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हरियाणा में खट्‌टर के ड्रीम प्रोजेक्ट पर दुविधा में सरकार: अरावली में दुनिया की सबसे बड़ी जंगल सफारी बनाने और संचालन खर्च से फंसा पेंच – Haryana News Chandigarh News Updates

हरियाणा में खट्‌टर के ड्रीम प्रोजेक्ट पर दुविधा में सरकार:  अरावली में दुनिया की सबसे बड़ी जंगल सफारी बनाने और संचालन खर्च से फंसा पेंच – Haryana News Chandigarh News Updates

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प्रोजेक्ट को लेकर केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने CM नायब सैनी और वन मंत्री राव नरबीर के साथ गुजरात के वनतारा का दौरा किया था।

साढ़े 9 साल तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल खट्‌टर के ड्रीम प्रोजेक्ट पर हरियाणा की नायब सरकार बैकफुट पर दिख रही है। ये ड्रीम प्रोजेक्ट अरावली की पहाड़ियों में 10 हजार एकड़ में बनने वाली दुनिया की सबसे बड़ी जंगल सफारी का है। इस प्रोजेक्ट को बन

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हाल ही में उन्होंने CM नायब सैनी और वन एवं पर्यावरण मंत्री राव नरबीर के साथ गुजरात के वनतारा का दौरा किया। इससे पहले साल 2022 में मुख्यमंत्री रहते वह शारजाह (दुबई) सफाई के दौरे पर गए थे। तब उनके साथ केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव थे।

गुजरात के वनतारा दौरे के बाद हरियाणा सरकार अब इस प्रोजेक्ट को लेकर बैकफुट पर नजर आ रही है। इसकी बड़ी वजह जंगल सफारी बनाने और फिर उसके संचालन के लिए हर महीने खर्च होने वाला मोटा फंड है। संभावना ये भी है कि यह प्रोजेक्ट पीपीपी मोड पर निजी हाथों को भी सौंपने पर विचार हो सकता है। हालांकि, सरकार की ओर से इस पर फैसला नहीं हुआ है।

गुजरात के जामनगर स्थित वनतारा में वन्यजीव को खाना खिलाते हुए केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल और CM नायब सैनी।

सरकार की बैकफुट पर आने की ये 3 बड़ी वजहें…

1. बनाने में 5000 करोड़ रुपए का खर्च हरियाणा के गुरुग्राम में अरावली में बनने वाले जंगल सफारी के निर्माण में करीब 5000 करोड़ रुपए का खर्च आने का अनुमान है। इस राशि को खर्च करने की स्थिति में अभी हरियाणा सरकार नहीं है। इसकी वजह यह है कि 2026-26 के बजट में इसे लेकर कोई भी राशि आवंटित नहीं की गई है। ऐसे में यदि सरकार इस प्रोजेक्ट में हाथ डालती है तो मुश्किलें आ सकती हैं।

2. हर महीने जंगल सफारी पर 100 करोड़ का खर्च हरियाणा सरकार के आकलन के अनुसार, जंगल सफारी में आने वाले जानवरों, पक्षियों के खाने और उनके रखरखाव के लिए रखे जाने वाले स्टाफ पर करीब 100 करोड़ रुपए का मासिक खर्च होगा। जबकि, जंगल सफारी से शुरू के दिनों में हर महीने 20 से 30 करोड़ रुपए ही आने की संभावना है। हालांकि, छह महीने के बाद यह राशि बढ़कर करीब 50 करोड़ रुपए हो सकती है, लेकिन 100 करोड़ रुपए की आमदनी होना बहुत की मुश्किल है।

3. विपक्ष इस जंगल सफारी को मुद्दा न बना दे हरियाणा सरकार को आशंका है कि इस जंगल सफारी को विपक्ष बड़ा मुद्दा बना सकता है। प्रदेश पर करीब 4 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। यदि सरकार जंगल सफारी पर हजारों करोड़ रुपए खर्च करती है तो विपक्ष मुद्दा बना सकता है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा पहले से ही कर्ज को लेकर सरकार को घेरते रहते हैं। विधानसभा के विंटर सेशन में भी कर्ज को लेकर काफी हंगामा हुआ था, जिसकी सीएम नायब सैनी ने खुद सदन में सफाई दी थी।

अब जानते हैं, क्या है अरावली की जंगल सफारी योजना…

2022 को खट्‌टर ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट का ऐलान किया हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस ड्रीम प्रोजेक्ट का 6 अक्टूबर 2022 को ऐलान किया। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था हरियाणा में दुनिया की सबसे बड़ी जंगल सफारी 10 हजार एकड़ में बनेगी।

उन्होंने यह भी खुलासा किया था कि 28 और 29 सितंबर को वह इस प्रोजेक्ट के लिए गुपचुप तरीके से दो बार गुरुग्राम और फरीदाबाद जिले का भ्रमण कर चुके हैं। उनके इस दौरे का उद्देश्य था कि वह इस प्रोजेक्ट के लिए 6 हजार एकड़ गुरुग्राम और 4 हजार एकड़ जमीन फरीदाबाद जिले की लेंगे।

सरकार ने प्रोजेक्ट के क्या फायदे गिनाए थे…

1. पार्क में ये चीजें मिलेंगी सफारी में एक बड़ा हर्पेटेरियम, एवियरी, बर्ड पार्क, बिग कैट्स के 4 जोन, शाकाहारी जानवरों के लिए एक बड़ा क्षेत्र, विदेशी पशु-पक्षियों के लिए एक क्षेत्र, एक अंडरवाटर वर्ल्ड, नेचर ट्रेल्स, विजिटर, टूरिज्म जोन, बॉटनिकल गार्डन, बायोमेस, इक्वाटोरियल, ट्रॉपिकल, कोस्टल, डेजर्ट पार्क का हिस्सा होंगे।

2. ग्रामीणों को होम स्टे पॉलिसी से लाभ मिलता सरकार का दावा था कि सफारी पार्क बनने से अरावली पर्वत श्रृंखला को संरक्षित करने में काफी मदद मिलेगी। स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के साथ-साथ आसपास के गांवों में ग्रामीणों को होम स्टे पॉलिसी के तहत भी काफी लाभ होगा।

3. वन्यजीवों कॉरिडोर बन सकेगा अरावली में कोई राष्ट्रीय उद्यान नहीं है। यदि इस क्षेत्र में जंगल सफारी आती है तो यह दिल्ली में असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य से राजस्थान में सरिस्का वन्यजीव अभयारण्य तक वन्यजीव कॉरिडोर की रक्षा करने में मदद करेगा।

4. अफ्रीका के बाद शारजाह में सबसे बड़ी सफारी वर्तमान में अफ्रीका के बाद सबसे बड़ी जंगल सफारी दुबई के शारजाह में है। यह करीब 200 एकड़ में फैली है और साल 2022 में शुरू हुई। जबकि, अरावली में करीब 10 हजार एकड़ में जंगल सफारी बनाने की योजना है।

करीब 3 साल पहले दुबई के सर्राफ ग्रुप के सैरफाफुद्दीन सर्राफ से मनोहर लाल ने की मुलाकात की थी।

करीब 3 साल पहले दुबई के सर्राफ ग्रुप के सैरफाफुद्दीन सर्राफ से मनोहर लाल ने की मुलाकात की थी।

प्रोजेक्ट से जुड़े कुछ अहम बिंदु…

  • जब इस प्रोजेक्ट का मनोहर लाल खट्‌टर ने ऐलान किया तो इसके लिए केंद्र सरकार से भी वित्तीय मदद मिलने की बात कही गई थी। इस परियोजना पर आगे बढ़ने के लिए दो अंतरराष्ट्रीय स्तर की अनुभवी कंपनियों को शॉर्टलिस्ट तक किया गया था। इन फर्मों को पार्क के मास्टर प्लान को अंतिम रूप देने के लिए कहा गया।
  • यह परियोजना पहले पर्यटन विभाग के अधीन थी, लेकिन बाद में वन विभाग को सौंपी गई। हालांकि, पर्यावरणविदों के विरोध के कारण पहले चरण में क्षेत्रफल को 10 हजार एकड़ से कम किया जा सकता है। इसके अलावा सरकार को पानी की व्यवस्था और बजट प्रबंधन जैसी चुनौतियों का सामना करना होगा।
  • केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण को इस प्रोजेक्ट के अध्ययन के लिए कहा गया था। प्राधिकरण ने अब इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इसके लिए इंडियन फॉरेस्ट एक्ट के अधीन जमीन ली गई है।

वन मंत्री नरबीर बोले- अभी जंगल सफारी का मासिक खर्च वहन करने की स्थिति नहीं वन एवं पर्यावरण मंत्री राव नरबीर ने कहा कि हरियाणा सरकार जंगल सफारी में हर महीने खर्च होने वाली राशि वहन करने की स्थिति में नहीं है। इस प्रोजेक्ट को केंद्र के सहयोग के बिना बना पाना मुश्किल है। गुजरात के वनतारा में हमने देखा कि हर महीने कितना खर्च होता है।

अब सरकार आगे ये कर रही विचार केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्‌टर के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर हरियाणा सरकार ने आगे की योजना पर काम शुरू कर दिया है। सरकार की ओर से संकेत दिए गए हैं कि इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) पर भी विचार करना शुरू कर दिया है। ऐसे संकेत सूबे के वन मंत्री राव नरबीर सिंह ने भी दिए हैं। उनका कहना है कि इस प्रोजेक्ट को पीपीपी मोड के जरिए भी पूरा किया जा सकता है।

अब जानिए क्या है अनंत अंबानी का वनतारा प्रोजेक्ट वनतारा एक महत्वाकांक्षी वन्यजीव संरक्षण परियोजना है। इसकी स्थापना मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी ने की है। यह रिलायंस इंडस्ट्रीज और रिलायंस फाउंडेशन द्वारा समर्थित है। गुजरात में जामनगर रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स के भीतर स्थित वनतारा 3000 एकड़ में फैला है। यह घायल, संकटग्रस्त और लुप्तप्राय जीवों का आश्रयस्थल है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वनतारा प्रोजेक्ट पर करीब 1200 करोड़ रुपए खर्च हुए।

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