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– सूची जारी करने में अबकी बागियों के तेवरों से जूझता रहा भाजपा-कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व
– चुनावी रणनीति बनाने के बजाय मान-मनौव्वल में ही निकल गए बड़े दलों के कई दिन
मोहित धुपड़
करनाल। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आज नामांकन का आखिरी दिन है मगर बुधवार देर रात तक बड़े सियासी दलों की सूचियां ही जारी होती रहीं। कांग्रेस ने जहां देर रात 40 प्रत्याशियों के नाम फाइनल किए, वहीं भाजपा ने भी सिरसा, महेंद्रगढ़ व फरीदाबाद एनआईटी से अपने तीन शेष प्रत्याशी घोषित कर दिए। इससे पहले आप और जजपा गठबंधन ने भी चुनाव लड़ने वाले अपने-अपने धुरंधरों के नामों पर मुहर लगाई। ये सभी प्रत्याशी आज अपना-अपना नामांकन दाखिल करेंगे।
सूबे में अबकी बार टिकट कटने से नाराज नेताओं की बगावत के चलते भाजपा और कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व बहुत ज्यादा जूझना पड़ा। जैसे-जैसे सूचियां जारी होती रहीं, नेताओं के तेवर बागी होते गए। कुछ नेताओं ने तो अपनी-अपनी पार्टियां तक छोड़ बतौर आजाद उम्मीदवार पर्चे दाखिल कर दिए। जिन्होेंने पार्टी नहीं छोड़ी, उनसे अब भितरघात का खतरा बन गया है।
हालात यह रहे कि चुनावी रणनीति बनाने की बजाय भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के कई दिन तो बागियों की मान-मनाैव्वल में ही गुजर गए। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, मनोहर लाल, सीएम नायब सैनी व वरिष्ठ नेता बिप्लब देब समेत कई वरिष्ठ नेता बागियों को संभालने में ही जुटे रहे। संघ ने भी इस दिशा में सकारात्मक प्रयास किया। कुछ बागी नेताओं को तो दिल्ली बुलाकर उन्हें समझाने का प्रयास किया गया।
हैरानी की बात तो यह रही कि कई नेता टिकट न मिलने की वजह से फूट-फूटकर रोए। चुनाव लड़ने की ऐसी बेताबी शायद ही सूबे की जनता ने चुनावी इतिहास में पहले कभी देखी होगी। नेताओं व उनके समर्थकों ने पदों से इस्तीफे तक दे दिए। इनमें विधायक, पूर्व मंत्री समेत निगम व बोर्ड के चेयरमैन तक शामिल थे। महा पंचायतें कर निर्दलीय चुनाव लड़ने के फैसले तक लिए गए।
उधर भाजपा के साथ-साथ बगावत का डर कांग्रेस को भी बराबर सता रहा था। इसी के चलते कांग्रेस ने 40 प्रत्याशियों की सूची नामांकन के आखिरी दाैर तक रुके रखी। नामांकन करने की अंतिम तिथि से एक दिन पूर्व यानी 11 सितंबर की देर रात इस सूची को संभवत: इस सोच के साथ जारी किया गया कि अगली सुबह बागियों को निर्दलीय चुनाव लड़ने की रणनीति बनाने का कम समय ही मिल पाएगा।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि सूची सार्वजनिक होने से पहले जिनका नाम फाइनल हो चुका था, उन्हें 11 सितंबर की सुबह ही नामांकन की तैयारी करने के लिए इशारा कर दिया गया था। इसी के चलते कलायत सीट से सांसद जयप्रकाश के बेटे विकास सहारण बुधवार सुबह ही अपना नामांकन बताैर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में भर चुके थे। दरअसल, रणदीप सुरजेवाला इस सीट से अपना प्रत्याशी उतारना चाहते थे। इसी तरह पलवल सीट से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समधी करण सिंह दलाल को टिकट मिली है मगर उन्होंने एक दिन पहले ही कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया था। दिल्ली में डेरा जमाए जिन नेताओं को टिकट कटने की भनक लग गई थी, वे सभी बुधवार शाम तक वापस अपने-अपने जिलों में लाैट आए थे।
दूसरी ओर अंबाला कैंट सीट पर तो कांग्रेस ने देर रात तक पते नहीं खोले। यहां से पूर्व मंत्री निर्मल सिंह की बेटी के लिए पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उनके सांसद बेटे दीपेंद्र पूरा जोर लगाते दिखे। पिता निर्मल को तो सिटी सीट से प्रत्याशी घोषित कर दिया गया मगर कैंट पर प्रत्याशी आज तय होगा। दरअसल अंबाला से सांसद रही सैलजा भी कैंट व सिटी सीट पर अपने प्रत्याशियों को टिकट दिलाने के लिए पूरा जोर लगा रहीं हैं।
बहरहाल चुनावी बिसात की बाजी अब बागी ही तय करेंगे। राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर जेएस नैन बताते हैं कि पहली बार हरियाणा के किसी भी चुनाव में ऐसी बगावत देखने को मिली है। जो नेता नाराज होकर निर्दलीय मैदान में उतर चुके हैं, वे तो सीधे ताैर पर सियासी दलों को नुकसान पहुंचाएंगे मगर जिन नाराज नेताओं ने पार्टी नहीं छोड़ी है, उनसे भितरघात का खतरा बना रहेगा। लिहाजा अब देखना यह है कि भाजपा और कांग्रेस के बागियों की नाराजगी को इनेलो, जजपा व आप किस तरह से भुनाती है।
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Karnal News: चुनावी बिसात पर बाजी तय करेंगे बागी