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ट्रिब्यून चौक पर फ्लाई ओवर का मामला: हाईकोर्ट में याचिका पर होगी सुनवाई, याचिकाकर्ता ने देना है अपना पक्ष – Chandigarh News Chandigarh News Updates

ट्रिब्यून चौक पर फ्लाई ओवर का मामला:  हाईकोर्ट में याचिका पर होगी सुनवाई, याचिकाकर्ता ने देना है अपना पक्ष – Chandigarh News Chandigarh News Updates

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चंडीगढ़ के ट्रिब्यून चौक पर फ्लाईओवर बनाने के विरोध में लगाई गई याचिका पर आज फिर से पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। सोमवार को 1 घंटा 20 मिंट हुई सुनवाई के बाद आज बाद दोपहर फिर से इसे सुनवाई के लिए रखा गया है। सोमवार को प्रशासन की तरफ से

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आज याचिकाकर्ता ने प्रशासन द्वारा दी गई दलीलों पर अपना जवाब रखना है। दलीलों पर यूटी प्रशासन और याचिका लगाने वाले व्यक्ति के वकीलों में इसे लेकर बहस भी होगी। इसके बाद ही अदालत की तरफ से इस पर फैसला सुनाया जाना है कि यहां पर फ्लाईओवर बनना चाहिए या नहीं।

बता दें कि चंडीगढ़ प्रशासन का तर्क है कि ट्रिब्यून चौक नेशनल हाईवे 5 पर बना हुआ है और यहां ट्रैफिक की समस्या बनी रहती है। जबकि याचिकाकर्ता का कहना है कि शहर में बहुत से ऐसे चौक हैं, यहां पर ट्रैफिक की समस्या है और इससे तो शहर फ्लाईओवर वाला शहर बनकर रह जाएगा। इससे शहर का मूल अनसितत्व ही समाप्त हो जाएगा।

सोमवार को सुनवाई के दौरान प्रशासन से किए थे यह सवाल

पंचकूला के निवासी जगवंत सिंह की तरफ से पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की हुई है। इसकी सुनवाई पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू की अदालत में सुनवाई चल रही है। सुनवाई के दौरान सवाल किया क्या चंडीगढ़ को यातायात को आसान बनाने के लिए अपने संस्थापक दर्शन और विरासत की बलि देनी चाहिए? पीठ ने यह भी कहा कि यह मामला किसी एक ढांचे तक सीमित नहीं है, बल्कि उस मूल तत्व से जुड़ा है, जिसने चंडीगढ़ को देशभर में अलग पहचान दिलाई। सुनवाई के अंत में चीफ जस्टिस ने कहा था कि अदालत इस मामले का फैसला बिना देरी के सुनाएगी। हम आज ही निर्णय करेंगे, चाहे जिस भी दिशा में हो।

यहां जानिए सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने क्या-क्या टिप्पणी की…

अगर विरासत चली गई, तो सब कुछ चला जाएगा चीफ जस्टिस ने कहा कि आपके शहर की विशिष्टता केवल उसकी विरासत की अवधारणा के कारण है। अगर वह चली गई, तो सब कुछ चला जाएगा। सवाल पूछा कि क्या हम ट्रैफिक की भीड़भाड़ के कारण विरासत की अवधारणा का त्याग कर सकते हैं? अगर ऐसा हुआ, तो बिल्डर आएंगे, ऊंची इमारतें बनेंगी और शहर की आत्मा खत्म हो जाएगी।

उन्होंने सवाल पूछा कि अगर एक फ्लाईओवर की अनुमति दी गई तो आगे और स्थानों पर इसकी मांग उठेगी, आज नहीं तो दस साल बाद, बीस या पचास साल बाद, पर क्या आप अपने शहर की विरासत को संरक्षित रखना चाहते हैं या नहीं।

चीफ जस्टिस ने पूछा सवाल- पैदल चलने वालों का क्या होगा पीठ ने केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन से सतत विकास के सिद्धांत पर विस्तृत तर्क देने को कहा और पूछा कि प्रस्तावित फ्लाईओवर योजनाओं में पैदल चलने वालों की सुरक्षा और सुविधा का क्या प्रावधान है। चीफ जस्टिस ने सवाल किया कि फ्लाईओवर की इस नई अवधारणा में पैदल चलने वालों की समस्या का समाधान कैसे होगा।

इस पर अदालत को बताया गया कि फ्लाईओवर का प्रस्ताव 114 वर्ग किलोमीटर के मास्टर प्लान जोन का हिस्सा है, जबकि पहले की सिफारिशों में फ्लाईओवर के निर्माण को चंडीगढ़ की दृश्य संरचना के लिए हानिकारक बताया गया था।

एक दिन पूरा शहर फ्लाईओवर बन जाएगा कार्यवाही के दौरान सीनियर एडवोकेट तनु बेदी ने कहा कि ट्रिब्यून चौक ही नहीं, मनीमाजरा लाइट पॉइंट, रेलवे स्टेशन, मटका चौक और सेक्टर 15 जैसे इलाके भी समान रूप से भीड़भाड़ वाले हैं। अगर यही सोच रही, तो एक दिन पूरा शहर फ्लाईओवर बन जाएगा। बेदी ने कहा कि कोई भी शहर मास्टर प्लान के अनुसार ही विकसित होता है और चंडीगढ़ की पहचान भी उसी पर आधारित है। कुछ लड़ाइयां जीतने के लिए नहीं, बल्कि लड़ने के लिए होती हैं और यह विरासत बचाने की वही लड़ाई है।

सुनवाई के अंत में चीफ जस्टिस शील नागू ने कहा कि अदालत इस मामले का फैसला बिना देरी के सुनाएगी। हम आज ही निर्णय करेंगे, चाहे जिस भी दिशा में हो।

ट्रिब्यून चौक पर बनने वाले फ्लाईओवर का डिजाइन।

ट्रिब्यून चौक पर बनने वाले फ्लाईओवर का डिजाइन।

2019 से चल रहे इस मामले में अब तक क्या…

एक साल पहले चंडीगढ़ प्रशासन से केंद्र ने मांगा था नया प्रपोजल चंडीगढ़ में ट्रिब्यून चौक पर ट्रैफिक व्यवस्था सुचारु करने के लिए 2019 में फ्लाई ओवर बनाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार से अप्रूव कराया था। मगर, इस पर हाईकोर्ट की तरफ से स्टे कर दिया गया था। एक साल पहले हाईकोर्ट से स्टे हटने के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने यूनियन मिनिस्ट्री आफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे को पत्र लिखकर इस प्रस्ताव को एक्सटेंड करने की मांग की गई थी।

विभाग की तरफ से केंद्र सरकार से एक नया प्रस्ताव दाखिल करने के लिए कहा गया था, क्योंकि पिछले 5 साल में फ्लाईओवर की कीमत और कई तरह की चीजों में बदलाव होने के कारण यह मांग की गई थी।

अदालत में PIL हुई थी दाखिल वर्ष 2019 में इस मामले को लेकर एनजीओ सरीन मेमोरियल फाउंडेशन और दी रन क्लब ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में एक PIL दाखिल की थी। उनका तर्क था कि यह फ्लाईओवर शहर के मास्टर प्लान-2031 के विरुद्ध है। कहा गया था कि फ्लाईओवर से शहर की विरासत छवि और दृश्यात्मक सुंदरता प्रभावित होगी।। हाईकोर्ट ने 2019 में पेड़ों की कटाई और निर्माण कार्य पर रोक लगा दी थी। इस वजह से चंडीगढ़ प्रशासन ने इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।

6 साल में बढ़ गया बजट 2019 में जब इस प्रोजेक्ट को तैयार किया गया था, उस समय इस प्रोजेक्ट की कीमत 137 करोड़ रुपए लगाई गई थी। इस फ्लाई ओवर के निर्माण में कुल 472 पेड़ों को काटा जाना था। इसमें से डेढ़ सौ को रीप्लांट करने की योजना थी। इसमें आम, नीम और गुलमोहर जैसे पुराने पेड़ शामिल थे। इन्हीं पेड़ों को काटने की वजह से इस प्रोजेक्ट को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।

मगर, इस प्रोजेक्ट को बनाए हुए6 साल हो गए हैं। इस 6 साल के दौरान महंगाई बढ़ने के कारण इस फ्लाई ओवर की लागत में भी बढ़ोतरी हो गई है। इस कारण केंद्र सरकार की तरफ से नया प्रोजेक्ट बनाने की मांग की गई थी। अब अदालत ने फिर से प्रशासन से पूछा है कि क्या ट्रैफिक सुधारने के लिए चंडीगढ़ की मूल पहचान को बदला जा सकता है।

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