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रुचिर शर्मा का कॉलम: युद्धों के बावजूद इजराइल का बाजार मजबूत बना हुआ है Politics & News

रुचिर शर्मा का कॉलम:  युद्धों के बावजूद इजराइल का बाजार मजबूत बना हुआ है Politics & News

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2 घंटे पहले

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रुचिर शर्मा ग्लोबल इन्वेस्टर व बेस्टसेलिंग राइटर

क्या आपको पता है 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल पर हुए हमलों के बाद से दुनिया का सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला प्रमुख शेयर बाजार कौन-सा है? इजराइल ​का! शुरुआती झटके के बाद उसका बाजार चार हफ्तों में पूरी तरह से उबर गया और तब से डॉलर के लिहाज से लगभग 80% ऊपर है।

यह उछाल हाल में ईरान के साथ हुए युद्ध के दौरान भी जारी रहा, जबकि ज्यादातर भू-राजनीतिक विशेषज्ञों को लगा था कि व्यापक संघर्ष की उनकी आशंकाएं सच होने वाली हैं। वहीं शेयर बाजार लगातार यही संकेत दे रहा था कि संघर्ष जल्द ही समाप्त हो जाएगा और इजराइल सैन्य और आर्थिक दोनों ही रूपों में प्रबल होगा।

यह संदेश मूल्य-आय अनुपातों में भी स्पष्ट रूप से दिखाई दिया, जो पिछले 21 महीनों में 40 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं, जबकि शेष विश्व में यह 20 प्रतिशत रहा। सऊदी अरब तथा यूएई के नेतृत्व वाले पड़ोसी खाड़ी बाजारों में भी मामूली गिरावट ही आई। गाजा से ईरान तक इजराइल द्वारा किए गए कई सैन्य हमलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय आलोचनाओं के बावजूद विदेशी खरीद में वृद्धि ने इसके शेयर बाजार में तेजी को बढ़ावा दिया है।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के मुश्किल हालात में स्थापित इजराइल उन कुछ देशों में से है, जो विकासशील से विकसित देशों की श्रेणी में आ गए हैं। लगभग 200 देशों में से कोई 40 को आईएमएफ द्वारा विकसित अर्थव्यवस्थाओं के रूप में वर्गीकृत किया गया है। अग्रणी वैश्विक सूचकांक प्रदाता (एमएससीआई) द्वारा विकसित वित्तीय बाजारों के रूप में वर्गीकृत देशों की संख्या और भी कम है।

इजराइल मध्य-पूर्व का एकमात्र देश है, जिसने विकास के इन मील के पत्थरों को पार किया है, और जो दोनों मोर्चों पर परिवर्तन करने वाला एकमात्र देश है। इसकी 550 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था अब दुनिया की सबसे बड़ी 30 अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।

इजराइल के कई संस्थापक प्रतिबद्ध समाजवादी थे। उन्होंने एक कल्याणकारी राज्य का निर्माण शुरू किया था और नए प्रवासियों का उदारतापूर्वक स्वागत किया था, जिसके परिणामस्वरूप 1980 के दशक में वित्तीय संकट पैदा हुआ। स्कैंडिनेविया के वेलफेयर-स्टेट्स की तरह इस संकट ने उसे आर्थिक सुधारों, पूंजीवाद और अधिक राजकोषीय अनुशासन अपनाने के लिए मजबूर किया।

सरकारी कंपनियों को बेच दिया गया, करों को सुव्यवस्थित किया गया और व्यापार के लिए सीमाएं खोल दी गईं। वर्ष 2000 के दशक की शुरुआत से इजराइल ने सरकार के खर्च को जीडीपी के 50 से घटाकर 40 प्रतिशत कर दिया है, और सार्वजनिक ऋण को जीडीपी के 90 प्रतिशत से घटाकर 70 प्रतिशत से कम कर दिया है। सरकार ने कुछ स्मार्ट निवेश भी किए, जिससे वेंचर कैपिटल उद्योग को बढ़ावा मिला और तकनीकी क्षेत्र को गति मिली।

आज इजराइल अपने जीडीपी का 6 प्रतिशत से भी ज्यादा रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर खर्च करता है- यह किसी भी अन्य देश से ज्यादा है और वैश्विक औसत से दोगुने से भी अधिक है। इस आर-एंड-डी का एक असामान्य रूप से बड़ा हिस्सा (लगभग आधा) विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों से आता है, जिनमें से कई रक्षा-संबंधी उद्योगों से जुड़ी हैं। इसी से आयरन डोम और इंटरसेप्टर रॉकेटों का जाल बनाया गया है, जिन्होंने कथित तौर पर 85 प्रतिशत से ज्यादा मिसाइलों और हाल के संघर्षों में इजराइल पर दागे गए ड्रोनों के एक बड़े हिस्से को नष्ट किया है।

रक्षा क्षेत्र से प्राप्त लाभों ने इजराइल को हवाई यातायात नियंत्रण से लेकर साइबर सुरक्षा तक एक ग्लोबल-लीडर बना दिया है। किसी भी अन्य देश की तुलना में प्रति व्यक्ति अधिक स्टार्ट-अप के साथ इसकी व्यावसायिक संस्कृति मध्य-पूर्व के बजाय कैलिफोर्निया के ज्यादा करीब है।

जनरेटिव एआई के उभरते क्षेत्र में इसके 73 स्टार्ट-अप्स हैं, जो दुनिया में तीसरे सबसे अधिक हैं। इसके निर्यात का आधा हिस्सा तकनीकी उत्पादों का है, जिसकी बराबरी कुछ ही उन्नत अर्थव्यवस्थाएं कर सकती हैं। जबकि इसके पड़ोसी देश अभी भी तेल का ही निर्यात करते हैं।

तकनीकी से संचालित इजराइल में प्रति व्यक्ति जीडीपी वर्ष 2000 से लगभग तिगुनी बढ़कर 55,000 डॉलर से अधिक हो गई है, जो अमेरिका के स्तर का 50 से 70 प्रतिशत है। जबकि सऊदी अरब की प्रति व्यक्ति जीडीपी अमेरिका की तुलना में एक-तिहाई ही है और 25 साल पहले की स्थिति के बराबर है।

इजराइल की अर्थव्यवस्था के प्रति बाजार का आशावादी रुख अब विश्लेषकों के पूर्वानुमानों में दिख रहा है, जो आने वाले वर्षों में 4% की वृद्धि का अनुमान लगा रहे हैं। एक विकसित राष्ट्र के लिए यह अपेक्षाकृत मजबूत पूर्वानुमान है। (ये लेखक के अपने विचार हैं)

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