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बांग्लादेश से फिल्ममेकर सत्यजीत रे का घर बचाने की अपील: भारत ने कहा- पुश्तैनी इमारत गिराने पर दोबारा सोचें, मरम्मत में मदद देने को तैयार Today World News

बांग्लादेश से फिल्ममेकर सत्यजीत रे का घर बचाने की अपील:  भारत ने कहा- पुश्तैनी इमारत गिराने पर दोबारा सोचें, मरम्मत में मदद देने को तैयार Today World News

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नई दिल्ली1 मिनट पहले

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बांग्लादेश में सत्यजीत रे का घर लगभग सौ साल पहले बनाया गया था। 1947 में बंटवारे के बाद यह संपत्ति बांग्लादेश सरकार के अधीन हो गई थी।

भारत ने मंगलवार को बांग्लादेश से प्रसिद्ध फिल्ममेकर और साहित्यकार सत्यजीत रे की पैतृक संपत्ति को ध्वस्त करने के फैसले पर रोक लगाने की अपील की। भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने बांग्लादेश सरकार से कहा कि उन्हें अपने फैसले पर पुनर्विचार करने करना चाहिए।

विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘हमें बहुत दुख है कि बांग्लादेश के मैमनसिंह में स्थित सत्यजीत रे के पुश्तैनी घर को ध्वस्त किया जा रहा है। यह घर सत्यजीत रे के दादा और प्रख्यात साहित्यकार उपेंद्र किशोर रे चौधरी की थी। यह संपत्ति अभी बांग्लादेश सरकार के स्वामित्व में, जर्जर अवस्था में है।’

मंत्रालय ने कहा, ‘यह इमारत बांग्ला सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक है। इमारत के इतिहास को देखते हुए बेहतर होगा कि इसे साहित्य संग्रहालय और भारत-बांग्लादेश की साझा संस्कृति के प्रतीक के तौर पर मरम्मत और पुनर्निर्माण के विकल्पों पर विचार किया जाए। भारत सरकार इसके लिए मदद देने को तैयार है।’

सत्यजीत रे एक प्रसिद्ध भारतीय फिल्म डायरेक्टर और लेखक थे। उन्हें विश्व सिनेमा के बड़े फिल्मकारों में से एक माना जाता है। बांग्लादेश में सत्यजीत रे का घर लगभग सौ साल पहले बनाया गया था। 1947 में बंटवारे के बाद यह संपत्ति बांग्लादेश सरकार के अधीन हो गई थी।

विदेश मंत्रालय ने 15 जुलाई को बांग्लादेश सरकार को सत्यजीत रे के घर की मरम्मत के लिए मदद की पेशकश की थी।

विदेश मंत्रालय ने 15 जुलाई को बांग्लादेश सरकार को सत्यजीत रे के घर की मरम्मत के लिए मदद की पेशकश की थी।

सत्यजीत रे के पुश्तैनी घर को लेकर भारत सरकार की यह प्रतिक्रिया उन रिपोर्टों के बाद आई है जिनमें कहा गया था कि बांग्लादेशी अधिकारी इस इमारत को गिराने वाले हैं। इससे पहले, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बांग्लादेशी अधिकारियों से घर गिराने के कदम की आलोचना की थी।

ममता ने कहा कि यह इमारत बंगाल के सांस्कृतिक इतिहास से गहराई से जुड़ी हुई है। उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘मैं बांग्लादेश सरकार और उस देश के सभी जागरूक लोगों से इस विरासत के संरक्षण के लिए कदम उठाने की अपील करती हूं।’ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने भारत सरकार से भी इस मामले में दखल देने की अपील की थी।

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