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भिवानी। करीब 36 करोड़ रुपयों का बजट खर्च कर दो नए टैंक निर्माण के बाद भी शहरवासी प्यासे हैं। पेयजल लाइनों की लीकेज और गंदे पानी की आपूर्ति शहर में बड़ी समस्या है। अधिकतर पुराने शहर में पानी की लाइनों में लीकेज की समस्या है, ऐसे में लोगों के घरों में स्वच्छ पानी तक नहीं पहुंच रहा है।
गर्मियों के अलावा सर्दियों में भी शहर जल संकट से घिर जाता है। हालांकि दो नए टैंक बनने के बाद शहर में पानी की कोई कमी नहीं होनी चाहिए थी, मगर इसे भ्रष्टाचार कहें या फिर अधिकारियों की तकनीकी खामियां। ये दो नए टैंक निर्माण होने के बाद आज तक पूरे नहीं भरे जा सके हैं। इन टैंकों को भरने की न तो जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के पास संसाधन और क्षमता है न ही सिंचाई विभाग की नहरों में इस वेग से पानी पहुंच पा रहा है।
भिवानी शहर की करीब सवा दो लाख की आबादी में अधिकांश बाहरी कॉलोनियों में तो पेयजल लाइन तक नहीं है। ये कॉलोनियां पिछले पांच सालों के दौरान शहर से बाहर आबाद हुई हैं, यहां का भूमिगत पानी भी पीने लायक नहीं है। ऐसे में शहरवासियों के लिए पानी की जरूरतों को पूरा करने का दारोमदार जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के कंधों पर ही टिका है। लेकिन जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग अपनी जिम्मेदारी का ठींकरा सिंचाई विभाग के सिर फोड़ देता है तो सिंचाई विभाग जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के संसाधनों को ही कसूरवार ठहराता है। ऐसे में जनता मूलभूत सुविधाओं की कमी की चक्की में पिस रही है।
अमृत प्रथम चरण में शहर में पानी और बरसाती पानी की निकासी के लिए 91 करोड़ का बजट खर्च किया गया, लेकिन इस बजट खर्च के बाद न तो किसी भी कॉलोनी की टेल तक पानी पहुंचा न ही गंदे पानी की आपूर्ति समस्या से निजात मिली। दो नए टैंक तो बना दिए, लेकिन ये सफेद हाथी ही साबित हो रहे हैं, इनके अंदर कभी भी चार फूट से अधिक पानी भंडारण नहीं हो पाता है। ये पानी पुराने शहर की सिर्फ पांच दिन मुश्किल से प्यास बुझा पाता है। – दीपक, शहरवासी।
शहर के अंदर करीब चार दशक से अधिक पुरानी पानी की लाइनें हैं। अधिकतर शहरी दायरे में तो पानी की लाइनें सीवर लाइनों के बेहद नजदीक से गुजर रही हैं। पानी के प्रेशर से पुरानी लाइनें फट रही हैं, जिसकी लीकेज के कारण घरों तक भी गंदा पानी पहुंच रहा है। ये पानी पीना तो दूर किसी भी कार्य में इस्तेमाल लायक नहीं होता। शिकायतें होने पर भी अधिकारी समाधान नहीं कर पा रहे हैं। भिवानी के विधायक खुद जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री रह चुके हैं, इससे पहले भी एक मंत्री भिवानी जिले से ही रही हैं, लेकिन इसके बावजूद यहां पानी जैसी मूलभूत सुविधा में कोई सुधार नहीं हुआ है। -वीरेंद्र सिंह, शहरवासी।
शहरभर में जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने प्रशासन के निर्देश पर जनसमस्या समाधान के नाम पर शहरी दायरे के वार्डों में शिविर लगाए थे। इन शिविरों में अधिकारियों के समक्ष शिकायतों के ढेर लगे, लेकिन एक भी समस्या का समाधान नहीं हुआ। अधिकारी केवल आश्वासन देकर चले जाते और लोग ज्यादा दबाव बनाते तो अधिकारी मौका देखकर आ जाते। कई जगह तो समाधान के नाम पर अधिकारियों ने गड्ढे खोद डाले, जिन्हें आज तक नहीं भरा गया है, समस्या तो वैसे ही लोग झेल रहे हैं। -नवीन प्रकाश, शहरवासी।
पूरे पांच साल तक शहर के लोग पानी की गंभीर समस्या से घिरे रहे हैं। भले ही सरकार की तरफ से करोड़ों का बजट भी लगा है, लेकिन किसी भी हिस्से में पानी की आपूर्ति बेहर नहीं हुई है। प्रशासन ने भी चुनाव नजदीक आने के बाद सरकार के निर्देश पर समाधान शिविर लगाए, लेकिन इन शिविरों में आई शिकायतों के ढेर ही प्रशासन के पास बढ़े हैं, जबकि लोगों की धरातल पर समस्याएं कम नहीं हुईं। प्रशासन और सरकार का दायित्व है कि शिकायत का जब तक पूरी तरह निवारण नहीं होता, उसे बंद नहीं करना चाहिए, मगर यहां तो यह भी पता नहीं होता कि अधिकारियों को दी शिकायत कहां गुम हो गई है। – सुदेश जांगड़ा, शहरवासी।
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Bhiwani News: करोड़ों खर्च कर बनाए नए टैंक फिर भी शहरवासी पानी के लिए तरसे