उन्हें नलवा से चुनाव लड़वा कर जिताने का काम किया।
जब कोई नई पार्टी में शामिल होता है तो नई पार्टी में उस दिन से ही उनकी वरिष्ठता मानी जाती है। संपत सिंह ने कुमारी सैलजा का नाम लेकर सीएलपी लीडर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को बदनाम करने की कोशिश की। दो बड़े नेताओं के बीच दूरी बनाने की कोशिश की। संपत सिंह ने कांग्रेस छोड़ने वाले कई बड़े नेताओं का जिक्र किया है। काफी लोग कांग्रेस छोड़कर गए तो काफी लोग कांग्रेस में आए भी थे।
2009 से 2014 तक उन पर नौकरियों और भ्रष्टाचार के आरोप लगे। इसके बावजूद इसके भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उन्हें 2014 में लोकसभा का टिकट दिया। उसके बाद विधानसभा चुनाव में भी मौका मिला, लेकिन वे तीसरे-चौथे स्थान पर रहे और जमानत ज़ब्त हो गई। 2019 में जब टिकट न मिली तो उन्होंने भाजपा जॉइन की, जहां सर्वे में वे सोनाली फोगाट से भी पीछे रहे। भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो उन्होंने कुलदीप बिश्नोई और उनके परिवार पर तीखे बयान दिए, यहाँ तक कि उनकी माता पर भी असभ्य टिप्पणी की।
[ad_2]
हिसार में कांग्रेस नेता अनिल मान बोले- संपत सिंह का पूरा राजनीतिक सफर अवसरवाद और व्यक्तिगत स्वार्थ का प्रतीक रहा


