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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने 1,000 किलो आम भारत भेजे हैं। बांग्लादेश की इस पहल को ‘मैंगो डिप्लोमेसी’ कहा जा रहा है।
मैंगो डिप्लोमेसी का मतलब है- राजनीतिक या कूटनीतिक रिश्तों को मजबूत करने के लिए आम जैसे फलों का इस्तेमाल ‘उपहार’ के तौर पर करना। पाकिस्तान को मैंगो डिप्लोमेसी की शुरुआत करने का श्रेय दिया जाता है।
स्टोरी में हम मैंगो डिप्लोमेसी की शुरुआत के बारे में जानेंगे। आगे जानेंगे कि माओ जेदांग ने मजदूरों में आम क्यों बंटवा दिए थे। इन आम को देवताओं की तरह क्यों पूजा गया था और कैसे आम पसंद न करने वाले शख्स को फांसी दे दी गई थी…

चीन के सुप्रीम लीडर माओ जेदांग ने फैक्ट्रियों के मजदूरों को आम भेंट किया था।
साल- 1968
जगह- बीजिंग
पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री मियां अरशद हुसैन चीन की यात्रा पर थे। वहां उन्होंने सुप्रीम लीडर माओ जेदांग से मुलाकात की और आमों के 40 टोकरे भेंट किए। यह पहली बार हो रहा था जब कोई लीडर विदेश यात्रा पर आम लेकर गया था। आम दोनों देशों के बीच दोस्ती का एक प्रतीक बन गया।
खैर, माओ को आम पसंद नहीं थे, इसलिए उन्होंने इन्हें मजदूरों में बांटने का आदेश दे दिया। ये मजदूर माओ के अनुयायी थे। इन्हें विश्वविद्यालयों में चीन सरकार के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन कर रहे छात्रों को रोकने में लगाया गया था।
इन मजदूरों ने कभी आम नहीं देखा था, सुनहरे कांच के डिब्बे में रखे आम को देख वे इतने भावुक हो गए कि उन्होंने इसे माओ का आशीर्वाद मान लिया। इतिहासकार अल्फ्रेडा मर्क ने सुप्रीम लीडर माओ और आम पर एक किताब ‘माओज गोल्डन मैंगोज एंड द कल्चरल रिवोल्यूशन’ लिखी है।

चीनी मजदूर और आम की पेंटिंग।
प्रेम और आस्था का प्रतीक बना आम मर्क ने किताब में विस्तार से बताया है कि कैसे ये पाकिस्तानी आम चीन में माओ के लिए प्रेम और आस्था का प्रतीक बन गए थे।
किताब की प्रस्तावना में लिखा है-

साठ के दशक में चीन में लोग आम को नहीं जानते थे। जब ये आम यूनिवर्सिटी कैंपस में पहुंचे, तो मजदूर रात भर आम को निहारते, सूंघते, सहलाते रहे। उन्हें लगा कि माओ ने उन्हें किसी दिव्य वस्तु से सम्मानित किया है।
चीनी अधिकारियों ने मजदूरों का यह व्यवहार देखा तो हैरान हो गए। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रचार विभाग को इसमें माओ के प्रचार का तरीका नजर आया। फिर पूरी राजधानी की फैक्ट्रियों में इन आमों को भेजा गया।

छिंगहुआ में मजदूर-किसान प्रचार दल आमों का स्वागत करते हुए। रिबन पर लिखा है- चेयरमैन माओ को अमर जीवन की शुभकामनाएं।
फैक्ट्रियों में लोगों को सिखाया गया कि आम को कैसे पकड़ना है, कैसे उसकी पूजा करनी है। अगर किसी ने इसे हल्के में लिया तो उसे फटकार मिलती। एक आम को कारखाने से एयरपोर्ट तक बैंड बाजे और जुलूस के साथ ले जाया गया। कुछ जगहों पर आम की सार्वजनिक झांकी निकाली गई।
मर्क एक कपड़ा फैक्ट्री का भी उदाहरण देती हैं, जहां आम के स्वागत में एक बड़ा समारोह हुआ। आम को मोम में सुरक्षित करके एक हॉल में रखा गया। मजदूर कतार में खड़े होकर उसे देखने आए और जैसे ही आम दिखाई दिया, उन्होंने श्रद्धा में सिर झुका दिए।
बीजिंग की एक फैक्ट्री में जब आम पहुंचा, तो वहां लोगों में बहस शुरू हो गई कि क्या इसे खा लिया जाए या संभाल कर रखा जाए? आखिर फैसला हुआ कि इसे फॉर्मेल्डिहाइड में रखकर सहेजा जाएगा और उसकी मोम की नकलें बनाकर हर मजदूर को दी जाएंगी। इन मोम के आमों को कांच में बंद करके श्रद्धा से रखा गया।
एक जगह जब आम सड़ने लगा, तो मजदूरों ने उसका गूदा पानी में उबाला और उस ‘पवित्र जल’ को चम्मच से पिया। कहा जाता है, माओ को जब ये बताया गया तो वो हंस पड़े।

इस 1968 के पोस्टर पर लिखा है-हमारे महान नेता माओ सदा के लिए लोगों के दिलों से अपने दिल को जोड़ते हैं।
आम को मिला भगवान जैसा दर्जा ये वो दौर था जब चीन में माओ जेदांग की लीडरशिप में सांस्कृतिक क्रांति शुरू हुई थी। देशभर में मंदिरों को तोड़ा जा रहा था। मूर्तियों को नष्ट किया जा रहा था, लेकिन ठीक इसी समय आमों के लिए वेदियां सजाई जा रही थीं। लोग आम को फूल चढ़ाते, श्रृद्धा में सिर झुकाते और भजन गाते।
कुछ फैक्ट्रियों में आमों को उबालकर ‘पवित्र शोरबा’ बनाया गया, जिसे खास टॉनिक की तरह पिया गया। जल्द ही यह अफवाह फैल गई कि ये आम अमरता देने वाले किसी फल की तरह हैं।
माओ ने खुद आम नहीं खाए थे। इसका प्रचार इस तरह किया गया कि माओ ने खुद आम न खाकर मजदूरों में बंटवा दिया है। इस तरह उन्होंने अपने जीवन की लंबी उम्र का बलिदान कर दिया। लोगों को लगा कि माओ ने अपनी खुशियां त्याग दीं ताकि आम जनता को यह फल मिल सके।
इस तरह, एक आम ने चीनी इतिहास में एक ऐसी जगह बना ली जो शायद दुनिया के किसी और फल को कभी नहीं मिली। आम माओ की शक्ति और मजदूरों की निष्ठा साबित करने का औजार बन गया था।
आम के इस उन्माद को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रचार विभाग ने और भी गहराई से अपनाया। जल्द ही आम की आकृति और खुशबू को लेकर तरह-तरह के घरेलू सामान बनाए जाने लगे। जैसे चादरें, वॉशबेसिन, वैनिटी स्टैंड, आम-सुगंध वाला साबुन और यहां तक कि आम के स्वाद वाली सिगरटें भी।

अक्टूबर 1968 की राष्ट्रीय दिवस परेड में, बीजिंग की झांकी में विशाल पेपर-माशी आम रखे गए थे। देश भर में आम की तस्वीरें तक पूजी जाने लगीं। यहां तक कि दूर गुइझोउ में, हजारों किसान सिर्फ एक आम की फोटोकॉपी के लिए लड़ गए।
कम्युनिस्ट पार्टी के प्रचारकों की टीम ट्रकों पर आमों की असली और नकली प्रतियां लेकर चीन भर में घूमने निकल गई। जहां भी वे गए, वहां उनका स्वागत ढोल-नगाड़ों और श्रद्धा के साथ हुआ। लोग बेताबी से यह देखने आते थे कि आम असल में दिखते कैसे हैं।
आम की बुराई पर मिली मौत की सजा हालांकि हर कोई इस पवित्रता की कहानी में भरोसा नहीं कर रहा था। जब ट्रक से यह आम सिचुआन पहुंचा तो डॉ. हान नाम के एक स्थानीय दंत चिकित्सक ने इसकी तुलना शकरकंद से कर दी।
हालांकि उन्होंने ऐसा मजाक में कहा था, लेकिन तब इसे एक ‘ईशनिंदा’ के तौर पर देखा गया। माओ के अपमान के आरोप में डॉ. हान को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें एक ट्रक के पीछे पूरे शहर में घुमाया गया और अंत में फांसी दे दी गई।
हालांकि धीरे-धीरे यह दीवानगी फीकी पड़ने लगी। करीब 18 महीने बाद, मोम के आम, जिनकी पहले पूजा होती थी, अब मोमबत्तियों की तरह इस्तेमाल किए जाने लगे।

अक्टूबर 1968 में हार्बिन शहर में बीजिंग की राष्ट्रीय दिवस परेड की झांकी के दौरान मोम के नकली आम डिब्बों में रखकर ले जाए गए।
आम की तरह मोम में लपेटे गए माओ फिर साल 1976 का दौर आया। माओ जेदांग बीमार पड़ चुके थे। यह तय था कि माओ की मौत नजदीक है, ऐसे में उनके उत्तराधिकार की जंग तेज हो गई थी। माओ की पत्नी जियांग किंग को पति की जगह लेने के लिए आम का इस्तेमाल करने का ख्याल आया।
जियांग किंग ने उस आम को प्रचार का हथियार बनाने की कोशिश की। उन्होंने फिर से आम मजदूरों को भेजे, समारोह करवाए, भाषण दिए और ‘सॉन्ग ऑफ द मैंगो’ नाम से एक फिल्म भी बनवाई, लेकिन ये प्रयास बेमानी साबित हुए। माओ की मौत के बाद जियांग किंग गिरफ्तार हो गईं।
माओ जेदांग की मौत के बाद उनका हश्र भी आम की तरह हुआ। उनके पार्थिव शरीर को एक कांच के केस में मोम की प्रक्रिया से संरक्षित किया गया और उसे हमेशा के लिए बीजिंग के तियानानमेन चौक स्थित ‘म्यूजियम ऑफ माओ जेदांग’ में सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए रख दिया गया।
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