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खालिस्तानी समर्थक और खडूर साहिब से सांसद अमृतपाल सिंह के असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद साथी कुलवंत सिंह राउके की तबीयत बिगड़ गई है। अमृतपाल सिंह की संस्था वारिस पंजाब दे के मीडिया एडवाइजर इमान सिंह खैहरा ने आरोप लगाया है कि कुलवंत सिंह को मिर्गी के दौरे
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पेशे से एडवोकेट इमान सिंह खैहरा ने अपना वीडियो बना सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। जिसमें इमना खैहरा ने कहा कि असम की डिब्रूगढ़ जेल से कुलवंत सिंह राओके का फोन आया। वे एपिलेप्सी से ग्रस्त हैं। उन्हें मिर्गी के दौरे आते हैं। जब से उन्होंने बरनाला उप-चुनाव लड़ने की घोषणा की है। जेल प्रशासन की तरफ से उनकी एपिलेप्सी की दवाई बंद कर दी गई है।
अब उन्हें जानलेवा दौरे पड़ रहे हैं। उन्होंने जेल प्रशासन और डीसी अमृतसर को भी कई खत लिखे हैं, लेकिन उन्हें दवाई नहीं दी जा रही। ये उनके मानवाधिकार का उल्लंघन है। सिर्फ उनके साथ ही नहीं, 2-3 और साथियों के साथ भी ऐसा हो रहा है।
एडवोकेट इमान सिंह खेहरा।
बरनाला से लड़ना चाहता है चुनाव
असम की डिब्रूगढ़ जेल में खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के साथ बंद कुलवंत सिंह राउके भी पंजाब में विधानसभा उपचुनाव चुनाव लड़ना चाहता है। वह बरनाला सीट पर होने वाले उपचुनाव में उम्मीदवार होगा। इसका ऐलान कुलवंत सिंह के भाई महासिंह ने बीते माह किया था।
बरनाला सीट पर आम आदमी पार्टी (AAP) के गुरमीत सिंह मीत हेयर विधायक थे। संगरूर से सांसद बनने के बाद उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया।
मोगा का रहने वाला है कुलवंत
38 वर्षीय कुलवंत सिंह मोगा जिले के राउके गांव का रहने वाला है। वह पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PSPCL) में क्लर्क के पद पर काम कर चुका है। कुलवंत सिंह को अमृतपाल सिंह का साथ देने के आरोप में घर से हिरासत में लिया गया था। इसके बाद उस पर भी नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) लगा दिया गया और डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया।

कुलवंत सिंह राउके।
पिता पर भी लगा था NSA
कुलवंत सिंह के भाई महा सिंह ने एक इंटरव्यू में जानकारी सांझा की थी कि उनके पिता चढ़त सिंह को भी 1987 में NSA के तहत जेल में रखा गया था। चढ़त सिंह को भी पंजाब के उग्रवाद के दौर में 25 मार्च 1993 को पुलिस ने हिरासत में लिया था। वे कभी घर नहीं लौटे। आज तक हमें नहीं पता कि उन्हें फर्जी मुठभेड़ में मारा गया, या वे अभी भी जीवित हैं। हमारे पास उनकी मौत का कोई सबूत नहीं है। उन्हें पुलिस ले गई और वे कभी वापस नहीं आए।
भिंडरावाले के साथ आंदोलन में रहे चढ़त सिंह

महा सिंह ने कहा कि पिता चढ़त युवा अकाली दल के नेता थे और उन्हें पंजाब में जरनैल सिंह भिंडरावाले के खालिस्तान समर्थक आंदोलन का समर्थन करने के लिए हिरासत में लिया गया था। बाद में वे हमारे गांव के सरपंच भी बने और 25 मार्च 1993 को पुलिस उन्हें हमारे घर से जबरदस्ती ले गई। हमें नहीं पता कि उसके साथ क्या हुआ, क्योंकि हमें उसका शव कभी नहीं मिला।
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अमृतपाल के साथी कुलवंत सिंह की तबीयत बिगड़ी: मिर्गी के दौरे की दवाई की बंद; बरनाला से उप-चुनाव लड़ने की कर चुके घोषणा – Amritsar News