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मस्क की कंपनी स्टारलिंक ने UIDAI के साथ पार्टनरशिप की: सैटेलाइट इंटरनेट के लिए आसानी से कस्टमर जोड़ सकेगी कंपनी; टेलीकॉम मिनिस्ट्री मंजूरी दे चुकी Today Tech News

मस्क की कंपनी स्टारलिंक ने UIDAI के साथ पार्टनरशिप की:  सैटेलाइट इंटरनेट के लिए आसानी से कस्टमर जोड़ सकेगी कंपनी; टेलीकॉम मिनिस्ट्री मंजूरी दे चुकी Today Tech News

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नई दिल्ली58 मिनट पहले

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स्टारलिंक को भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस ऑपरेट करने के लिएIN-SPACe के अप्रूवल का इंतजार है।

इलॉन मस्क की कंपनी स्टारलिंक भारत में यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) के साथ मिलकर काम करेगी। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने बुधवार को इसका ऐलान किया है। UIDAI ने स्टारलिंक सैटेलाइट कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड को सब-ऑथेंटिकेशन यूजर एजेंसी बनाया है।

इस पार्टनरशिप के तहत, स्टारलिंक भारत में अपने यूजर्स के वेरिफिकेशन के लिए आधार बेस्ड ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल करेगा। प्रक्रिया से स्टारलिंक के लिए कस्टमर वेरिफिकेशन को फास्ट, सेफ और आसान हो जाएगा। इससे नो योर कस्टमर (KYC) नियमों का पालन करना भी आसान होगा।

इससे पहले जून में स्टारलिंक को सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस भारत में ऑपरेट करने के लिए टेलीकॉम डिपार्टमेंट का लाइसेंस मिल था। अब उसे सिर्फ इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर यानी, IN-SPACe के अप्रूवल का इंतजार है।

सैटेलाइट्स से आप तक कैसे पहुंचेगा इंटरनेट?

  • सैटेलाइट धरती के किसी भी हिस्से से बीम इंटरनेट कवरेज को संभव बनाती है। सैटेलाइट के नेटवर्क से यूजर्स को हाई-स्पीड, लो-लेटेंसी इंटरनेट कवरेज मिलता है। लेटेंसी का मतलब उस समय से होता है जो डेटा को एक पॉइंट से दूसरे तक पहुंचाने में लगता है।
  • स्टारलिंक किट में स्टारलिंक डिश, एक वाई-फाई राउटर, पॉवर सप्लाई केबल्स और माउंटिंग ट्राइपॉड होता है। हाई-स्पीड इंटरनेट के लिए डिश को खुले आसमान के नीचे रखना होगा। iOS और एंड्रॉइड पर स्टारलिंक का ऐप मौजूद है, जो सेटअप से लेकर मॉनिटरिंग करता है।

3 सवाल-जवाब में जानें स्टारलिंक से जुड़ी जरूरी बातें…

सवाल 1: स्टारलिंक क्या है और ये खास क्यों है?

जवाब: स्टारलिंक, स्पेसएक्स का प्रोजेक्ट है, जो सैटेलाइट्स के जरिए हाई-स्पीड इंटरनेट देता है। इसके सैटेलाइट्स पृथ्वी के करीब घूमते हैं, जिससे इंटरनेट तेज और स्मूथ चलता है। ये खासकर उन इलाकों के लिए फायदेमंद है, जैसे गांव या पहाड़, जहां आम इंटरनेट नहीं पहुंचता।

सवाल 3: स्टारलिंक को लाइसेंस मिलने में इतना वक्त क्यों लगा?

जवाब: स्टारलिंक 2022 से कोशिश कर रही थी, लेकिन सिक्योरिटी चिंताओं की वजह से देरी हुई। भारत सरकार ने डेटा सिक्योरिटी और कॉल इंटरसेप्शन जैसी शर्तें रखी थीं। स्टारलिंक ने इन शर्तों को माना, और मई 2025 में लेटर ऑफ इंटेंट मिलने के बाद अब लाइसेंस मिल गया।

सवाल 4: आम लोगों को क्या फायदा होगा?

जवाब: स्टारलिंक से गांवों और दूर-दराज के इलाकों में इंटरनेट पहुंचेगा, जिससे ऑनलाइन एजुकेशन, टेलीमेडिसिन, और बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, टेलीकॉम मार्केट में प्रतिस्पर्धा बढ़ने से सस्ते और बेहतर प्लान्स मिल सकते हैं।

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इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स को स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस भारत में ऑपरेट करने के लिए टेलीकॉम डिपार्टमेंट का लाइसेंस मिल गया है।

अब उसे सिर्फ इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर यानी, IN-SPACe के अप्रूवल का इंतजार है। रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है। पूरी खबर पढ़ें…

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