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नेपाल में Gen-Z प्रदर्शनकारियों ने सुशीला कार्की को देश का अंतरिम पीएम चुना है। उन्हें शुक्रवार रात राष्ट्रपति ने पद की शपथ दिलाई। वे 220 सालों के इतिहास में देश की पहली महिला पीएम बनी हैं।
इससे पहले सुशीला नेपाल सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस रह चुकी हैं। वे भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रवैए के लिए जानी जाती हैं। 2017 में जब इन्हें हटाने के लिए प्रचंड सरकार महाभियोग लेकर आई, तो सुशीला के समर्थन में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए थे।
मजबूरन सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा था। सुशीला के पति ने 52 साल पहले एक प्लेन हाईजैक किया था जिसकी चर्चा भारत में खूब हुई थी।

नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शुक्रवार को सुशीला कार्की को शपथ दिलाई।
इस स्टोरी में नेपाल की अंतरिम पीएम सुशीला कार्की के बारे में जानिए…
सुशीला ने अपने करियर की शुरुआत शिक्षक के रूप में की और बाद में जज बनीं। जब सुशीला 2016 में नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस बनीं, तो यह अपने आप में ऐतिहासिक था।
एक साल बाद 2017 में उन पर संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया। आरोप लगाया गया कि वे फैसलों से राजनीतिक दबाव के खिलाफ खड़ी हो रही हैं और न्यायपालिका की आजादी का गलत इस्तेमाल कर रही हैं।
असल में, नेताओं को डर था कि अगर कार्की कोर्ट में ऐसे ही सख्ती दिखाती रहीं, तो उनसे राजनीति और सत्ता को बड़ा नुकसान हो सकता है। इसलिए प्रचंड सरकार ने संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाकर उन्हें पद से हटाने की कोशिश की।
महाभियोग प्रस्ताव आने के बाद सैकड़ों छात्र, महिलाएं और आम लोग काठमांडू की सड़कों पर उतर आए। सुप्रीम कोर्ट ने भी एक ऐतिहासिक आदेश देकर कहा कि जब तक महाभियोग की सुनवाई पूरी नहीं होती, तब तक सुशीला कार्की को काम करने से नहीं रोका जा सकता।
जून 2017 में उनके रिटायरमेंट से सिर्फ एक दिन पहले संसद ने महाभियोग प्रस्ताव वापस ले लिया।

चीफ जस्टिस बनने से पहले भी वह अपने फैसलों को लेकर जनता की नजरों में लोकप्रिय हो चुकी थी। उन्होंने चीफ नेपाल में सरोगेसी को बिजनेस को बनने से रोका था।
उन्होंने साल 2015 में नेपाल सुप्रीम कोर्ट ने सरोगेसी (किराए की कोख) पर अहम फैसला दिया था। उस समय जस्टिस सुशीला कार्की की बेंच ने कहा कि सरोगेसी को बिजनेस नहीं बनने दिया जा सकता और गरीब महिलाओं का शोषण हो रहा है।
अदालत ने तुरंत प्रभाव से सरोगेसी पर रोक लगा दी। यह कदम खासतौर पर इसलिए अहम था क्योंकि भारत में बैन के बाद विदेशी कपल नेपाल आकर सरोगेसी करा रहे थे।
फैसले के बाद नेपाल सरोगेसी टूरिज्म का गढ़ बनने से बच गया और सरकार को इस पर कानून बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई।

2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी ने 11 जुलाई को शीतल निवास में सुशीला कार्की को नेपाल की मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई थी।
पति ने किया था प्लेन हाइजैक
वाराणसी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में पढ़ाई के सुशीला की मुलाकात दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुई। वहीं से दोनों का रिश्ता शुरू हुआ और शादी तक पहुंचा। सुशीला और उनके पति दुर्गा सुबेदी कई आंदोलन से जुड़े रहे हैं।
दुर्गा प्रसाद सुबेदी ने 10 जून 1973 को प्लेन हाईजैक किया था, जिसमें 22 लोग सवार थे। इनमें नेपाल के अभिनेता दंपती सीपी लोहानी और भारत की मशहूर अभिनेत्री माला सिन्हा भी थीं। सुबेदी ने नागेंद्र धुंगेल और बसंत भट्टाराई के साथ मिलकर प्लेन को हाईजैक कर लिया।
इस हाइजैकिंग का असली मकसद यात्रियों को नुकसान पहुंचाना नहीं था, बल्कि उस नकदी को लूटना था, जो बिराटनगर के बैंकों से लाई जा रही थी। 32 लाख रुपए का सरकारी धन विमान में मौजूद था। इस पैसे से राजा महेंद्र की राजशाही के खिलाफ चल रहे सशस्त्र आंदोलन को मजबूती मिलती।
इस ऑपरेशन के मास्टरमाइंड गिरिजा प्रसाद कोइराला थे जो बाद में नेपाल के प्रधानमंत्री बने। जैसे ही विमान फारबिसगंज (बिहार) में उतरा, जमीन पर पहले से इंतजार कर रहे लोग सक्रिय हो गए। कैश से भरे बक्से उतारे गए और सड़क के रास्ते दार्जिलिंग पहुंचा दिए गए। उसके बाद विमान को बाकी यात्रियों के साथ उड़ान भरने की अनुमति दे दी गई।
नेपाल के इतिहास की यह पहली हाइजैकिंग लंबे समय तक चर्चा में रही। एक साल के भीतर नागेंद्र धुंगेल को छोड़कर बाकी सभी अपहरणकर्ता भारत में गिरफ्तार कर लिए गए। दुर्गा प्रसाद सुबेदी को दो साल की सजा हुई और 1975 में आपातकाल के दौरान उन्हें रिहा कर दिया गया। पति के विवादित अतीत के बावजूद कार्की ने हमेशा अपनी पहचान खुद बनाई।
बीएचयू की यादें दिल में जिंदा
भारत से अपने जुड़ाव के बारे में सुशीला ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने बीएचयू में पढ़ाई की है और वहां की यादें आज भी उनके दिल में जिंदा हैं। उन्होंने अपने शिक्षकों और दोस्तों को याद किया और गंगा नदी के किनारे हॉस्टल में बिताए दिनों का जिक्र किया।
उन्होंने बताया कि वे गर्मियों की रातों में छत पर बैठकर बहती गंगा को निहारा करती थीं। उन्होंने यह भी कहा कि वे बिराटनगर की रहने वाली हैं, जो भारत की सीमा से बहुत नजदीक है। सिर्फ 40 किमी दूर। इसलिए वे अक्सर बॉर्डर मार्केट जाया करती थीं। हिंदी भी उन्हें आती है, भले ही बहुत अच्छी तरह नहीं।

तस्वीर 24 जुलाई 2025 की है। काठमांडू में नेपाल BHU एल्युमिनाई संपर्क इवेंट हुआ था। इसमें सुशीला कार्की ने संबोधित किया था।
भारत-नेपाल का रिश्ता मजबूत, कई रिश्तेदार भारत में रहते हैं
भारत और नेपाल के रिश्तों पर उन्होंने कहा था कि दोनों देशों के संबंध बहुत पुराने हैं। सरकारें चाहे बदलती रहें, लेकिन दोनों देशों की जनता का रिश्ता बेहद गहरा है। उनके कई रिश्तेदार और परिचित भारत में रहते हैं,और अगर उनके साथ कुछ होता है तो नेपाल के लोगों की आंखों में भी आंसू आ जाते हैं।
उन्होंने कहा था कि भारत ने हमेशा नेपाल की मदद की है और दोनों देशों के बीच गहरी आत्मीयता और प्रेम है। उनके अनुसार, जैसे रसोई में बर्तन एक साथ हों तो आवाज जरूर होती है, वैसे ही छोटे-मोटे मतभेद होते रहते हैं, लेकिन भारत और नेपाल का रिश्ता मजबूत है।
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