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पं. विजयशंकर मेहता
आजकल किसी से भी मिलना हो तो भेंट-मुलाकात का समय लेना पड़ता है। एक ‘अपॉइंटमेंट’ खुद से भी लीजिए 24 घंटे में और उसका नाम है योग। इसका एक स्वरूप तो है सेवा। जब आप योग करते हैं, तो इंद्रियां भीतर की ओर मुड़ती हैं, आत्मा की ओर चलती हैं। जब सेवा करते हैं, तो इंद्रियां बाहर की ओर मुड़ती हैं और परमात्मा की ओर चल पड़ती हैं।
वैसे तो कहते हैं, परमात्मा भीतर ही देखा जा सकता है, पर यदि कोई सच्ची सेवा करे, तो परमात्मा बाहर भी दिख जाता है। तो खुद से ‘अपॉइंटमेंट’ 24 घंटे में योग के माध्यम से एक बार तो जरूर करें। अब समय आ गया है कि आपकी सेवा स्वच्छता से जुड़े। मंदिरों में जिस तरह की गंदगी पसर रही है, यह हमारे ही कारण है।
रामायण में वर्णन आता है कि पंचवटी में श्रीराम, लक्ष्मण और सीता ने जो कुटिया बनाई थी, उसके आसपास का वातावरण अत्यधिक स्वच्छ था। और हम राम भक्त होकर स्वयं गंदगी फैलाते हैं। जब अपने से जुड़ें, तब एकांत हो, और जब परमात्मा से जुड़ें तो स्वच्छता हो, यह है ‘सेल्फ अपॉइंटमेंट’।
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पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: खुद से भी भेंट-मुलाकात का एक समय तय करें