– पीएचसी से सीएचसी में अपग्रेड होने के बावजूद नहीं मिल रही सुविधा, डॉक्टरों के सात पद स्वीकृत पर पांच खाली
प्रवीण भार्गव
निसिंग। करनाल-कैथल राजमार्ग पर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर 40 गांवों की करीब तीन लाख आबादी निर्भर करती है मगर यहां न तो पर्याप्त डॉक्टर हैं और न ही संसाधन व न दवाइयां उपलब्ध हैं। ऐसे में लोगों को करीब 25 किलोमीटर दूर जिला नागरिक अस्पताल जाना पड़ता है। वहां भी इलाज के लिए सुबह सात बजे से कतार में लगना पड़ता है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों के स्वीकृत पदों पर नजर डालें तो यहां पर सात डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं लेकिन दो डॉक्टर ही कार्यरत हैं बाकी पांच पद लंबे समय से खाली पड़े हैं। सात पदों में दो एमबीबीएस मेडिसिन विशेषज्ञ, सर्जरी विशेषज्ञ, पीडियाट्रिक (बाल रोग विशेषज्ञ) एनेस्थीसिया, हड्डी रोग विशेषज्ञ एवं नेत्र रोग विशेषज्ञों सहित पद हैं। जिसमें से दो एमबीबीएस, दंत विशेषज्ञ, एक्स-रे ऑपरेटर सहित एलएचपी, न्यूरोलॉजिस्ट, नर्सिंग, फार्मेसी अस्थाई स्टाफ सदस्य अस्थाई तौर काम रहे हैं। निसिंग में करीब 12 वर्षों से स्थाई फार्मासिस्ट का पद रिक्त पड़ा हुआ है। इसके अलावा सर्जरी विशेषज्ञ कभी-कभी आते हैं। संवाद
प्रसूति कक्ष में नहीं सुविधा
प्रसूति कक्ष की तो सुविधा मिली है लेकिन यह भी रेफरल के तौर पर काम कर रहा है। पहले यहां पर स्त्री रोग विशेषज्ञ कार्यरत थी लेकिन उनका अब ट्रांसफर कर दिया गया है। ऐसे में बिना डॉक्टर की देखरेख में सिर्फ सामान्य प्रसव कराया जा रहा है। अन्य मरीजों को करनाल रेफर कर दिया जाता है। जिससे क्षेत्र के मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा दवाओं की कमी के कारण मरीजों को मजबूरन निजी मेडिकल स्टोर पर काफी रुपये खर्च करने पड़ते हैं।
आई ड्राॅप नहीं मिली
निसिंग निवासी पूजा रानी ने बताया कि वह बेटी पल्लवी के लिए आंखों की व खुद के लिए बुखार की दवाई लेने आई थी। डॉक्टर से जांच करवाने के बाद काउंटर पर दवाई लेने गई लेकिन काउंटर से चार में से एक दवा ही मिल सकी।
नहीं मिल रही खांसी की दवा
निसिंग निवासी सरोज ने बताया कि उसे काफी दिनों से खांसी है। अस्पताल में दवाई लेने आई थी। काउंटर से दवाई नहीं मिल पाई। अब रुपये खर्च करके दवाई बाहर से खरीदनी पड़ेगी।
एचबी का ही टेस्ट हो पाया
निसिंग निवासी लक्ष्मी ने बताया कि यहां पर सिर्फ हीमोग्लोबिन यानी एचबी का टेस्ट ही हो पाया। ऐसे में अन्य टेस्ट बाहर से करवाने पड़ेंगे। यहां अन्य सुविधा न होने से परेशानी बढ़ गई है।
बाहर से खरीदनी पड़ी दवाइयां
गोंदर निवासी महिला आशा रानी ने बताया कि बुखार होने के कारण प्लेटलेट्स की संख्या कम हो गई है। दवाई लेने के लिए आई थी लेकिन काउंटर से कोई भी दवाई उपलब्ध नहीं हो पाई इसलिए सभी दवाइयां बाहर से खरीदनी पड़ेगी।
डॉक्टरों की कमी के संदर्भ में कई बार उच्चाधिकारियों को पत्र भेजा जा चुका है लेकिन अभी तक उन्हें पर्याप्त डॉक्टर नहीं मिल पाए हैं। फिर भी वह अपने स्तर पर सभी मरीजों को इलाज देने का प्रयास करती हैं।
– डॉ. सारिका, एसएमओ, सीएचसी निसिंग
Karnal News: सीएचसी में डॉक्टरों की कमी, 40 गांवों के बाशिंदे परेशान