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नासा बोला- कल्पना चावला की मौत से सबक लिया: कहा- अब सुनीता विलियम्स की वापसी में जल्दबाजी नहीं करेंगे; फरवरी 2025 में लौटेंगी ऐस्ट्रोनॉट Today World News

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31 मिनट पहले

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6 जून को स्पेस स्टेशन पहुंचने के बाद क्रू के साथ बुच विल्मोर और सुनीता विलियम्स। - Dainik Bhaskar

6 जून को स्पेस स्टेशन पहुंचने के बाद क्रू के साथ बुच विल्मोर और सुनीता विलियम्स।

नासा ने बोइंग के स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खराबी को देखते हुए भारतीय मूल की ऐस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स को अगले साल फरवरी में धरती पर वापस लाने का फैसला किया है। इस फैसले के पीछे एक बड़ी वजह अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला हैं।

दरअसल, 1 फरवरी 2003 को धरती के वायुमंडल में एंट्री करते ही भारतीय मूल की पहली महिला ऐस्ट्रोनॉट कल्पना चावला का कोलंबिया स्पेस शटल टूटकर जल गया था। इस हादसे में कल्पना समेत 7 लोगों की मौत हुई थी। इस हादसे के बाद से नासा अपने अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर और सावधान हो गया है।

नासा चीफ बिल नेल्सन ने कहा, “उस हादसे ने हमारे फैसले पर गहरा असर डाला है। उस वक्त नासा की तरफ से गलतियां की गई थीं। तब यहां माहौल बहुत अलग था। जूनियर फ्लाइट इंजीनियर्स की बातों और चेतावनियों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। हम नासा में हर शख्स को अपनी बात रखने का मौका देते हैं।”

कल्पना चावला की 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया स्पेस शटल से लौटते वक्त मौत हो गई थी।

कल्पना चावला की 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया स्पेस शटल से लौटते वक्त मौत हो गई थी।

अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सबसे अहम, स्पेस फ्लाइट हमेशा ही खतरनाक
नासा अधिकारियों ने बताया कि सुनीता विलियम्स के मामले में उन्हें बोइंग स्पेसक्राफ्ट से न लाने का फैसला एकमत से लिया गया था। बिल नेल्सन ने कहा कि स्पेस फ्लाइट सबसे सुरक्षित सफर के दौरान भी बेहद खतरनाक हो सकती है। हमारे लिए अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा प्राथमिकता है, जिसे देखते हुए यह फैसला लिया गया।

हरियाणा के करनाल में पैदा हुईं कल्पना चावला ने 16 जनवरी 2003 को नासा के स्पेस यान कोलंबिया स्पेस शटल से अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी थीं। 15 दिन की यात्रा पूरी करने के बाद 1 फरवरी को जब वह धरती पर लौट रही थीं तब लैंडिंग से 16 मिनट उनके एयरक्राफ्ट दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसमें सभी 7 अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई थी।

इसके अलावा 28 जनवरी 1986 को भी स्पेस शटल चैलेंजर में भी धरती पर लौटते वक्त विस्फोट हो गया था। इस हादसे में 14 ऐस्ट्रोनॉट्स की मौत हो गई थी।

85 दिन से स्पेस में फंसी सुनीता, अगले साल होगी वापसी
नासा ने 24 फरवरी को बताया था कि सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर फरवरी 2025 तक धरती पर लौटेंगे। NASA ने आखिरकार यह मान लिया था कि ISS पर फंसे दोनों एस्ट्रोनॉट को बोइंग के नए स्टारलाइनर कैप्सूल में लाना खतरनाक हो सकता है।

दोनों अंतरिक्ष यात्री 5 जून को इसी स्पेसक्राफ्ट से ISS भेजे गए थे। नासा ने बताया था कि सुनीता और बुच विल्मोर फरवरी में इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से लौटेंगे। वहीं, स्टारलाइनर कैप्सूल एक या दो हफ्ते में ISS से अलग होकर ऑटो पालयलट मोड पर वापस आने की कोशिश करेगा।

NASA के अधिकारी बिल नेल्सन ने कहा था, ‘बोइंग का स्टारलाइनर बिना चालक दल के धरती पर वापस आएगा।’ सुनीता और विल्मोर को 13 जून को वापस आना था, लेकिन स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खराबी के कारण उनकी वापसी टल गई थी।

सुनीता और विलमोर इतने लंबे समय तक स्पेस में कैसे फंस गए?
स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट के लॉन्च के समय से ही उसमें कई दिक्कतें थीं। इनके चलते 5 जून से पहले भी कई बार लॉन्च फेल हुआ था। लॉन्च के बाद भी स्पेसक्राफ्ट में दिक्कतों की खबर आई।

NASA ने बताया कि स्पेसक्राफ्ट के सर्विस मॉड्यूल के थ्रस्टर में एक छोटा सा हीलियम लीक है। एक स्पेसक्राफ्ट में कई थ्रस्टर होते हैं। इनकी मदद से स्पेसक्राफ्ट अपना रास्ता और स्पीड बदलता है। वहीं हीलियम गैस होने की वजह से रॉकेट पर दबाव बनता है। उसका ढांचा मजबूत बना रहता है, जिससे रॉकेट को अपनी फ्लाइट में मदद मिलती है।

लॉन्च के बाद 25 दिनों में स्पेसक्राफ्ट के कैप्सूल में 5 हीलियम लीक हुए। 5 थ्रस्टर्स काम करना बंद कर चुके थे। इसके अलावा एक प्रॉपेलेंट वॉल्व पूरी तरह बंद नहीं किया जा सका। स्पेस में मौजूद क्रू और अमेरिका के ह्यूस्टन में बैठे मिशन के मैनेजर मिलकर भी इसे ठीक नहीं कर पा रहे हैं।

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