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डिंपी ढिल्लों AAP करेंगे ज्वाइन: 28 अगस्त को पार्टी में होंगे शामिल ; सुखबीर बोले- हरदीप के जाने से दुख लगा – Muktsar News Chandigarh News Updates

डिंपी ढिल्लों AAP करेंगे ज्वाइन:  28 अगस्त को पार्टी में होंगे शामिल ; सुखबीर बोले- हरदीप के जाने से दुख लगा – Muktsar News Chandigarh News Updates

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हरदीप सिंह ढिल्लों ने अपने समर्थकों से मीटिंग करते हुए। उन्होंने आम आम आदमी पार्टी जॉइन करने का संकेत दिया है।

शिरोमणि अकाली दल (SAD) को छोड़ने वाले गिद्दड़बाहा के सीनियर नेता हलका प्रभारी और सुखबीर बादल के करीबी रहे हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों ने आज (सोमवार को) अपने समर्थकों से मीटिंग की।

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उन्होंने एक मीडिया चैनल से बातचीत में कहा कि वह आम आदमी पार्टी ज्वाइन करेंगे। उनके सारे परिवारिक मेंबर भी आम आदमी पार्टी में शामिल होंगे। 28 तारीख को वह सीएम भगवंत मान की हाजिरी में गिद्दड़बाहा पार्टी में शामिल होंगे।

इसके लिए उनकी AAP के नेताओं से बातचीत हो गई है। उन्होंने पार्टी छोड़ने के लिए मनप्रीत बादल को जिम्मेदार ठहराया । वहीं, उन्होंने कहा कि अब घर वापसी नहीं करेंगे। इससे पहले सुबह उन्होंने समर्थकों से मीटिंग में आम आदमी पार्टी (AAP) में जाने का संकेत दिया था।

ढिल्लों ने कहा मीटिंग में कुछ समर्थकों ने कहा कि मौजूदा सरकार के दो साल शेष हैं। ऐसे में सरकार की तरफ जाना चाहिए। सीएम भगवंत मान या उनका काेई जिम्मेदार व्यक्ति आता है, तो उनसे मीटिंग करेंगे। साथ ही यदि वह हमारे काम करने की हामी भरते हैं तो उनके साथ जाने की सोच सकते हैं।

वहीं, उन्होंने समर्थकों से कहा कि वह उसी जगह पर दोबारा मीटिंग करेंगे। जिसके बाद आगे का फैसला लेंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि वह पार्टी छोड़कर खुद को आजाद महसूस कर रहे हैं। वह घी खिचड़ी में मक्खी बनकर रह गए थे। उन्होंने कहा कि मुझे पहले भी सभी पार्टियों से ऑफर आते रहे।

मैं उन्हें इनकार करता रहा। मैं सुखबीर बादल पर आंखें बंद कर विश्वास रखता हूं। दूसरी तरफ डिंपी के पार्टी छोड़ने से बने हालातों के बीच SAD प्रधान सुखबीर बादल ने गिद्दड़बाहा के अकाली नेताओं की मीटिंग की।

सुखबीर बादल गिदड़बाहा के नेताओं से मीटिंग करते हुए।

सुखबीर के अभी भी डिंपी को लेकर व्यवहार नर्म है। सुखबीर ने कहा कि मुझे डिंपी के पार्टी छोड़ने से दुख लगा है। मैं आज भी डिंपी ढिल्लों को टिकट देने के लिए तैयार हूं। मैं आज भी उन्हें पार्टी में वापस आने के लिए अपील करता हूं।

सुखबीर ने कहा कि मेरे लिए रिश्तेदारी से पहले पार्टी है। मनप्रीत और हमारी राहें अलग है। मैं 4 महीने से मनप्रीत बादल से मिला नहीं हूं। मनप्रीत को अगर पार्टी में शामिल करना होता तो वह उस समय पार्टी में शामिल कर लेते, जब उन्होंने कांग्रेस छोड़ी थी।

हालांकि उन्होंने कहा कि डिंपी की 2 महीनों से आम आदमी पार्टी से बातचीत चल रही थी। वहीं, वर्करों ने मांग रखी की डिंपी चुनाव नहीं लड़ते है तो सुखबीर बादल चुनाव लडे़। सुखबीर बादल ने कहा कि वह दस दिन डिंपी का इंतजार करेंगे। इसके बाद आगे का फैसला लिया जाएगा।

डिंपी ढिल्लों को मनप्रीत बादल का जवाब
मनप्रीत बादल की वजह से पार्टी छोड़ने की बात करने वाले डिंपी ढिल्लों को अब मनप्रीत बादल ने भी जवाब दिया है। मनप्रीत बादल ने कहा कि जिसने कभी एक चुनाव भी नहीं जीता हो , जिसे पैरों के नीचे से राजनीतिक जमीन खिसकती नजर आ रही हो । वह व्यक्ति अब AAP में शामिल होने से पहले ऐसे बयान दे रहा है । उनका भाजपा छोड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता। अकाली दल का वोट बैंक बीजेपी की तरफ बढ़ रहा है , जिसने डिंपी को परेशान किया है। गिद्दड़बाहा का बच्चा-बच्चा जानता है कि वह पिछले कुछ महीनों से AAP के आगे माथा टेक रहा है।

मनप्रीत बादल ने नहीं ज्वाइन की पार्टी

दूसरी तरफ SAD के नेताओं ने डिंपी ढिल्लों को अपने फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा है। वहीं, इस मामले में अकाली नेता मनतार सिंह बराड़ ने बताया कि उनकी ड्यूटी भी गिद्दड़बाहा हलके में उप चुनाव के लिए लगी हुई। वह जैसे ही वहां पहुंचे तो पता चला कि डिंपी ढिल्लों पार्टी छोड़ने वाले है। डिंपी ने इसकी वजह मनप्रीत सिंह बादल को बताया था। मनतार सिंह बराड़ ने कहा कि जब मनप्रीत सिंह बादल ने SAD ज्वाइन नहीं की तो उन्हें पार्टी की टिकट कैसे दी जा सकती है। उन्होंने पार्टी के समर्थकों को साथ देने की अपील की है।

मनतार सिंह बराड़ डिंपी ढिल्लों बारे में जानकारी देते हुए।

मनतार सिंह बराड़ डिंपी ढिल्लों बारे में जानकारी देते हुए।

बादल ने कहा था डिंपी ही लड़ेगा चुनाव

मनतार सिंह बराड़ ने बताया कि वह कोर कमेटी के मेंबर है। कोर कमेटी की मीटिंग में महेश इंद्र सिंह गरेवाल ने जरूर कहा था कि बादल साहब आप गिद्दड़बाहा से चुनाव लडे़। लेकिन उस समय सुखबीर बादल ने कहा था कि डिंपी वहां से चुनाव लडे़गा। वह पिछले चुनाव में कम मतों से हारे थे। ऐसे में वह उसका हक मारना नहीं चाहते हैं। वहीं, सुखबीर डिंपी के साथ हलके में लगातार मीटिंग कर रहे थे।

हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों द्वारा अकाली दल को भेजा गया त्याग पत्र।

हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों द्वारा अकाली दल को भेजा गया त्याग पत्र।

15 मिनट लाइव होकर डिंपी ने रखा पक्ष

डिंपी ढिल्लों ने पार्टी छोड़ने से पहले फेसबुक पर लाइव होकर 15 मिनट में अपने सफर के बारे में बताया था। उन्होंने कहा था कि वह पार्टी 38 -39 साल से जुडे़ हुए थे। कई बार पार्टी पर भी मुश्किल भी आई, लेकिन वह हमेशा पार्टी व बादल परिवार के साथ खड़ रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ समय परेशान थे। क्योंकि हलके में मनप्रीत सिंह बादल सक्रिय थे। वह बीजेपी में थे, लेकिन वह किसी को बीजेपी में शामिल नहीं करवाते थे।

गांवों में जाकर कहते थे कि सुखबीर बादल और उनके रिश्ते घी और खिचड़ी जैसे है। वह सुखबीर बादल को भी इस बारे स्थिति साफ करने के बारे में कह रहे थे, लेकिन वह भी कोई फैसला नहीं ले पा रहे थे। ऐसे में समर्थक भी आफत में थे। न तो सुखबीर बादल खुद को उम्मीदवार ऐलान कर रहे थे, जबकि वह नहीं कर रहे थे। उनकी सुखबीर बादल से 37 साल की दोस्ती परिवारवाद की बलि चढ़ गई। उन्होंने कहा कि दोनों परिवार मिल गए है। यह खुशी की बात है। हमारे जैसे तो केवल इस्तेमाल के लिए होते हैं।

2022 में मात्र 1349 वोटों से हारे थे

डिंपो ढिल्लों की गिदड़बाहा सीट पर अच्छी पकड़ है। दो बार चुनावों में उसे हार का मुंह देखना पड़ा है। साल 2012 से यहां से लगातार कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग चुनाव जीतने आ रहे है। 2017 में उन्होंने हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों को राजा वड़िंग ने हराया था।

चुनाव में डिंपी को 47288 को वोट मिले थे, जबकि वड़िंग को 63500 मत मिले थे। 2022 में जब पूरे राज्य में आम आदमी पार्टी की हवा थी। लेकिन इस सीट पर शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस के बीच में ही मुकाबला था।

इस दौरान राजा वड़िंग के वोट कम होकर 50998 रह गए, जबकि डिंपी को 49649 वोट मिले। दोनों में जीत का अंतर 1349 वोट का था। ऐसे में डिंपी ढिल्लों खुद को काफी मजबूत दावेदर इस सीट से मानते हैं।

गिद्दड़बाहा सीट SAD का गढ़

गिद्दड़बाहा सीट 1967 में बनी थी। पहला चुनाव यहां से कांग्रेस नेता हरचरण सिंह बराड़ जीते थे। इसके बाद लगातार पांच बार 1969, 72, 77, 80 और 1985 में इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल जीते। 1992 में कांग्रेस नेता रघुबीर सिंह जीते। इसके बाद 1995, 97, 2002 और 2007 में सीट से शिरोमणि अकाली दल की टिकट पर मनप्रीत बादल जीतते रहे।

जबकि 2012, 2017 और 2022 में इस सीट से कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग जीते हैं। लेकिन अब वह लुधियाना से लोकसभा सांसद हैं। उन्होंने इस सीट के विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। इस वजह से यह सीट खाली हुई है।

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