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6 बार विधायक रहे…दूसरी बार अलविदा कहा…संपत सिंह के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस को कितना नुकसान, क्या इनेलो में जाएंगे? Haryana News & Updates

6 बार विधायक रहे…दूसरी बार अलविदा कहा…संपत सिंह के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस को कितना नुकसान, क्या इनेलो में जाएंगे? Haryana News & Updates

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चंडीगढ़. हरियाणा के हिसार से पूर्व मंत्री और दिग्गत नेता संपत सिंह दूसरी बार कांग्रेस पार्टी को अलविदा कहा है. उन्होंने रविवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकाजुर्न खरगे को लंबी चौड़ी चिट्टी लिखी और कांग्रेस को बाय बाय कह दिया. संपत्त सिंह का हरियाणा की सिय़ासत में अच्छा खासा नाम है. वह हरियाणा सरकार में दो बार मंत्री और छह बार विधायक रहे.

दरअस,  कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भेजे त्यागपत्र में संपत सिंह ने पार्टी की कमजोरियां गिनवाई और हुड्डा पर सीधे सीधे आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी.

गौरतलब है कि पूर्व उप प्रधानमंत्री स्व. देवीलाल के साथी प्रो. संपत सिंह ने 2019 में कांग्रेस छोड़ी थी, लेकिन फिर अगस्त 2022 में कांग्रेस में लौट आए थे. साल 2024 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रो. संपत सिंह का हिसार की नलवा विधानसभा सीट से टिकट काट दिया था. फिर संपत सिंह ने बागी उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल करने के बाद चुनाव नहीं लड़ा था.

बताया जाता है कि संपत सिंह कभी कॉलेज में प्रोफेसर थे और ताऊ देवीलाल के बेहद करीबी माने जाते थे. उन्होंने 1977 में प्रोफेसर की नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखा और ताऊ देवीलाल के साथ सक्रिय रूप से जुड़ गए. वह 1972 से 1977 तक वे हिसार जाट कॉलेज में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर रहे. फिर 1977 से 1979 तक वे तत्कालीन मुख्यमंत्री ताऊ देवीलाल के निजी सचिव रहे.

राजनीतिक करियर में प्रो. संपत सिंह 1982, 1987, 1991, 1998, 2000 और 2009 में कुल छह बार विधायक रह चुके हैं. वर्ष 2009 में उन्होंने इनेलो की टिकट पर हिसार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन करीब 6900 वोटों के अंतर से हार गए. इनेलो छोड़ने के बाद वे 2009 में कांग्रेस में शामिल हुए और उसी वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी को नलवा सीट से हराया. हालांकि, 2019 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा, लेकिन कुछ समय बाद फिर से कांग्रेस में लौट आए.

चौटाला ने जल्दी ही किसी बड़े नेता के पार्टी ज्वाइन करने का दावा किया था और ऐसे में लग रहा है कि प्रो. संपत सिंह इनेलो में शामिल हो सकते हैं. उधर, पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की सरकार में प्रोफेसर संपत सिंह विधानसभा में विपक्ष के नेता और वित्त और बिजली मंत्री रहे हैं.

 कई नेताओं के नाम गिनवाए और फिर पार्टी छोड़ी

प्रो. संपत सिंह ने इस्तीफे में तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके स्व. भजनलाल, केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत, पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई, भिवानी-महेंद्रगढ़ के सांसद चौधरी धर्मबीर सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. अशोक तंवर, हरियाणा के सहकारिता मंत्री डा. अरविंद शर्मा और पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना का जिक्र किया औऱ कहा कि समय-समय पर ये लोग कांग्रेस छोड़कर चले गए और इसके पीछे की वजह भी लिखी. उन्होंने कहा कि योग्य उम्मीदवारों को नजरअंदाज कर 2024 में विधानसभा के टिकट धनबल वालों को दिए गए. कांग्रेस अब एक व्यक्ति और परिवार की जागीर बन चुकी है.


पार्टी छोड़ने से कितना फायदा या नुकसान
संपति सिंह की छवि साल दर साल गिरी है. क्योंकि वह इनेलो, कांग्रेस, भाजपा में शामिल होते रहे. बेशक वह छह बार के विधायक और मंत्री रहे. लेकिन 2014 के बाद से ही उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा. कांग्रेस ने भी 2024 में उनका टिकट काट दिया था. इनेलो में उनके लौटने से बेशक इनेलो को कुछ हद तक फायदा होगा. क्योंकि हरियाणा की सियासत में इनेलो भी हाशिये पर चल रही है. हाल ही में रोहतक में इनेलो की रैली में भी वह नजर आए थे. उनकी सियासत हिसार और फतेहाबाद के इर्दगिर्द ही रही है. अहम बात है कि संपत सिंह 76 साल के हैं और सिय़ासत में कितना एक्टिव रहेंगे, ये तो वक्त ही बताएगा.

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