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चंडीगढ़. हरियाणा के हिसार से पूर्व मंत्री और दिग्गत नेता संपत सिंह दूसरी बार कांग्रेस पार्टी को अलविदा कहा है. उन्होंने रविवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकाजुर्न खरगे को लंबी चौड़ी चिट्टी लिखी और कांग्रेस को बाय बाय कह दिया. संपत्त सिंह का हरियाणा की सिय़ासत में अच्छा खासा नाम है. वह हरियाणा सरकार में दो बार मंत्री और छह बार विधायक रहे.
दरअस, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भेजे त्यागपत्र में संपत सिंह ने पार्टी की कमजोरियां गिनवाई और हुड्डा पर सीधे सीधे आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी.
बताया जाता है कि संपत सिंह कभी कॉलेज में प्रोफेसर थे और ताऊ देवीलाल के बेहद करीबी माने जाते थे. उन्होंने 1977 में प्रोफेसर की नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखा और ताऊ देवीलाल के साथ सक्रिय रूप से जुड़ गए. वह 1972 से 1977 तक वे हिसार जाट कॉलेज में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर रहे. फिर 1977 से 1979 तक वे तत्कालीन मुख्यमंत्री ताऊ देवीलाल के निजी सचिव रहे.
राजनीतिक करियर में प्रो. संपत सिंह 1982, 1987, 1991, 1998, 2000 और 2009 में कुल छह बार विधायक रह चुके हैं. वर्ष 2009 में उन्होंने इनेलो की टिकट पर हिसार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन करीब 6900 वोटों के अंतर से हार गए. इनेलो छोड़ने के बाद वे 2009 में कांग्रेस में शामिल हुए और उसी वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी को नलवा सीट से हराया. हालांकि, 2019 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा, लेकिन कुछ समय बाद फिर से कांग्रेस में लौट आए.
चौटाला ने जल्दी ही किसी बड़े नेता के पार्टी ज्वाइन करने का दावा किया था और ऐसे में लग रहा है कि प्रो. संपत सिंह इनेलो में शामिल हो सकते हैं. उधर, पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की सरकार में प्रोफेसर संपत सिंह विधानसभा में विपक्ष के नेता और वित्त और बिजली मंत्री रहे हैं.
कई नेताओं के नाम गिनवाए और फिर पार्टी छोड़ी
पार्टी छोड़ने से कितना फायदा या नुकसान
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