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मुरथल के ढाबे पर नाश्‍ते से शुरू हुआ ‘धोखाधड़ी का सबसे अनोखा केस’, हर बूंद खून के लिए वसूले 5000 रुपये, जान घूम जाएगा आपका माथा Haryana News & Updates

मुरथल के ढाबे पर नाश्‍ते से शुरू हुआ ‘धोखाधड़ी का सबसे अनोखा केस’, हर बूंद खून के लिए वसूले 5000 रुपये, जान घूम जाएगा आपका माथा Haryana News & Updates

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गुरुग्राम : लकवे के इलाज आस लगाए लोगों को ठगने वाले एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है. इसमें पकड़ा गए व्यक्ति खुद को डॉ. आर जेरीवाला बताकर लकवा ठीक करने का दावा करता था. यह फर्जी डॉक्टर मरीजों से यह कहकर लाखों रुपये ऐंठता था कि वह उनके शरीर से ‘जहरीला खून’ निकालकर इलाज करता है और हर बूंद खून के लिए 5,000 रुपये वसूलता था. ऐसी एक धोखाधड़ी की शुरुआत मुरथल के एक ढाबे (Murthal Dhaba) पर शुरू हुई, जिसने इस चौंका देने वाली धोखाधड़ी का खुलासा किया. आइये जानते हैं डिटेल में…

दरअसल, यह धोखाधड़ी 30 नवंबर 2024 को तब शुरू हुई, जब एक 67 वर्षीय आंशिक रूप से लकवाग्रस्त व्यक्ति और उनकी पत्नी जो एक रिटायर सरकारी टीचर हैं, मुरथल के एक ढाबे पर नाश्ता कर रहे थे. वहां उनकी मुलाकात मोहम्मद कासिम नामक युवक से हुई, जिसने खुद को नितिन अग्रवाल बताया और दावा किया कि उसके पिता का इलाज इसी डॉक्टर जेरीवाल ने किया था और वो ठीक भी हो गए थे. उसने दिल्ली के द्वारका स्थित एक पता और नंबर उन्‍हें दिया.

इसके बाद डॉक्टर के ‘सहायक’ समीर ने दावा किया कि डॉक्टर फिलहाल दुबई और कनाडा में बिजी हैं. कुछ दिन की बातचीत और विश्वास जमाने के बाद 4 दिसंबर को दंपती के घर पर इलाज का ड्रामा रचा गया. समीर ने उन्‍हें पहले गर्म तौलिया थेरेपी दी, फिर डॉ. जेरीवाला ने नाटकीय एंटी ली. उसने लकवाग्रस्त अंगों पर ब्लेड से चीरे लगाए और खून पाइप से निकाला और उसे रसायन लगे कपड़े पर डाला, जिससे वह पीला हो गया. डॉक्टर ने इसे ‘जहरीला खून’ बताते हुए दावा किया कि उसने खुद को भी जोखिम में डाला है, क्योंकि जहर उसके मुंह में चला गया है.

25 लाख रुपये का बिल पकड़ाया

इसके बदले डॉक्टर ने खून की हर बूंद के लिए 5000 रुपये की मांग की और कुल मिलाकर 25 लाख रुपये का बिल पकड़ा दिया. पीड़ित दंपती ने 1 लाख रुपये नकद दिए और 19 लाख रुपये अगले दिन ट्रांसफर कर दिए. इसके बाद आरोपी फोन बंद कर फरार हो गए.

ठगे जाने का शक होते ही उन्‍होंने 23 दिसंबर को सेक्टर 65 थाने में डॉ. ज़रीवाला, नितिन, समीर और मीनाक्षी के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया गया. पुलिस को आरोपियों का पता लगाने में महीनों लग गए. इसी दौरान एक मोबाइल नंबर की ट्रैकिंग से टीम राजस्थान के सनोद गांव पहुंची, जहां एक महिला के पास वह सिम मिला. पूछताछ से सुराग मिला कि यह सिम अवैध तरीके से खरीदा गया था.

लगातार चार महीने की जांच और टेक्‍नीकल निगरानी के बाद 4 अप्रैल को पुलिस ने मोहम्मद कासिम को गिरफ्तार किया, जिसने कबूला कि उसे 2.5 लाख रुपये हिस्से में मिले थे. आगे की छानबीन में समीर का भाई आमिर भी पकड़ा गया, जिसे 1.5 लाख रुपये मिले थे. डॉ. जेरीवाला की पहचान मोहम्मद जाहिर के रूप में हुई, जिसने समीर के साथ अग्रिम जमानत लेकर 20 लाख रुपये लौटाए. लेकिन जांच में सहयोग न करने पर दोनों को दोबारा गिरफ्तार किया गया और उनकी जमानत रद्द करने की अर्जी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल की गई.

पीड़ित दंपती के बेटे हिमांशु ने बताया कि शुरुआत में हम सदमे में थे पर डीसीपी हितेश यादव और सब-इंस्पेक्टर गौरव की मेहनत से पूरा गिरोह पकड़ा गया और हमारी रकम भी वापस मिल गई.

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