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पंजाब सीएम भगवंत मान ने कहा- पंजाब यूनिवर्सिटी, जो राज्य की विरासत है, की रक्षा हर हाल में की जाएगी।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार पर पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट भंग करने और पंजाब की भागीदारी खत्म करने को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है।
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उन्होंने इस फैसले को गैर-संवैधानिक बताते हुए कहा कि यह पंजाब और उसके हकों के खिलाफ है। मान ने कहा कि केंद्र को इसे भंग करने का अधिकार नहीं है और भाजपा ने नोटिफिकेशन जारी कर पंजाब विरोधी चेहरा दिखाया है।
उन्होंने ऐलान किया कि पंजाब सरकार इस अन्याय के खिलाफ हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ेगी और पंजाब यूनिवर्सिटी, जो राज्य की विरासत है, की रक्षा हर हाल में की जाएगी।
CM ने क्या कहा, 6 पॉइंट में समझिए..
- केंद्र को अधिकार नहीं: सीएम भगवंत मान ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी को भंग करने का अधिकार केंद्र सरकार को नहीं है। यह पंजाब पुनर्गठन एक्ट, 1966 और पंजाब यूनिवर्सिटी एक्ट, 1947 के तहत राज्य के अधिकार में आता है।
- नोटिफिकेशन गैरकानूनी बताया: उन्होंने कहा कि विधानसभा या संसद से संशोधन किए बिना सिर्फ नोटिफिकेशन जारी कर सीनेट भंग करना पूरी तरह असंवैधानिक है। भाजपा ने इससे अपना “पंजाब विरोधी चेहरा” दिखाया है।
- पहले भी दो बार कोशिश हुई थी: CM ने कहा- भाजपा पहले भी यूनिवर्सिटी को हरियाणा से जोड़ने की कोशिश कर चुकी है। मीटिंग्स में उन्होंने हरियाणा के कॉलेजों को पंजाब यूनिवर्सिटी के अधीन करने की मांग रखी थी।
- सीनेट में एंट्री का ‘छुपा रास्ता’ बताया: मान ने कहा कि हरियाणा सरकार सीनेट में अपने लोगों को भेजने की योजना बना रही थी। हमें यह बात पहले ही पता चल गई थी, इसलिए हमने साफ इनकार कर दिया।
- कानूनी लड़ाई का ऐलान: सीएम ने कहा कि पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट तक जाएगी। पंजाब यूनिवर्सिटी हमारी “विरासत” है और इसे किसी भी कीमत पर छीने जाने नहीं देंगे।
- धक्केशाही बर्दाश्त नहीं करेंगे: मान ने कहा कि पहले बीबीएमबी और अब यूनिवर्सिटी- भाजपा लगातार पंजाब की प्रॉपर्टी और अधिकारों पर कब्जा करना चाहती है। इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

दो साल पहले तत्कालीन पंजाब के गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित पंजाब और हरियाणा के सीएम से मीटिंग करते हुए। (फाइल फोटो)
पंजाब यूनिवर्सिटी में सीनेट (Senate) उसकी सबसे ऊंची संस्था है। यानी वही यूनिवर्सिटी के सभी बड़े फैसले लेती है। इसे पंजाब यूनिवर्सिटी एक्ट, 1947 के तहत बनाया गया था।
सीनेट का काम क्या है?
- यूनिवर्सिटी की नीतियां तय करना,
- प्रशासनिक फैसले लेना
- और यूनिवर्सिटी का लोकतांत्रिक तरीके से संचालन करना
31 अक्टूबर 2024 को पुरानी सीनेट का कार्यकाल खत्म हो गया, लेकिन नई सीनेट का चुनाव नहीं हुआ। इसके बाद 1 नवंबर 2025 (पंजाब दिवस) के दिन केंद्र सरकार ने सीनेट और सिंडिकेट (यानी कार्यकारी समिति) दोनों को भंग कर दिया और नया सिस्टम लागू कर दिया।

सीनेट चुनाव न होने के विरोध में सभी दलों के नेता एक मंच पर पर आए थे। (फाइल फोटो)
पहले लाहौर में थी यह यूनिवर्सिटी पंजाब यूनिवर्सिटी पहले लाहौर (पाकिस्तान) में थी। आजादी के बाद यह पहले होशियारपुर और फिर चंडीगढ़ लाई गई। पंजाब सरकार का मानना है कि यह यूनिवर्सिटी राज्य की विरासत और अधिकार है, और हर साल वह इसे बजट में ग्रांट (आर्थिक मदद) भी देती है।
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पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट भंग पर सियासत: मान सरकार जाएगी कोर्ट; CM बोले-केंद्र को यह अधिकार नहीं, हरियाणा के जरिए एंट्री की कोशिश हुई – Chandigarh News

