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दुनियाभर में दुबले बच्चों से ज्यादा मोटे बच्चे, इन देशों में सबसे गहरा है संकट Health Updates

दुनियाभर में दुबले बच्चों से ज्यादा मोटे बच्चे, इन देशों में सबसे गहरा है संकट Health Updates

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Unicef Report on Child Obesity: दुनिया में पहली बार बच्चों में दुबलेपन के बजाय मोटापे की समस्या बढ़ रही है. यूनिसेफ की नई रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड जंक फूड बच्चों के खान-पान पर हावी हो रहा है, जिससे उनकी सेहत और विकास गंभीर खतरे में है. रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में करीब 188 मिलियन यानी हर 10 में से एक बच्चा मोटापे का शिकार है.

यूनिसेफ की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर कैथरीन रसेल ने रिपोर्ट को लेकर कहा कि जब हम कुपोषण की बात करते हैं तो अब सिर्फ दुबले बच्चों की नहीं बल्कि मोटापों से जूझते बच्चों की भी चिंता करनी होगी. जंक फूड अब  फल, सब्जियां और प्रोटीन की जगह ले रहा है. जबकि बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए सही पोषण बहुत जरूरी होता है. 

मोटापे ने ली कुपोषण की जगह 

रिपोर्ट बताती है कि 5 से 19 साल के 9.2 प्रत‍िशत बच्चे दुबले हैं, जबकि 9.4 प्रत‍िशत बच्चे मोटापे का शिकार हैं. साल 2000 में जहां करीब 13% बच्चे दुबले थे और सिर्फ तीन प्रतिशत मोटे थे, वहीं अभी स्थिति उलट चुकी है. मोटापा अब सभी क्षेत्रों में कुपोषण से ज्यादा बड़ा खतरा बन चुका है.

किन देशों में हालत सबसे खराब 

  1. पैसिफिक आइसलैंड- नीयू और कुक आइसलैंड में 5 से 19 साल के बच्चों में मोटापे की दर सबसे ज्यादा है. 
  2. चिली, अमेरिका और यूएई-इन तीनों ही अमीर देशों में भी स्थिति गंभीर हैं. इन देशों में चिली में 27 प्रतिशत, अमेरिका में और यूएई में 21 प्रत‍िशत मोटापे की दर है. 
  3. ब्रिटेन- ब्रिटेन में साल 2000 में बच्चों में मोटापे कि दर 9 प्रत‍िशत थी जो 2022 में बढ़कर अब 11 प्रत‍िशत हो गई है. 
  4. केन्या- केन्या में पिछले 20 सालों में मोटी लड़कियों की संख्या दोगुनी होकर 13 प्रत‍िशत तक पहुंच गई है. 
  5. साउथ अफ्रीका- साउथ अफ्रीका में हर 8 में से एक बच्चा मोटापे से जूझ रहा है जबकि हर चार में से एक बच्चा स्टंटिंग का शिकार है. 

बच्चों की सेहत पर बड़ा असर 

यूनिसेफ की रिपोर्ट बताती है कि मोटापे से बच्चों में दिल की बीमारियां, डायबिटीज और कैंसर का खतरा बढ़ रहा है. अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड जैसे पैकेट वाले स्नेक्स, मीठे ड्रिंक, बिस्किट, केक और रेडी टू ईट मील्स बच्चों की डाइट पर हावी है. इन फूड्स में शुगर फैट और नमक की मात्रा ज्यादा होती है और यह इंडस्ट्रियल प्रोसेस से गुजरते हैं.  इस रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि स्कूल और बाजार जंक फूड से भरे पड़े हैं और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर इनकी मार्केटिंग बच्चों और अभिभावकों को टारगेट कर रही है. यूनिसेफ ने सरकारों से अपील की है कि जंक फूड पर लेबलिंग और टैक्स लगाया जाए. इसके अलावा स्कूलों में इनकी बिक्री और विज्ञापनों पर रोक हो साथ ही गरीब परिवारों को हेल्दी डाइट देने के लिए बेहतर योजनाएं बनाई जाए. इस रिपोर्ट में मेक्सिको के उस कदम की भी तारीफ की गई है, जहां स्कूल में जंक फूड की बिक्री और वितरण पर रोक लगाई गई है.

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