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पंजाब में अकाली दल को झटका: खरड़ से 2 बार चुनाव लड़ चुके नेता ने पार्टी छोड़ी; सुखबीर बादल के करीबी माने जाते थे – Punjab News Chandigarh News Updates

पंजाब में अकाली दल को झटका:  खरड़ से 2 बार चुनाव लड़ चुके नेता ने पार्टी छोड़ी; सुखबीर बादल के करीबी माने जाते थे – Punjab News Chandigarh News Updates

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शिरोमणि अकाली दल के नेता रणजीत सिंह गिल ने पार्टी काे कहा अलविदा। (फाइल फोटो)

शिरोमणि अकाली दल को खरड़ से बड़ा झटका लगा है। पार्टी के सीनियर नेता और रियल एस्टेट कारोबारी रणजीत सिंह गिल ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया है। वे पार्टी में हलका इंचार्ज की जिम्मेदारी संभाल रहे थे और दो बार खरड़ विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं,

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हालांकि उन्हें जीत नहीं मिली। रणजीत सिंह गिल सुखबीर बादल के करीबी माने जाते हैं। अकाल तख्त साहिब से जत्थेदारों को हटाना, जिससे इलाके के लोगों में गहरा रोष था। पार्टी की अंदरूनी कमेटियों में हलके के नेताओं की अनदेखी और बाहरी लोगों को जिम्मेदारियां सौंपना। गिल ने कहा कि यह फैसला उन्होंने स्थानीय वर्करों से सलाह के बाद लिया है। अब वह पार्टी से पूरी तरह किनारा कर चुके हैं।

रणजीत सिंह गिल ने इस्तीफे की 4 वजह बताईं

1. रणजीत सिंह गिल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि अकाली दल में कुछ ऐसे लोग शामिल हो गए हैं, जिनके फैसलों से जो लोग अकाली दल से जुड़े हुए थे, उनमें निराशा आ गई है। वहीं, यह उन लोगों को प्रमोट करने लगे हैं, जिनका अकाली दल की ऑडियोलॉजी से कोई लेना-देना नहीं था। हमारे परिवार सालों से अकाली दल से जुड़े हुए हैं।

2.आज जो फैसला लेना पड़ा है, वह मेरे हलके के लोगों की भावनाओं का फैसला है। रविवार को हमारे वर्करों से मीटिंग हुई थी, जिसमें उन्होंने मुझसे कहा था कि पार्टी प्रधान साहब को बताओ। मैंने यह बात पार्टी प्रधान को बताई थी।

3. पहले शिरोमणि अकाली दल के पीछे बेअदबी, डेरा प्रमुख को माफी देने और बरगाड़ी जैसे लगे हुए। चलो, फिर माफीनामा हुआ। हमारे धर्म में प्रथा है कि कोई सच्चे दिल से माफी मांगता है, तो उसे माफी दी जाती है। लेकिन उसके बाद जो श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदारों को हटाने की प्रथा हुई है, उससे हमारे हलके के वर्करों में निराशा थी। हमने यह बात प्रधान साहब को बताई और कहा कि एसजीपीसी को अपना फैसला वापस लेना चाहिए।

4.जब यह बात पार्टी प्रधान को बताई गई, तो इसका खामियाजा यह भुगतना पड़ा कि जब पार्टी की कोर कमेटी या वर्किंग कमेटी बनी, तो उसमें हलके के नेताओं को कोई नुमाइंदगी नहीं दी गई, जबकि बाहर से लोगों को लाकर यहां लाया गया।

रणजीत सिंह गिल पूर्व मुख्यमंत्री स्व. प्रकाश सिंह बादल के साथ। (फाइल फोटो)

रणजीत सिंह गिल का राजनीतिक सफर

रणजीत सिंह गिल लंबे समय से पार्टी से जुड़े हुए हैं। वह मूल रूप से रोपड़ के रहने वाले है। वह अपने गांव में सरपंच भी रह चुके हैं। 2017 में उन्होंने खरड़ विधानसभा क्षेत्र से पहली बार चुनाव लड़ा, लेकिन उस समय उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उस चुनाव में सीनियर पत्रकार कंवर संधू ने जीत हासिल की थी, जबकि गिल दूसरे नंबर पर रहे थे।

इसी तरह, साल 2022 में उन्होंने फिर से अकाली दल की टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन सिंगर अनमोल गगन मान से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। फिर भी, वह पार्टी से जुड़े रहे।

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