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करनाल राइस मिल में बासमती धान से चावल निकलता हुआ।
भारत ने बासमती एक्सपोर्ट के क्षेत्र में नया रिकॉर्ड कायम किया है। इस साल अप्रैल से अगस्त तक के सिर्फ पांच महीनों में देश ने 2.7 मिलियन टन बासमती चावल एक्सपोर्ट किया, जो पिछले साल के मुकाबले चार लाख टन ज्यादा है।
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जहां पाकिस्तान महज एक मिलियन टन बासमती एक्सपोर्ट करता है, वहीं भारत छह मिलियन टन से अधिक एक्सपोर्ट कर रहा है। इस बार एक्सपोर्टर्स ने 6.5 मिलियन टन का लक्ष्य रखा है।
विश्वभर में बासमती के उत्पादन और एक्सपोर्ट की बात करें तो यह केवल दो देशों- भारत और पाकिस्तान तक सीमित है। लेकिन एक्सपोर्ट की मात्रा में भारत, पाकिस्तान से छह गुना आगे निकल चुका है। पाकिस्तान हर साल केवल एक मिलियन टन बासमती चावल एक्सपोर्ट करता है, जबकि भारत 6 मिलियन टन तक का निर्यात कर चुका है। अब इस वित्तीय वर्ष 2025-26 में लक्ष्य 6.5 मिलियन टन तक पहुंचने का रखा गया है।
राइस मिल में चावल निकालने के बाद होती पैकिंग।
पांच महीनों में 4 लाख टन की बढ़ोतरी दर्ज
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन के प्रेजीडेंट सतीश गोयल के अनुसार, 1 अप्रैल से 30 अगस्त 2025 तक 2.7 मिलियन टन बासमती चावल का एक्सपोर्ट हुआ, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 2.3 मिलियन टन एक्सपोर्ट किया गया था। यानी केवल पांच महीनों में चार लाख टन की वृद्धि दर्ज हुई। यह भारत के बासमती उद्योग के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

करनाल स्थित राइस मिल की चिमनी से निकालता धुआं।
पिछले साल तोड़ा गया एक्सपोर्ट का रिकॉर्ड
साल 2024-25 में भारत ने बासमती एक्सपोर्ट के क्षेत्र में ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया। उस वित्तीय वर्ष में 6 मिलियन टन बासमती का एक्सपोर्ट हुआ, जबकि उससे पिछले साल यानी 2023-24 में यह आंकड़ा केवल 5 मिलियन टन था। यानी एक ही साल में एक मिलियन टन की बढ़ोतरी दर्ज हुई। उद्योग के जानकारों के मुताबिक, सरकारी नीतियों और अंतरराष्ट्रीय मांग में लगातार वृद्धि की वजह से एक्सपोर्ट में यह उछाल आया है।

मिल में चावल की पैकिंग करते कर्मचारी।
अमेरिका में टैरिफ बढ़ाए जाने के बावजूद बना रहेगा एक्सपोर्ट स्तर
अमेरिका में टैरिफ बढ़ने के बावजूद भारतीय बासमती की मांग में कोई गिरावट नहीं आई है। पिछले वर्ष जहां टैरिफ लागू नहीं था, तब भी भारत ने 2 लाख 70 हजार टन एक्सपोर्ट किया था। अब टैरिफ लगने के बावजूद राइस एक्सपोर्टर्स को उम्मीद है कि इस वर्ष भी उतनी ही मात्रा यानी 2 लाख 70 मिलियन टन बासमती अमेरिका भेजा जाएगा।
170 देशों तक पहुंची भारतीय बासमती की खुशबू
सतीश गोयल के अनुसार, भारत का बासमती अब 170 देशों में एक्सपोर्ट किया जा रहा है। इनमें सऊदी अरब, ईरान और इराक प्रमुख देश हैं। अकेले सऊदी अरब में हर साल करीब 1 मिलियन टन बासमती चावल भेजा जाता है, जबकि ईरान और इराक मिलाकर 2 मिलियन टन का एक्सपोर्ट होता है। इन तीन देशों में कुल 3 मिलियन टन चावल की डिलीवरी होती है, जो भारत के कुल एक्सपोर्ट का लगभग आधा हिस्सा है।

ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन के प्रेजीडेंट सतीश गोयल।
सरकारी नीतियों से बढ़ी एक्सपोर्ट क्षमता
बासमती एक्सपोर्ट में इस तेजी का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों को दिया जा रहा है। राइस एक्सपोर्टर्स के अनुसार, केंद्र सरकार की अनुकूल नीतियों, स्थिर विदेशी व्यापार नीति और क्वालिटी कंट्रोल पर फोकस के कारण भारत ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी साख मजबूत की है। यही कारण है कि आज भारत 170 देशों में बासमती का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर बनकर उभरा है।

करनाल नुरू महल में देशभर के आए राइस मिलरों का स्वागत करते प्रधान।
अगले साल 6.5 मिलियन टन का लक्ष्य तय
2025-26 में भारत ने 6.5 मिलियन टन बासमती एक्सपोर्ट करने का टारगेट रखा है। राइस एक्सपोर्टर्स को भरोसा है कि मौजूदा रफ्तार को देखते हुए यह लक्ष्य हासिल करना मुश्किल नहीं होगा। बढ़ती वैश्विक मांग, क्वालिटी में सुधार और सरकार की नीतिगत स्थिरता से बासमती उद्योग को लगातार बूस्ट मिल रहा है।
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भारत ने एक्सपोर्ट किया 2.7 मिलियन टन चावल: पाकिस्तान से छह गुना आगे, 170 देशों में बासमती की खुशबू – Karnal News