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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को जीएसटी घटाने का एलान किया था। 22 सितंबर से जीएसटी की नई दरों को लागू किया गया। जीएसटी की घटी दरों को लेकर केंद्र सरकार देश भर में बचत उत्सव मना रही है। केंद्र सरकार से लेकर प्रदेश सरकार के तक के मंत्री जीएसटी घटने के बाद लोगों को बड़ी छूट व राहत की बाते कर रहे हैं। हकीकत में जीएसटी कम होने का असर उपभोक्ताओं तक पहुंच ही नहीं रहा।
हरियाणा सरकार के अधीन आने वाली सहकारी समिति वीटा ने 22 सितंबर को जीएसटी की नई दरों के अनुसार रेट कम किए महज 5 दिन बाद ही रेट दोबारा से बढ़ा दिए। मामले की शिकायत सरकार तक पहुंची तो महज एक सप्ताह के अंदर ही फिर से रेट कम कर दिए। केंद्र सरकार ने बटर, घी, चीज व डेयरी स्प्रेड्स पर जीएसटी 12 से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है। जिसके चलते औसतन 600 रुपये वाले घी पर करीब 42 रुपये की छूट मिलनी थी।
प्रदेश की सबसे बड़ी सहकारी समिति वीटा ने 22 सितंबर को जीएसटी की नई दरों के हिसाब से उपभोक्ताओं को आधी अधूरी राहत दी। घी के एक लीटर पैक पर 42 रुपये की छूट देने की बजाए 20 रुपये व 15 लीटर पैक पर 300 रुपये तक ही कम किए।
केवल पांच दिन बाद ही 27 सितंबर को वीटा ने चुपके से रेट बढ़ा दिए। घी एक लीटर की पैकिंग पर 20 रुपये तो 15 लीटर की पैकिंग पर 290 रुपये तक रेट बढ़ा दिए गए। बटर तथा घी के रेट अब 21 सितंबर जितने ही हो गए हैं। उपभोक्ताओं के लिए त्योहारी सीजन में जीएसटी कम होने का बचत उत्सव फीका हो गया है। केंद्र सरकार की ओर से दी गई राहत को बीच में ही निगल लिया गया है।
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हिसार में वीटा ने 20 दिन में चौथी बाद बदले रेट, मामला सरकार तक पहुंचा तो फिर घटाए

