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छठे दिन की कथा में साक्षी गोपाल दास महाराज ने बताया कि भगवान कहते है जो प्राणी मुझे तत्व से जान लेता है वो आवागमन के चक्कर से छूट कर मेरे परमधाम को जाता है।
उन्होंने कहा कि भगवान एक ही है और उनको जानने के तीन स्तर है, पहले ब्रह्मज्ञानी जो भगवान को निराकार, दिव्य ज्योति या दिव्य प्रकाश मानते है सबसे अधिक संख्या इसी मत को मानने वालो की है। दूसरे ध्यान योगी है ये भगवान को अपने ह्रदय में देखते या खोजते है।
तीसरे भक्ति योग से भगवान को पाने का यत्न करते है। कथा में स्वामी ने आगे बताया कि जिस के पास छह तरह के ऐश्वर्य है वही परमात्मा कहला सकता है। महर्षि वेद व्यास कहते है श्री कृष्ण ही स्वयंभू भगवान है और उनको पाने का सब से सरल साधन भगवान की अनन्य प्रेम और भक्ति है।
जब कोई प्राणी अपने जीवन में भगवान को स्वीकार कर लेता है तो उसका जीवन आनन्द से भरना शुरू हो जाता है और उसके पापकर्म कटने लगते है। आज की कथा में स्वामी ने ये भी बताया की जो मनुष्य भगवान की कथा सुनता है, उसकी सारी व्यथा समाप्त हो जाती है। आज की कथा में भक्तो ने जोरशोर व हर्षोउल्लास से भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्स्व भी मनाया।
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