चंडीगढ़। हिरासत में मौत के 29 साल पुराने मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पीड़ित पक्ष को इंसाफ देते हुए तत्कालीन को हत्या का दोषी करार दिया है। हाईकोर्ट ने अब उसे सजा सुनाने के लिए 12 सितंबर को पेश करने का आदेश दिया है। अभियोजन पक्ष के अनुसार 14 नवंबर, 1995 को गमदूर सिंह और बघेल सिंह को संगरूर रेलवे पुलिस ने हिरासत में लिया था। सम्मानीय लोगों के हस्तक्षेप के चलते उन्हें 9 दिन के बाद हिरासत से रिहा कर दिया गया। रिहाई के समय गमदूर सिंह की हालत गंभीर थी और उसे तुरंत पीजीआई चंडीगढ़ में भर्ती कराया गया था। गमदूर सिंह के साथ हिरासत में रखे गए बघेल सिंह ने कहा कि पुलिस अधिकारी ने मृतक की पसलियों पर डंडे से गंभीर वार किए और उसे बेरहमी से पीटा।
आरोपी पुलिस अधिकारियों और डीएसपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 325, 323, 324, 34, 343 के तहत आरोप पत्र दायर किया गया था। हालांकि ट्रायल कोर्ट ने उन्हें हत्या के आरोप से बरी कर दिया और केवल धारा 343 आईपीसी के साथ धारा 325, 324, 323 के साथ धारा 34 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराया। ट्रायल कोर्ट ने डीएसपी को सभी आरोपों से बरी कर दिया। इसके खिलाफ पंजाब सरकार व शिकायतकर्ता अपील में हाईकोर्ट आए थे।
हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि डीएसपी ने इस बात से इन्कार नहीं किया है कि उसने गवाह को धमकाया था, जो मृतक के साथ हिरासत में था। पीठ ने कहा कि बघेल सिंह द्वारा मुकरने के लिए दिया गया कारण कमजोर है और डीएसपी गुरसेवक सिंह के दबाव में है। बघेल सिंह ने डीएसपी गुरसेवक सिंह से खतरा बता सुरक्षा मांगी थी। इससे यह स्पष्ट है कि डीएसपी बघेल सिंह पर दबाव डाल रहा था। ऐसे में हाईकोर्ट ने डीएसपी को गमदूर सिंह की हत्या करने के लिए दोषी ठहराया है। हाईकोर्ट ने सजा पर सुनवाई के लिए 12 सितंबर को पेश करने का निर्देश दिया है।
Chandigarh News: हिरासत में मौत के मामले में 29 साल बाद तत्कालीन डीएसपी हत्या का दोषी करार