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– नेत्र विभाग में नेत्रदान पखवाड़े के 10वें दिन काला मोतियाबिंद की दी जानकारी
संवाद न्यूज एजेंसी
करनाल। जिला नागरिक अस्पताल के नेत्र विभाग में मंगलवार को 39वें नेत्रदान पखवाड़े के 10वें दिन मरीजों को नेत्रदान के प्रति जागरूक किया। वहीं काला मोतियाबिंद के लक्षणों व उपचार की विस्तृत जानकारी दी। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष मित्तल ने बताया कि काला मोतिया दृष्टि के चोर के रूप में जाना जाता है एवं दृष्टिहीनता का प्रमुख कारण बनता जा रहा है।
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. नितिका ने बताया कि काला मोतिया का असर नेत्र-तंत्रिका पर होता है। जिससे धीरे-धीरे अंधापन हो सकता है। इसमें प्राय: आंख का दबाव बढ़ जाता है। जिससे आंखों में तेज दर्द एवं आंखें लाल हो जाती हैं जो कि एक आपातकालीन स्थिति है लेकिन कई बार आंख का दबाव सामान्य होने पर भी काला मोतिया हो सकता है। उन्होंने बताया कि इस रोग में शुरुआत में अक्सर कोई लक्षण नहीं होते। कुछ मरीजों में आंख एवं सिर में दर्द, जलते हुए बल्ब के चारों ओर सात रंग का रंगीन घेरा दिखाई पड़ना, नजदीक के चश्मे का नंबर बार-बार बदलना, मरीज को सामने की वस्तुएं स्पष्ट दिखती हैं पर साइड की वस्तुएं धुंधली नजर आती हैं। इस मौके पर नेत्रदान काउंसलर सुमन, उर्मिला बिरला, किरण, अशोक राणा व विकास मौजूद रहे।
इलाज व बचाव
काला मोतिया का समय पर शुरू में इलाज होने से प्राय: अंधता से बचाव हो सकता है। काला मोतिया का इलाज दवाइयों, ऑपरेशन व लेजर से होता है। जिनके परिवार में पहले से काला मोतिया है, उनको काला मोतिया होने की संभावना अधिक हो जाती है। इसलिए परिवार के लोगों को नियमित रूप से आंखों की जांच नेत्र चिकित्सक से जरूर करवानी चाहिए। काला मोतिया में एक बार नजर जाने पर नजर को वापस नहीं लाया जा सकता है। काला मोतिया का इलाज शुरू होने पर डाॅक्टर की सलाह के बिना बंद नहीं करना चाहिए।
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दृष्टिहीनता का प्रमुख कारण बनता जा रहा काला मोतिया : डॉ. आशुतोष