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टॉप-10 कंपनियों में से 9 का मार्केट-कैप ₹2.01 लाख-करोड़ बढ़ा: भारती एयरटेल टॉप गेनर रही, इसकी वैल्यू ₹54 हजार करोड़ बढ़कर 9.30 लाख करोड़ हुई Business News & Hub

टॉप-10 कंपनियों में से 9 का मार्केट-कैप ₹2.01 लाख-करोड़ बढ़ा:  भारती एयरटेल टॉप गेनर रही, इसकी वैल्यू ₹54 हजार करोड़ बढ़कर 9.30 लाख करोड़ हुई Business News & Hub

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मुंबई9 घंटे पहले

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पिछले हफ्ते के कारोबार में देश की टॉप-10 कंपनियों में से 9 का कंबाइन मार्केट कैपिटलाइजेशन 2.01 लाख करोड़ रुपए बढ़ा है। इनमें भारती एयरटेल को पिछले हफ्ते सबसे ज्यादा फायदा हुआ है। इसका मार्केट कैप ₹54,282 करोड़ बढ़कर 9.30 लाख करोड़ हो गया है।

ICICI बैंक का मार्केट कैप ₹29,662 करोड़ बढ़कर 8.80 लाख करोड़ हो गया है। वहीं टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज यानी TCS का मार्केट कैप ₹23,427 करोड़ बढ़कर ₹16.36 लाख करोड़ हो गया है।

इसके अलावा HUL, HDFC बैंक, इंफोसिस, ITC, रिलायंस इंडस्ट्रीज और SBI की मार्केट वैल्यू भी बढ़ी है। हालांकि, सिर्फ LIC की मार्केट वैल्यू गिरी है। LIC का मार्केट कैप ₹3,004 करोड़ घटकर ₹6.54 लाख करोड़ रह गया है।

पिछले सप्ताह सेंसेक्स में 2.10% की तेजी रही पिछले पूरे कारोबारी सप्ताह में सेंसेक्स में 2.10% यानी 1,707 अंकों की तेजी रही थी। वहीं हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार यानी 13 सितंबर को शेयर बाजार में गिरावट रही थी। सेंसेक्स 71 अंक की गिरावट के साथ 82,890 के स्तर पर बंद हुआ था। निफ्टी में भी 32 अंक की गिरावट रही, ये 25,356 के स्तर पर बंद हुआ था।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है? मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटस नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।

मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।

मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)

मार्केट कैप कैसे काम आता है? किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।

कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।

मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है? मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।

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