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अंबाला जगाधरी नेशल हाइवे स्थित बीसी बाजार के पास मौजूद गोवंश और पास से गुजरते वाहन चालक।
– फोटो : अंबाला के सैन्य क्षेत्र में बनी डोमेस्टिक एयरपोर्ट की बिल्डिंग
अंबाला। बेसहारा गोवंश लोगों के लिए सिरदर्दी बन गए हैं और नगर परिषद सालों बाद भी इन गोवंश को सड़कों से हटाने का इंतजाम नहीं कर पाया है। ऐसे में हादसे लगातार बढ़ते जा रहे हैं और लोगों और वाहन चालकों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। बावजूद इसके नगर परिषद इस योजना को सिरे चढ़ाने के लिए कागजों में ही उलझकर रह गया है। कभी उन्हें मुख्यालय से इसकी अनुमति नहीं मिलती तो कभी फंड की कमी के कारण यह निविदा रुक जाती है। हैरानी की बात तो यह है कि नगर परिषद की दर्जनों चेतावनियों के बाद भी अंबाला छावनी की ग्वालमंडी, क्रॉस रोड, मोची मंडी, खटीक मंडी सहित कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां के पशु पालक दूध दोहने के बाद पशुओं को सड़कों पर छोड़ देते हैं जो गंदगी तो फैलाते ही हैं, साथ ही लोगों के आवागमन में भी बाधा बने हुए हैं।
बहानों पर टिकी कार्रवाई
नगर परिषद से जब भी इस मुद्दे पर बात करो तो विभागीय अधिकारियों का एक ही तर्क होता है कि गोशालाओं में जगह नहीं है और अपने पास गोशाला बनाने के लिए जगह नहीं है। जबकि पिछली कई बैठकों के दौरान गाड़ा-बाड़ा गांव के पास नगर परिषद की 15 से 20 एकड़ की जगह खाली पड़ी हुई है और यहां गोशाला के निर्माण को लेकर प्रस्तावित योजना तैयार भी हुई थी लेकिन दो साल बीतने के बाद भी यह योजना सिरे नहीं चढ़ पाई क्योंकि नगर परिषद इसे बनाना ही नहीं चाहती। इसका मुख्य कारण बेसहारा गोवंश के लिए चारे का प्रबंध और उनके उपचार को लेकर व्यवस्था बनाना नगर परिषद को सिरदर्दी प्रतीत होता है। वहीं, उन्हें यह भी डर सताता है कि कहीं गोवंश की जान चली गई तो उन्हें लोगों के गुस्से का शिकार बनना पड़ेगा। इसलिए नगर परिषद सिर्फ कागजी कार्रवाई में ही उलझी रहती है।
नंदी ज्यादा तो गाय कम
प्राथमिक जानकारी में सामने आया है कि अंबाला छावनी में नंदी की संख्या गाय के मुकाबले काफी अधिक है जोकि आसपास के क्षेत्रों से यहां छोड़ दिए जाते हैं। ऐसे ही कुछ नंदी जब बुजुर्ग हो जाते हैं तो किसान भी उन्हें धकेल कर छावनी क्षेत्र की तरफ भेज देते हैं। ऐसी कई जानकारियां पूर्व में भी नगर परिषद के अधिकारियों के पास पहुंची थी कि रात के समय ट्रेक्टर-ट्राली में लादकर नंदी लाए जाते हैं और उन्हें सड़कों पर छोड़कर अज्ञात लोग फरार हो जाते हैं।
गली-मोहल्ले सहित सिविल अस्पताल के पास भरमार
अंबाला छावनी की शायद ही कोई ऐसी गली या मोहल्ला हो, जहां पांच से दस तक बेसहारा गोवंश नजर न आ जाएं। वहीं अंबाला-साहा नेशनल हाइवे की बात करें तो छावनी बस अड्डे से लेकर टांगरी बांध तक 30 से ज्यादा गोवंश नजर आते हैं। सिविल अस्पताल चौक के पास तो 10 से 15 नंदी व गोवंश हमेशा डेरा डाले रहते हैं जोकि डिवाइडर पर लगे पौधों से अपना पेट भरते हैं और फिर आपस में भिड़कर वाहन चालकों व आमजन के लिए मुसीबत खड़ी करते हैं। नगर परिषद के अधिकारी खुद भी मानते हैं कि 150 से 200 के करीब गोवंश छावनी के अलग-अलग क्षेत्रों में घूम रहे हैं।
हादसों के बाद भी नहीं जागता प्रशासन
बेसहारा गोवंश के कारण पूर्व में कई बड़े हादसे हो चुके हैं,इसमें कई लोग मौत के आगोश में समा चुके हैं। वहीं इन बेसहारा गोवंश के कारण दोपहिया वाहन तो रोजाना ही चोटिल होते रहते हैं। हादसे के बाद बेसहारा गोवंश को पकड़ने के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। कुछ दिनों तक रोजाना बैठकों का दौर भी चलता है लेकिन जैसे-जैसे मामला ठंडा होता है तो बैठकें भी बंद हो जाती हैं और गोवंश को पकड़ने की कार्रवाई भी लंबित कर दी जाती है।
हमारी लगातार कोशिश है कि सड़कों पर घूम रहे बेसहारा गोवंश को सहारा दिया जाए लेकिन कई बार ऐसे हालात बन जाते हैं कि न तो इन गोवंश को गोशाला में रख पाते हैं और न ही किसी अन्य अस्थाई जगह पर। हालांकि इस मामले को लेकर मुख्यालय स्तर पर भी कई बार मंत्रणा हो चुकी है। फिर भी अपने स्तर पर अभियान चलाकर गोवंश को पकड़ा जाता है और उन्हें दूर-दराज के हरे-भरे क्षेत्रों में छोड़ दिया जाता है।
रविंद्र कुहाड़, कार्यकारी अधिकारी, नगर परिषद सदर।
अंबाला जगाधरी नेशल हाइवे स्थित बीसी बाजार के पास मौजूद गोवंश और पास से गुजरते वाहन चालक।– फोटो : अंबाला के सैन्य क्षेत्र में बनी डोमेस्टिक एयरपोर्ट की बिल्डिंग
अंबाला जगाधरी नेशल हाइवे स्थित बीसी बाजार के पास मौजूद गोवंश और पास से गुजरते वाहन चालक।– फोटो : अंबाला के सैन्य क्षेत्र में बनी डोमेस्टिक एयरपोर्ट की बिल्डिंग
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