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- Column By Pt. Vijayshankar Mehta Connecting With Ancestors Means The Next Step Is God
पं. विजयशंकर मेहता
श्राद्धपक्ष एक ऐसी छोटी-सी यात्रा है, जिसमें हम अपनी जड़ों की ओर लौट सकते हैं। बाहरी आलस्य हमारे परिश्रम को प्रभावित करता है। शरीर काम करने में रुचि नहीं लेता। एक भीतरी आलस्य भी होता है, जिसमें मन निष्क्रिय हो जाता है। और जैसे ही मन निष्क्रिय होता है, हमारे लिए अपने पितरों की ओर चलना आसान है।
पितरों से जुड़ने का मतलब अगला कदम परमात्मा है। एक दार्शनिक ने कहा था, जो अपने माता-पिता और पितरों से नहीं जुड़ा, वो परमात्मा से भी नहीं जुड़ सकता। ईश्वर सबका पिता होता है। परमशक्ति सबकी मां होती है। हम पितृपक्ष में अपने पितरों को इसलिए याद करते हैं।
श्राद्धपक्ष में जो कर्मकांड होता है, उस पर बहस बिल्कुल मत करिए। क्योंकि इससे कुछ निष्कर्ष निकलने वाला नहीं है। प्रयास इस बात का करिए कि अपने भीतर उतरें और पितरों के माध्यम से परमात्मा से जुड़ें। परमात्मा से जुड़ने का मतलब है, हर काम करते हुए खुश रहना।
गलत काम करने की इच्छा ना होना। दूसरों की मदद करना। इसलिए पितृपक्ष में जो अच्छे भाव हमारे भीतर उतर सकते हैं, उनसे जुड़ें। श्राद्धपक्ष एक अलग ढंग के अच्छे दिन होते हैं। पूरी तन्मयता से पितरों को याद करें।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: पितरों से जुड़ने का मतलब अगला कदम परमात्मा है

