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बिहार चुनाव में होगा कारनामा? 10वीं बार जीत के करीब पहुंचा ये नेता, जानें क्यों रच सकता है इतिहास Politics & News

बिहार चुनाव में होगा कारनामा? 10वीं बार जीत के करीब पहुंचा ये नेता, जानें क्यों रच सकता है इतिहास Politics & News

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बिहार की राजनीति में ऐसे बहुत कम नेता हुए हैं जिन्होंने लगातार चुनाव जीतकर जनता का भरोसा बनाए रखा. सदानंद सिंह (कांग्रेस) और रमई राम (राजद/जदयू/कांग्रेस) जैसे वरिष्ठ नेता नौ बार विधायक रह चुके हैं, लेकिन अब दोनों इस दुनिया में नहीं हैं. इन दिग्गजों की श्रेणी में अब सिर्फ हरिनारायण सिंह बचे हैं, जो अभी भी सक्रिय राजनीति में हैं और दसवीं जीत की तैयारी में जुटे हैं.

अगर हरिनारायण सिंह 2025 में फिर जीत जाते हैं तो यह न सिर्फ उनके लिए बल्कि पूरे बिहार के लिए गौरव का क्षण होगा. यह दिखाएगा कि जनता का भरोसा लगातार जीतने वाले नेता आज भी राजनीति में अपनी जगह बनाए रख सकते हैं. अब देखना होगा कि क्या हरनौत की जनता इस बार उन्हें वह ऐतिहासिक 10वीं जीत दिलाती है जिसकी पूरी राज्य को प्रतीक्षा है.

अगर हरिनारायण सिंह 2025 में फिर जीत जाते हैं तो यह न सिर्फ उनके लिए बल्कि पूरे बिहार के लिए गौरव का क्षण होगा. यह दिखाएगा कि जनता का भरोसा लगातार जीतने वाले नेता आज भी राजनीति में अपनी जगह बनाए रख सकते हैं. अब देखना होगा कि क्या हरनौत की जनता इस बार उन्हें वह ऐतिहासिक 10वीं जीत दिलाती है जिसकी पूरी राज्य को प्रतीक्षा है.

भारत में कुछ ही नेताओं ने दस या उससे अधिक बार विधानसभा चुनाव जीतकर विशेष पहचान बनाई है. तमिलनाडु के एम. करुणानिधि ने 13 बार, महाराष्ट्र के गणपत राव देशमुख ने 11 बार, केरल के ओमन चांडी ने 11 बार और राजस्थान के हरिदेव जोशी ने 10 बार चुनाव जीते थे.

भारत में कुछ ही नेताओं ने दस या उससे अधिक बार विधानसभा चुनाव जीतकर विशेष पहचान बनाई है. तमिलनाडु के एम. करुणानिधि ने 13 बार, महाराष्ट्र के गणपत राव देशमुख ने 11 बार, केरल के ओमन चांडी ने 11 बार और राजस्थान के हरिदेव जोशी ने 10 बार चुनाव जीते थे.

अब बिहार भी इस गौरवशाली सूची में शामिल होने की दहलीज पर है. अगर नतीजे हरिनारायण सिंह के पक्ष में रहे, तो यह राज्य के लिए एक नया अध्याय साबित होगा.

अब बिहार भी इस गौरवशाली सूची में शामिल होने की दहलीज पर है. अगर नतीजे हरिनारायण सिंह के पक्ष में रहे, तो यह राज्य के लिए एक नया अध्याय साबित होगा.

हरिनारायण सिंह का राजनीतिक सफर नालंदा जिले के हरनौत विधानसभा क्षेत्र से शुरू हुआ. यह वही इलाका है जहा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला भी स्थित है. 1977 में पहली बार जीतने के बाद उन्होंने लगातार अपने क्षेत्र के लोगों से जुड़ाव बनाए रखा. 1983, 1990, 2000, 2005 (दो बार), 2010, 2015 और 2020 में उन्होंने जीत दर्ज की.अब 2025 में वे दसवीं बार मैदान में हैं और जनता के भरोसे पर एक नया इतिहास रचने की उम्मीद कर रहे हैं.

हरिनारायण सिंह का राजनीतिक सफर नालंदा जिले के हरनौत विधानसभा क्षेत्र से शुरू हुआ. यह वही इलाका है जहा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला भी स्थित है. 1977 में पहली बार जीतने के बाद उन्होंने लगातार अपने क्षेत्र के लोगों से जुड़ाव बनाए रखा. 1983, 1990, 2000, 2005 (दो बार), 2010, 2015 और 2020 में उन्होंने जीत दर्ज की.अब 2025 में वे दसवीं बार मैदान में हैं और जनता के भरोसे पर एक नया इतिहास रचने की उम्मीद कर रहे हैं.

हरिनारायण सिंह का कहना है कि राजनीति में सफलता की असली कुंजी जनता से सीधा संपर्क है. उन्होंने कहा कि मैं हमेशा लोगों के बीच रहता हूं, उनकी समस्याओं को सुनता हूं और उन्हें हल करने की कोशिश करता हूं. जनता का भरोसा मेरी असली ताकत है. मुझे यकीन है कि इस बार भी वे मेरा साथ देंगी और मैं 10वीं बार जीत दर्ज कर इतिहास बनाऊंगा.

हरिनारायण सिंह का कहना है कि राजनीति में सफलता की असली कुंजी जनता से सीधा संपर्क है. उन्होंने कहा कि मैं हमेशा लोगों के बीच रहता हूं, उनकी समस्याओं को सुनता हूं और उन्हें हल करने की कोशिश करता हूं. जनता का भरोसा मेरी असली ताकत है. मुझे यकीन है कि इस बार भी वे मेरा साथ देंगी और मैं 10वीं बार जीत दर्ज कर इतिहास बनाऊंगा.

हरिनारायण सिंह के अलावा बिहार में कई ऐसे नेता हैं जिन्होंने लगातार जीत का सिलसिला बनाए रखा है.विजेंद्र प्रसाद यादव (सुपौल) और प्रेम कुमार (गया) आठ बार विधायक रह चुके हैं और अब नौवीं जीत की कोशिश में हैं.जीतन राम मांझी और सुरेंद्र प्रसाद यादव भी आठ-आठ बार चुनाव जीत चुके हैं, जबकि श्रवण कुमार सातवीं जीत के बाद अब आठवीं बार जनता के बीच पहुंचे हैं.

हरिनारायण सिंह के अलावा बिहार में कई ऐसे नेता हैं जिन्होंने लगातार जीत का सिलसिला बनाए रखा है.विजेंद्र प्रसाद यादव (सुपौल) और प्रेम कुमार (गया) आठ बार विधायक रह चुके हैं और अब नौवीं जीत की कोशिश में हैं.जीतन राम मांझी और सुरेंद्र प्रसाद यादव भी आठ-आठ बार चुनाव जीत चुके हैं, जबकि श्रवण कुमार सातवीं जीत के बाद अब आठवीं बार जनता के बीच पहुंचे हैं.

Published at : 30 Oct 2025 02:20 PM (IST)

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