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6 जून को स्पेस स्टेशन पहुंचने के बाद क्रू के साथ बुच विल्मोर और सुनीता विलियम्स।
भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स दो महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी अंतरिक्ष में हैं। अब उनकी वापसी फरवरी 2025 में होगी। इस दौरान उन्होंने अंतरिक्ष में लगभग 250 दिन बिताए होंगे।
लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने की वजह से उनके शरीर, आंख और डीएनए में कई तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे। इससे पहले किए गए अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने पर शरीर पर विपरीत असर पड़ता है।
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अंतरिक्ष से लौटने पर 3 बदलाव…
मांसपेशियों में बदलाव : अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण सुनीता की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं। लंबा समय बिताने पर उनकी हड्डियां भी कमजोर हो सकती हैं। हर महीने उनकी हड्डियों का घनत्व 1% कम हो सकता है।
नजर कमजोर होने का खतरा : लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने पर सुनीता को स्पेसफ्लाइट एसोसिएटेड न्यूरो ऑक्यूलर सिंड्रोम का सामना करना पड़ सकता है। इस समस्या में आंखों की नसों पर दबाव पड़ता है और नजर कमजोर हो जाती है।
रेडिएशन का खतरा संभव : अंतरिक्ष में सुनीता को उच्च स्तर के रेडिएशन (विकिरण) का सामना करना पड़ेगा। भविष्य में उनमें कैंसर व अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। शरीर की कोशिकाओं, डीएनए में भी परिवर्तन हो सकता है।
371 दिन अंतरिक्ष में बिताने वाले फ्रैंक में बदलाव दिखा
सुनीता से पहले भी कई अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में लम्बा समय बिता चुके हैं। सबसे ज्यादा दिनों तक अंतरिक्ष में रहने का रिकॉर्ड रूस के वालेरी के नाम है। उन्होंने अंतरिक्ष मे 437 दिन बिताए थे।
बीते वर्ष अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री फ्रैंक 371 दिन अंतरिक्ष में रहने के बाद वापस लौटे हैं। फ्रैंक पर हुई शोध में पता चला कि वापस आने पर उन्हें नजर संबंधी समस्याएं, डीएनए में बदलाव, वजन में कमी और इम्यून सिस्टम में परिवर्तन देखने को मिला।
सुनीता की मां बोलीं- बेटी के लिए परेशान नहीं, वह अनुभवी ऐस्ट्रोनॉट
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तस्वीर में सुनीता विलियम्स अपनी मां बोनी पांड्या के साथ।
सुनीता विलियम्स की मां बोनी पांड्या ने कहा कि वह अपनी बेटी के धरती पर लौटने में हो रही देरी को लेकर चिंतित नहीं हैं। अमेरिकी टीवी नेटवर्क न्यूज नेशन के होस्ट एंड्र्यू क्योमो को दिए इंटरव्यू में बोनी ने कहा, “सुनीता एक अनुभवी अंतरिक्ष यात्री हैं। मैं उन्हें कोई सलाह नहीं देती हूं। वह जानती है कि उसे क्या करना है। वह 400 दिनों तक भी अंतरिक्ष में रह चुकी है। सुनीता और बुच विल्मोर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में हैं और उनके पास वहां बहुत काम हैं।”
बोनी ने कहा, “नासा की टीम यह तय करना चाहती है कि सुनीता की वापसी पूरी तरह से सुरक्षित हो। इसी वजह से इसमें समय लग रहा है। मैंने 2 दिन पहले ही उससे बात की थी। उसने कहा है कि चिंता की कोई बात नहीं है। सब कुछ ठीक से चल रहा है।”
बेटी की अंतरिक्ष यात्रा के दौरान मां बोनी ने लिखी किताब
एक एस्ट्रोनॉट की मां के तौर पर अपने अनुभव पर बात करते हुए बोनी ने कहा, “मैं 20 साल से एक अंतरिक्ष यात्री की मां हूं। यह सुनीता की तीसरी अंतरिक्ष यात्रा है।” सुनीता विलियम्स की स्पेस यात्रा के दौरान 2022 में बोनी ने लिटिल टेल, बिग टेल्स नाम से एक किताब भी लिखी थी।
दूसरी तरफ, नासा ने बताया कि सुनीता और बुच के लिए ISS में सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। वहां खाने और ऑक्सीजन की भी पर्याप्त मात्रा है। हाल ही में 2 स्पेसक्राफ्ट के जरिए 8200 पाउंड का खाना, फ्यूल और दूसरी जरूरी चीजों के अलावा 3 टन का कार्गो ISS भेजा गया है।
85 दिन से स्पेस में फंसी सुनीता, अगले साल होगी वापसी
नासा ने 24 फरवरी को बताया था कि सुनीता विलियम्स और बुच फरवरी 2025 तक धरती पर लौटेंगे। NASA ने आखिरकार यह मान लिया था कि ISS पर फंसे दोनों एस्ट्रोनॉट को बोइंग के नए स्टारलाइनर कैप्सूल में लाना खतरनाक हो सकता है।
दोनों अंतरिक्ष यात्री 5 जून को इसी स्पेसक्राफ्ट से ISS भेजे गए थे। नासा ने बताया था कि सुनीता और बुच विल्मोर फरवरी में इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से लौटेंगे। वहीं, स्टारलाइनर कैप्सूल एक या दो हफ्ते में ISS से अलग होकर ऑटो पालयलट मोड पर वापस आने की कोशिश करेगा।
NASA के अधिकारी बिल नेल्सन ने कहा था, ‘बोइंग का स्टारलाइनर बिना चालक दल के धरती पर वापस आएगा।’ सुनीता और विल्मोर को 13 जून को वापस आना था, लेकिन स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खराबी के कारण उनकी वापसी टल गई थी।
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सुनीता और विलमोर को स्पेस स्टेशन पर क्यों भेजा गया था
सुनीता और बुश विलमोर बोइंग और NASA के जॉइंट ‘क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन’ पर गए थे। इसमें सुनीता, स्पेसक्राफ्ट की पायलट थीं। उनके साथ गए बुश विलमोर इस मिशन के कमांडर थे। दोनों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में 8 दिन रुकने के बाद वापस पृथ्वी पर आना था।
लॉन्च के समय बोइंग डिफेंस, स्पेस एंड सिक्योरिटी के प्रेसिडेंट और CEO टेड कोलबर्ट ने इसे स्पेस रिसर्च के नए युग की शानदार शुरुआत बताया था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य स्पेसक्राफ्ट की एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन तक ले जाकर वापस लाने की क्षमता साबित करना था।
एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन पर 8 दिन में रिसर्च और कई एक्सपेरिमेंट भी करने थे। सुनीता और विलमोर पहले एस्ट्रोनॉट्स हैं जो एटलस-वी रॉकेट के जरिए स्पेस ट्रैवेल पर भेजे गए। इस मिशन के दौरान उन्हें स्पेसक्राफ्ट को मैन्युअली भी उड़ाना था। फ्लाइट टेस्ट से जुड़े कई तरह के ऑब्जेक्टिव भी पूरे करने थे।
सुनीता और विलमोर इतने लंबे समय तक स्पेस में कैसे फंस गए?
स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट के लॉन्च के समय से ही उसमें कई दिक्कतें थीं। इनके चलते 5 जून से पहले भी कई बार लॉन्च फेल हुआ था। लॉन्च के बाद भी स्पेसक्राफ्ट में दिक्कतों की खबर आई।
NASA ने बताया कि स्पेसक्राफ्ट के सर्विस मॉड्यूल के थ्रस्टर में एक छोटा सा हीलियम लीक है। एक स्पेसक्राफ्ट में कई थ्रस्टर होते हैं। इनकी मदद से स्पेसक्राफ्ट अपना रास्ता और स्पीड बदलता है। वहीं हीलियम गैस होने की वजह से रॉकेट पर दबाव बनता है। उसका ढांचा मजबूत बना रहता है, जिससे रॉकेट को अपनी फ्लाइट में मदद मिलती है।
लॉन्च के बाद 25 दिनों में स्पेसक्राफ्ट के कैप्सूल में 5 हीलियम लीक हुए। 5 थ्रस्टर्स काम करना बंद कर चुके थे। इसके अलावा एक प्रॉपेलेंट वॉल्व पूरी तरह बंद नहीं किया जा सका। स्पेस में मौजूद क्रू और अमेरिका के ह्यूस्टन में बैठे मिशन के मैनेजर मिलकर भी इसे ठीक नहीं कर पा रहे हैं।
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सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष से 250 दिन बाद लौटेंगी: हड्डियां-आंखें कमजोर हो जाएंगी, डीएनए में बदलाव संभव; भविष्य में कैंसर का खतरा