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मोहाली में करोड़ों रुपए की लागत से बने इंटर स्टेट बस टर्मिनस (आईएसबीटी) की अव्यवस्था को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस शील नागू की पीठ ने पंजाब सरकार के मुख्य सचिव, ट्रांसपोर्ट सचिव, डीसी मोहाली और गमाडा
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यह जनहित याचिका मोहाली नगर निगम के डिप्टी मेयर कुलजीत सिंह बेदी ने एडवोकेट रंजीवन सिंह और रिशम राग सिंह के माध्यम से दाखिल की थी। याचिका में बताया गया कि मोहाली फेज-6 में बने आईएसबीटी में अब तक लंबे रूट की बसों का संचालन शुरू नहीं हो पाया है, जबकि बसें अब भी वेरका मिल्क प्लांट 1 के निकट मुख्य सड़क पर सवारियों को उतारती और चढ़ाती हैं। इस कारण हर समय मुख्य सड़क पर जाम की स्थिति बनी रहती है और जनता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
कई प्रयास विफल, अधिकारियों को भेजे पत्र और नोटिस बेअसर
याचिका में कहा गया है कि इस समस्या को लेकर उन्होंने कई बार संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखे और कानूनी नोटिस भी भेजे, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। 21 अगस्त को आरटीआई के जवाब में प्रिंसिपल सचिव, ट्रांसपोर्ट ने बताया कि सभी रोडवेज बसों के जिला महाप्रबंधकों को आदेश जारी किए गए हैं कि वे लंबे रूट की बसों को मोहाली बस स्टैंड के भीतर ही सवारियां उतारने और चढ़ाने की व्यवस्था सुनिश्चित करें। इसके बावजूद 26 अगस्त को बस स्टैंड की जांच के दौरान पाया गया कि बसें अभी भी मुख्य सड़क पर ही रुक रही हैं, जिससे यातायात प्रभावित हो रहा है।
बस टर्मिनस का उद्घाटन अधूरा, संचालन अब भी ठप
याचिका में आगे बताया गया कि वर्ष 2009 में मोहाली फेज-6 में इंटर स्टेट बस टर्मिनस के निर्माण के लिए कंपनी को टेंडर दिया गया था, जिसमें सिनेमा, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और अन्य सुविधाओं का प्रावधान था। 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस अधूरे बस टर्मिनस का उद्घाटन कर दिया था, लेकिन आज तक इसका पूरा संचालन शुरू नहीं हो पाया है।
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मोहाली आईएसबीटी को लेकर हाईकोर्ट सख्त: पंजाब के मुख्य सचिव को नोटिस, डीसी और गमाडा अफसरों से मांगा जवाब – Chandigarh News