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HPV Vaccine: इस महीने पाकिस्तान ने Human Papillomavirus (HPV) वैक्सीन को अपनी राष्ट्रीय टीकाकरण योजना में शामिल किया. इसके बाद सोशल मीडिया पर अफवाहें तेजी से फैल गईं, जिसमें दावा किया गया कि लड़कियां बीमार पड़ रही हैं और यह टीका बांझपन का कारण बन सकता है. हालांकि, स्वास्थ्य अधिकारी और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां इसे पूरी तरह गलत बता रही हैं. उनका कहना है कि वैक्सीन के आम साइड इफेक्ट्स हल्के और अस्थायी होते हैं, जैसे कि बांह में दर्द, हल्का बुखार या थकान. कोई भी वैज्ञानिक सबूत इस बात को साबित नहीं करता कि HPV वैक्सीन बांझपन का कारण बनता है.
पाकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्री मुस्ताफा कमाल ने कहा, “पाकिस्तान दुनिया का 151वां देश है जहां यह वैक्सीन दी जा रही है. इससे पहले यह टीका 150 देशों में इस्तेमाल हो चुका है, जिनमें लगभग सभी मुस्लिम देश भी शामिल हैं.” पाकिस्तान ने HPV वैक्सीन को सितंबर में पेश किया, जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), यूनिसेफ (UNICEF) और Gavi वैक्सीन एलायंस का समर्थन शामिल है. इस टीकाकरण का पहला चरण 9 से 14 वर्ष की उम्र की लड़कियों को टारगेट करता है, और आने वाले सालों में कवरेज बढ़ाने की योजना है.
पाकिस्तान में क्या स्थिति?
पाकिस्तान में विरोध की दो मुख्य रणनीतियां देखी जा रही हैं: Whataboutism और Cherry-picking. Whataboutism में लोग वैक्सीन के फायदे की बजाय अन्य बीमारियों का हवाला देते हैं, जैसे “पोलियो वैक्सीन विवादास्पद नहीं था?” या “ब्रेस्ट कैंसर ज्यादा आम है.” Cherry-picking में केवल कुछ घटनाओं को उठाकर वैक्सीन के खिलाफ प्रचार किया जाता है, जबकि लाखों लोगों पर इसके सुरक्षित होने के सबूत अनदेखा कर दिए जाते हैं.
एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में हर साल सर्विक्स 3,000 महिलाओं मौत होती है. सोशल मीडिया पर इसको लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या इतनी मौतें रोकनी जरूरी है, जबकि अन्य बीमारियों से ज्यादा लोग मरते हैं. पाकिस्तान जैसे देशों में इसका इलाज महंगा और कठिन है, और सामाजिक कलंक के कारण महिलाएं देर से इलाज के लिए आती हैं.
भारत में क्या रुख?
भारत में HPV वैक्सीन को लेकर रुख सकारात्मक है. कई राज्यों ने इसे स्कूलों और सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में लड़कियों के लिए पेश किया है. भारत सरकार और साझेदार संगठनों ने जागरूकता अभियान और सुरक्षित रोलआउट सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं. HPV वैक्सीन केवल एक टीका नहीं है; यह लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा का अवसर है. पाकिस्तान और भारत दोनों में यह दिखाता है कि सिर्फ सप्लाई पर्याप्त नहीं है, विश्वास और जागरूकता भी जरूरी है. माता-पिता को सही जानकारी देना, अफवाहों को समझाना और सुरक्षा के प्रमाण दिखाना बेहद जरूरी है.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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क्या है HPV वैक्सीन, जिसे लेकर पाकिस्तान में मचा बवाल? जानें इस पर भारत का क्या रुख?

