
[ad_1]
मुख्य गेट के सामने रख-रखाव के अभाव में क्षतिग्रस्तो होता ग्रीन काॅर। संवाद
अंबाला। रेलवे स्टेशन पर यात्री सुविधाओं के विस्तार की बड़ी-बड़ी योजनाएं बन रही हैं और इसकी रुपरेखा भी तैयार हो रही है, बावजूद इसके यह योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पा रही क्योंकि कभी इसे रेलवे की तरफ से स्वीकृति नहीं मिलती तो कभी योजना कागजी कार्रवाई में उलझकर दम तोड़ देती हैं।
इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रेलयात्रियों से जुड़ी सबसे अहम एटीएम मशीन की सुविधा भी लगभग पांच साल बाद स्टेशन पर मिल पाई है। जबकि इससे पहले लगेज स्कैनर, बूम बैरियर और कोच रेस्टोरेंट की ओर से कार्रवाई हो चुकी है। लेकिन कभी उचित जगह न मिलने के कारण और कभी अन्य किसी समस्या के कारण यह योजनाएं भी दम तोड़ गई हैं। इसी कड़ी में अब रेलवे परिसर में नई पार्किंग को लेकर योजना तैयार की गई है और इसके नक्शे पर भी माथा-पच्ची शुरु की गई है, जिससे कि स्टेशन पर लगातार बढ़ रही वाहनों की संख्या को नियंत्रण में किया जा सके और इसका फायदा रेलवे को राजस्व के रूप में मिले।
आठ माह से खराब स्कैनर
अंबाला कैंट रेलवे स्टेशन की सुरक्षा को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। बावजूद इसके सुरक्षा को लेकर आजतक कोई भी उचित प्रबंध नहीं हो पाए। त्योहारों और 15 अगस्त और 26 जनवरी को भी जांच के नाम पर संयुक्त चेकिंग करके काम निपटा दिया जाता है। इस दौरान न तो किसी आवागमन गेट पर संतरी तैनात किए जाते हैं और न ही रेलवे परिसर में। हालांकि इस लापरवाही का खुलासा सुरक्षा एजेंसियां अपनी पिछली रिपोर्टों में पहले भी कई बार कर चुकी हैं। हैरानी की बात यह है कि स्टेशन पर लगा एक मात्र लगेज स्कैनर पिछले लगभग आठ माह से खराब पड़ा है और उसकी जगह नया लगाने का कार्य भी कागजों में ही उलझा हुआ है।
ट्रेनों और यात्री संख्या में बढ़ोतरी
उत्तर रेलवे का अंबाला कैंट रेलवे स्टेशन दिल्ली, यूपी, हिमाचल, पंजाब, राजस्थान से जुड़ा हुआ है। मौजूदा समय में यहां से 300 ट्रेनों का आवागमन हो रहा है जोकि पहले 250 ट्रेनों तक सीमित था जबकि यात्रियों की संख्या प्रतिदिन के हिसाब से 25 से 30 हजार के बीच थी जोकि बढ़कर 50 हजार से अधिक हो गई है। ट्रेनों और यात्रियों की संख्या में लगातार हो रही बढ़ोतरी के बाद भी जो सुविधाएं मिलनी चाहिए वो स्टेशन पर नाममात्र हैं। इसका एक उदाहरण मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट है जोकि सभी प्लेटफार्मों पर आने वाले यात्रियों के लिए एक सबसे बड़ी समस्या है।
एक करोड़ किए थे खर्च
पूर्व मंडल रेल प्रबंधक दिनेश कुमार के कार्यकाल और स्टेशन निदेशक बीएस गिल की निगरानी में अंबाला कैंट रेलवे स्टेशन पर दो सुविधाओं का लगभग एक करोड़ की लागत से विस्तार किया गया था। प्लेटफार्म एक पर यूटीएस काउंटर के दूसरी तरफ आधुनिक शौचालय बनाया गया था। इसमें नामी कंपनियों का सामान लगाया गया था जोकि या तो चोरी हो चुका है या फिर खराब हो चुका है। अब यह शौचालय एक साधारण सुविधा रह गया है। इसी प्रकार रेलवे परिसर में तीन सर्विस लेन और ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण किया था लेकिन ये सर्विस लेन भी अब स्टेशन पर आने वाले यात्रियों के लिए अवरोधक बन गई हैं। इसका जहां मन करता है वो वहां अपने वाहन को खड़ा करके चला जाता है। जबकि इस व्यवस्था के तहत चंडीगढ़ की तर्ज पर बूम बैरियर लगाने का प्रस्ताव था जोकि सिरे नहीं चढ़ पाया। अगर ग्रीन कॉरिडोर की बात करें तो यह भी रख-रखाव के अभाव में तहस-नहस हो चुका है।
अधिकारियों के तबादले से रुकता है काम
पूर्व में जितनी भी योजनाएं बनीं वो सिरे नहीं चढ़ पाई। इसका कारण यह भी रहा कि कभी योजना तैयार करने वाले अधिकारी का तबादला हो गया तो कभी मंडल रेल प्रबंधक का। इस कारण जब नया अधिकारी कार्यभार संभालता है तो फिर नए सिरे से प्रक्रिया शुरु होती है जो काफी समय लेती है क्योंकि स्टेशन को विश्वस्तरीय बनाने के लिए पूर्व में फ्रांस की टीम सहित चंडीगढ़ आर्किटेक्ट कॉलेज की टीम ने बड़ी ही बारिकी से निरीक्षण किया था और नक्शे सहित अन्य कार्याें की रुपरेखा तैयार की थी जोकि अब कागजों में ही दफन हो चुकी है।
वर्जन
स्टेशन पर यात्री सुविधाओं में विस्तार को लेकर हमारी तरफ से लगातार कार्रवाई की जाती है। कई बार इसकी अनुमति मिलती है और कई बार नहीं भी, क्योंकि योजना बनाने के बाद इसे धरातल पर उतारने से पहले रुपरेखा तैयार करनी पड़ती है और यह भी देखना पड़ता है कि यात्री को इससे फायदा होगा या नहीं।इसलिए कभी-कभी कुछ समय लग जाता है।
नवीन कुमार, वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक, अंबाला मंडल।
मुख्य गेट के सामने रख-रखाव के अभाव में क्षतिग्रस्तो होता ग्रीन काॅर। संवाद
[ad_2]
Source link