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अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत पर और ज्यादा टैरिफ लगाने की धमकी दी है। उन्होंने सोमवार को कहा कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसे खुले बाजार में मुनाफे के साथ बेच रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत को इस बात की कोई परवाह नहीं है कि रूस के हमले से यूक्रेन में कितने लोग मारे जा रहे हैं। इस वजह वह भारत पर लगने वाले टैरिफ में भारी इजाफा करेंगे।
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने शुक्रवार को कहा था कि ऐसी खबरें हैं कि भारत ज्यादा दिन तक रूस से तेल नहीं खरीदेगा। उन्होंने कहा था कि उन्हें इन खबरों के सही होने की जानकारी नहीं है, लेकिन अगर ऐसा होता है तो यह अच्छी बात होगी। आगे देखते हैं कि क्या होता है।
दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि भारत ने अमेरिकी दबाव और कीमत बढ़ने की वजह से रूस से तेल खरीदना लगभग बंद कर दिया है। इन दावों को खारिज करते हुए ANI ने कहा था कि भारतीय कंपनियां अभी भी रूस से तेल खरीद रही है।
ट्रम्प के सलाहकार बोले- भारत ईमानदारी से पेश नहीं आ रहा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सलाहकार स्टीफन मिलर ने आज ही कहा है कि भारत, अमेरिका के साथ ईमानदारी से पेश नहीं आ रहा है।
मिलर ने फॉक्स न्यूज पर एक इंटरव्यू में कहा कि भारत खुद को हमारा करीबी देश बताता है, लेकिन इसके बावजूद वह हमारे सामानों को मंजूरी नहीं देता और अमेरिकी सामानों पर भारी टैरिफ लगाता है।
मिलर ने आगे कहा कि भारत, अमेरिका की इमिग्रेशन पॉलिसी का गलत फायदा उठाता है और अब रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से फंड कर रहा है।
मिलर का बयान ऐसे समय पर आया है जब अमेरिका, भारत पर रूस से तेल खरीदने को लेकर दबाव बना रहा है। मिलर ने कहा कि भारत अब चीन की तरह रूस का बड़ा ग्राहक बन गया है, जो हैरान करने वाली बात है।
हालांकि, स्टीफन मिलर ने यह भी माना कि ट्रम्प और मोदी के रिश्ते बेहद अच्छे रहे हैं, लेकिन उन्होंने साफ कहा कि अगर भारत ने संतुलन नहीं बनाया, तो अमेरिका के पास सभी विकल्प खुले हैं।
रॉयटर्स का दावा- भारतीय कंपनियों को कम फायदा
रॉयटर्स ने 30 जुलाई को अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारतीय तेल कंपनियां जैसे इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम ने रूस से तेल की खरीदी को रोक दी है, क्योंकि छूट कम हो रही है और शिपिंग में दिक्कतें आ रही हैं।
इसमे यह भी कहा गया था कि, पिछले एक सप्ताह में रूस से कच्चे तेल की मांग नहीं की गई है। भारतीय रिफाइनरियां रूसी कच्चा तेल कम खरीद रही हैं, क्योंकि वहां से मिलने वाली छूट 2022 के बाद से सबसे कम हो गई है।
अब रिफाइनरियों को डर है कि रूस पर लगे नए प्रतिबंधों से विदेशी व्यापार में मुश्किलें आ सकती है। यूरोपीय यूनियन ने 18 जुलाई को रूस पर नए प्रतिबंध लगाए थे। जिसमें रूसी तेल और ऊर्जा उद्योग को और अधिक नुकसान पहुंचाने के उपाय भी शामिल हैं ।
यूरोपीय यूनियन रूसी तेल की कीमत बाजार मूल्य से 15% कम रखने की कोशिश कर रहा है।
टैरिफ के ऐलान के बाद अमेरिकी तेल इंपोर्ट दोगुना
अप्रैल में ट्रम्प के टैरिफ ऐलान के बाद भारत ने अमेरिका से कच्चे तेल की खरीद दोगुनी कर दी है। अप्रैल-जून तिमाही में इसमें सालाना आधार पर 114% की बढ़ोतरी हुई है।
वहीं नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने 37 जरूरी दवाओं की कीमतें 10-15% तक घटा दी हैं। इनमें पेरासिटामोल, एटोरवास्टेटिन, और एमोक्सिसिलिन जैसी दवाएं शामिल हैं, जो हार्ट, डायबिटीज, और इंफेक्शन के मरीजों के लिए जरूरी हैं।
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ट्रम्प की भारत को ज्यादा टैरिफ लगाने की धमकी: कहा- भारत रूसी तेल खरीदकर मुनाफे पर बेच रहा, उसे यूक्रेन में मरने वालों की परवाह नहीं