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बरसात के दिनों में सीवरेज लाइनों को खोलते हुए कर्मचारी। फाइल फोटो।
संवाद न्यूज एजेंसी सिरसा
शहर में लगभग 40 साल पहले सीवरेज लाइन बिछाई गई थीं। अब ये लाइनें खस्ताहाल हो गई हैं। उचित रखरखाव नहीं होने से बारिश के दिनों में सीवरेज ओवरफ्लो होता है। पांच साल पहले हो रहे चुनाव में भी यह मुद्दा बना था। उम्मीदवारों ने सीवरेज लाइन दुरूस्त कराने का आश्वासन दिया था। उसके बाद से पांच साल में कई बार सीवरेज सिस्टम को लेकर लोग विधायक, पार्षद से लेकर सांसद तक से गुहार लगा चुके हैं लेकिन समस्या अब भी बरकरार है। कहा जा रहा है कि पुरानी सीवरेज व्यवस्था को सुधारने के लिए 150 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट पास करवाया जा चुका है। आचार संहिता के बाद इस समस्या का समाधान हो जाएगा। वैसे पिछली बार की तरह इस चुनाव में भी यह बड़ा मुद्दा है। इस चुनाव में इसे विभिन्न दलों के नेता राजनीतिक मोहरें की तरह इस्तेमाल करेंगे।
जानकारी के अनुसार शहर की पुरानी आबादी को सबसे ज्यादा सीवरेज सिस्टम के कारण परेशानी उठानी पड़ती है। सीवरेज ओवरफ्लो होने की समस्या बनी रहती है। जिस समय सीवरेज लाइनें बिछाई गई थीं तब शहर की आबादी कम थी और मौजूदा समय में आबादी कई गुणा बढ़ गई है। बाजारों के निरंतर विकसित होने से भी सीवरेज सिस्टम पर दबाव बढ़ा है। ऐसे में पिछले पांच सालों में कई बार लोग इस समस्या को विधायक सहित अन्य नेताओं से मिल चुके है। बारिश के दिनों में शुद्ध पेयजल सप्लाई के लिए भी लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है।
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पांच साल में कई बार टूट चुकी है मुख्य लाइन
पुराने सीवरेज सिस्टम के कारण मुख्य लाइनों का टूटना जारी है। रानियां बाइपास और रानियां रोड पर मुख्य लाइन टूट चुकी है। दोनों लाइनों को सालों पहले बिछाया गया था। डेयरी के कारण इन लाइनों पर बुरा प्रभाव पड़ा था और लाइन टूट गई थी। इसके अतिरिक्त पांच साल में कई बार मुख्य लाइन टूटी है। शहर के अंदरूनी हिस्सों में निरंतर सीवरेज लाइन ब्लॉक रहने की समस्या बनी रहती है।
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यह बनाया गया है प्रोजेक्ट
जन स्वास्थ्य विभाग की ओर से वैध हुई कॉलोनियों और शहर की पुरानी क्षतिग्रस्त सीवरेज लाइनों को बदला जाएगा। इसके लिए 150 करोड़ रुपये की मंजूरी सरकार से मिल चुकी है। मंजूरी मिलने के बाद जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस परियोजना को मूर्तरूप देने का कार्य शुरू कर रहे हैं। इसकी रफ ड्राइंग तैयार कर मुख्यालय से पास करवाई जा चुकी है। अब डीएनआईटी यानी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट की दिशा में कार्य किया जा रहा है। अधिकारियों की माने तो आचार संहिता के बाद सीवरेज लाइन बिछाने की टेंडर प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
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जन स्वास्थ्य विभाग के पास यह मशीनरी
जनस्वास्थ्य विभाग के पास सीवरेज लाइनों की सफाई करने का कार्य होता है। जनस्वास्थ्य विभाग के पास सुपर सक्कर, एक रोबोटिक और एक जेटिंग मशीन है। सीवरेज लाइनों की सफाई विभाग की ओर से की जाती है। इसके लिए लोगों को ऑन लाइन शिकायत दर्ज करवानी पड़ती है, उसके बाद समाधान होता है।
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150 करोड़ रुपये की लागत से शहर की पुरानी लाइनों की बदलने और नई वैध हुई कॉलोनियों के लिए पूर्व में पास हो चुका है। आचार संहिता के बाद ही इस प्रोजेक्ट को लेकर आगामी कार्य किया जाएगा।
जसवंत सिंह, एसई, जन स्वास्थ्य विभाग
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शहर में पुराने सीवरेज सिस्टम के कारण सीवरेज की समस्या बनी रहती है। बारिश के दिनों में सीवरेज ओवरफ्लो होने के कारण बुरे हालात हो जाते है। सीवरेज लाइनों की सफाई नियमित रूप होनी चाहिए ताकि समस्या का समाधान हो सके।
गगनदीप सिंह, शहरवासी
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सीवरेज ब्लॉक की समस्या शहर की सबसे पुरानी समस्या है। इस ओर कोई सुनवाई नहीं करता है। साल में कई बार लोग धरना प्रदर्शन करते हुए नजर आते हैं। इस समस्या का स्थाई समाधान होना जरूरी है। पुराने शहर और बस्ती के इलाकों में बुरे हालात है।
रमनदीप सिंह, शहरवासी
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Sirsa News: 40 साल पुराना सीवरेज सिस्टम बना आफत, समाधान नहीं करा सके माननीय