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पटाखों से निकलने वाला धुआं हवा में कई हानिकारक तत्व छोड़ता है, जैसे सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड. इनसे सांस की नली में दिक्कत होती है और बच्चों में खांसी, गले में खराश और सांस लेने की समस्या होने लगती है. यह समस्या तब ज्यादा होने लगती है, जब आपके बच्चे को पहले से एलर्जी या फिर अस्थमा की दिक्कत है.

केवल पॉल्यूशन ही नहीं, पटाखों का तेज शोर भी बच्चों के लिए खतरनाक है. एक्सपर्ट और डॉक्टर बताते हैं कि तेज आवाज सुनने से कई बच्चों की सुनने की क्षमता पर असर पड़ता है. इससे कानों में दर्द, चिड़चिड़ापन और नींद की समस्या भी देखने को मिलती है.

अगर लंबे समय तक तेज पटाखों की आवाज बनी रही और उससे पॉल्यूशन होता रहा, तो इससे कई लोगों का मानसिक तनाव भी बढ़ने लगता है. जिन लोगों को ऐसी दिक्कत हो, उनको खासकर दूर रहना चाहिए.

माता-पिता के लिए यह जरूरी है कि दिवाली के समय बच्चों को ज्यादा देर तक बाहर न रखें. कोशिश करें कि बच्चे घर के अंदर रहें और खिड़कियों-दरवाजों को बंद रखा जाए.

पटाखों से होने वाली चोट भी बच्चों के लिए बड़ा खतरा होती है. जलते पटाखों के दौरान बच्चों को अकेला न छोड़ें और हमेशा उनकी निगरानी करें.
Published at : 17 Oct 2025 07:20 PM (IST)
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