चरखी दादरी। जैन स्थानक में पर्युषण पर्व के दौरान धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। बच्चों ने भगवान महावीर स्वामी जयंती के उपलक्ष्य में भजन और नाटक की प्रस्तुति दी और उनके बताए मार्ग पर चलने का संदेश दिया।
साध्वी गीता महाराज ने श्रद्धालुओं को बताया कि पर्युषण पर्व जैन समुदाय का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्व है। पर्युषण पर्व का शाब्दिक अर्थ है आत्मा में अवस्थित होना है। पर्युषण का अर्थ है कर्मों का नाश करना। कर्मरूपी शत्रुओं का नाश तभी होगा जब आत्मा अपने स्वरूप में अवस्थित होगी इसलिए पर्युषण पर्व आत्मा का आत्मा में निवास करने की प्रेरणा देता है। यह सभी पर्वों का राजा है।
उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे प्राचीन जैन धर्म को श्रमणों का धर्म कहा जाता है। जैन धर्म का संस्थापक ऋषभ देब को माना जाता है, जो जैन धर्म के पहले तीर्थंकर थे। भारत के चक्रवर्ती सम्राट भरत के पिता थे। वेदों में प्रथम तीर्थकर ऋषभनाथ का उल्लेख मिलता है। जैन धर्म में 24 तीर्थकर हुए हैं। तीर्थकर अर्हतों में से ही होते हैं। जैन संस्कृति में जितने भी पर्व व त्योहार मनाए जाते हैं लगभग सभी में तप एवं साधना का विशेष महत्व है।