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गुड़गांव के पॉश इलाके सुशांत लोक में टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की हत्या ने सभी को झकझोर कर रख दिया है. इस हत्याकांड को लेकर उसकी करीबी दोस्त हिमांशिका सिंह राजपूत ने एक और चौंकाने वाला खुलासा किया है. हिमांशिका ने दावा किया कि राधिका की हत्या कोई क्षणिक आवेश नहीं, बल्कि पूरी प्लानिंग के साथ की गई, जिसकी तैयारी उसके पिता ने तीन दिन पहले से शुरू कर दी थी. वह कहती है कि ‘मैं कल उसके घर गई थी तो पता चला कि उसका मर्डर तीन दिनों से प्लान हो रहा था.’
हिमांशिका के मुताबिक, राधिका के पिता ने बेहद सुनियोजित तरीके से पूरे घर का माहौल ऐसा बनाया, जिससे कोई उसकी मदद न कर सके. उन्होंने भाई को जानबूझकर किसी बहाने से घर से बाहर भेज दिया, वहीं मां को अलग कमरे में रखा गया और राधिका की पिटबुल डॉग लूना को भी दूर रखा गया, ताकि वह उसे बचा न सके.
हिमांशिका ने बताया कि राधिका के पिता ने अपनी बेटी को मारने के लिए पिस्टल का भी इंतजाम कर लिया था और तय दिन पर मौका देखकर राधिका को गोली मार दी. वह कहती हैं कि जब उसने इस घटना की खबर पढ़कर राधिका की बहन को फोन तब जाकर यह दिल दहला देने वाली सच्चाई सामने आई.
‘5 गोलियां कौन सा बाप मारता है…’
अपने सोशल मीडिया वीडियो में भावुक हिमांशिका ने कहा, ‘राधिका मेरी सबसे अच्छी दोस्त थी. दो दिन पहले ही मैं उसकी चिता के सामने खड़ी थी, यकीन ही नहीं हो रहा था कि वह अब इस दुनिया में नहीं रही. वह एक ऐसी इंसान थी जो जिंदगी से भरी हुई थी… सपनों से भरी, उजाले से भरी. उसे इस तरह मरना नहीं चाहिए था. और सबसे ज्यादा दर्दनाक ये है कि जिसने उसे मारा वो उसका अपना पिता था… वो इंसान जो उसे दुनिया से बचाने वाला था.’
उन्होंने आगे कहा कि
राधिका के पिता मानसिक तनाव से जूझ रहे थे, लेकिन मानसिक स्थिति कोई भी हो, यह कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता कि कोई अपनी ही बेटी की हत्या कर दे. वह सवाल करती हैं, ‘5 गोलियां कौन सा बाप मारता है. मुझे तो यह समझ नहीं आ रहा कि ऐसा उसने क्या किया था.’
‘राधिका को छोटे कपड़ों पर शर्मिंदा किया’
हिमांशिका ने इससे पहले एक और वीडियो जारी किया था, जिसमें उसने बताया कि राधिका बेहद मासूम और अच्छे स्वभाव की थी. वह 18 साल से टेनिस खेल रही थी और तस्वीरें खिंचवाना, वीडियो बनवाना उसे बेहद पसंद था, लेकिन धीरे-धीरे ये सब बंद कर दिया गया.
वह कहती हैं, ‘राधिका के माता-पिता बेहद रूढ़ीवादी विचारधारा के थे. समाज क्या कहेगा, इसी डर में हमेशा उसे रोका-टोका गया. मैंने उसके साथ कई यात्राएं कीं, लेकिन उसे कभी किसी से खुलकर बात करते नहीं देखा. वह हमेशा अपने माता-पिता के साथ रहती थी.’ उन्होंने कहा, ‘वह अपनी शर्तों पर जिंदगी जी रही थी, लेकिन घरवाले और समाज के लोग उसे यह बर्दाश्त नहीं कर पाए. उसे छोटे कपड़े पहनने, लड़कों से बात करने और आज़ाद सोच रखने के लिए शर्मिंदा किया गया.’
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