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अमेरिका जापान और दक्षिण कोरिया पर 25% टैरिफ लगाएगा: ट्रम्प का ऐलान- भारत समेत 12 से ज्यादा देशों को टैरिफ लेटर भेजेंगे Today World News

अमेरिका जापान और दक्षिण कोरिया पर 25% टैरिफ लगाएगा:  ट्रम्प का ऐलान- भारत समेत 12 से ज्यादा देशों को टैरिफ लेटर भेजेंगे Today World News

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वॉशिंगटन डीसीकुछ ही क्षण पहले

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को ऐलान किया है कि 1 अगस्त से जापान और दक्षिण कोरिया से आने वाले सामानों पर 25% टैरिफ लगेगा। रॉयटर्स के मुताबिक, ट्रम्प ने यह भी कहा कि वे सोमवार को भारत समेत 12 से ज्यादा देशों के नेताओं को टैरिफ लेटर भेज रहे हैं।

ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर कहा कि उन्होंने भारत समेत कई देशों के नेताओं को पत्र भेजे हैं। इन लेटर्स में जापान और दक्षिण कोरिया के सामानों पर 25% टैरिफ लगाने की बात कही गई है।

भारत को भी आज ऐसा ही एक लेटर मिल सकता है, जिसमें 26% टैरिफ (16% नया और 10% मौजूदा) का जिक्र हो सकता है। भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है। अगर यह 9 जुलाई से पहले यह समझौता नहीं हुआ, तो भारत पर 26% टैरिफ लागू हो सकता है।

भारत-अमेरिका वॉशिंगटन में बातचीत कर रहे

ट्रम्प ने 2 अप्रैल को दुनियाभर के देशों पर रेसिप्रोकल (जैसे को तैसा) टैरिफ लगाया था, बाद में इसे 90 दिनों के लिए टाल दिया गया। इसकी डेडलाइन 9 जुलाई 2025 को खत्म हो रही है। ऐसे में ये डील काफी अहम है।

भारत और अमेरिका की टीमें लगातार वॉशिंगटन में बातचीत कर रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि डील के ज्यादातर हिस्सों पर सहमति बन चुकी है, और आज देर रात या 8 जुलाई को इसका ऐलान हो सकता है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत राष्ट्रीय हितों को सबसे ऊपर रखेगा।

इस डील से भारत और अमेरिका को क्या फायदा होगा?

जवाब: अगर ये मिनी ट्रेड डील हो जाती है, तो:

भारत के लिए फायदे:

  • टेक्सटाइल, दवाइयां, ज्वेलरी को अमेरिकी बाजार में ज्यादा पहुंच मिलेगी।
  • 26% रेसिप्रोकल टैरिफ हटने से भारतीय निर्यात सस्ता होगा, जिससे व्यापार बढ़ेगा।
  • 2030 तक भारत-अमेरिका का द्विपक्षीय व्यापार 500 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।

अमेरिका के लिए फायदे:

  • पेकान नट्स, ब्लूबेरी, और ऑटोमोबाइल जैसे प्रोडक्ट्स को भारत में कम टैरिफ पर बेचने का मौका मिलेगा।
  • भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते मजबूत होंगे, जो एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के प्रभाव को काउंटर करने के लिए अहम है।

दोनों देशों के लिए: ये डील भविष्य में बड़े फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) की नींव रख सकती है।

डील में क्या रुकावटें आईं?

जवाब: बातचीत में कुछ बड़े पेंच फंसे थे:

  • कृषि और डेयरी पर असहमति: अमेरिका GM फसलों और डेयरी प्रोडक्ट्स को भारत में बेचने की मांग कर रहा था, लेकिन भारत ने इसे सिरे से खारिज कर दिया।
  • टैरिफ को लेकर मतभेद: भारत चाहता है कि अमेरिका 26% रेसिप्रोकल टैरिफ और 10% बेसलाइन टैरिफ को पूरी तरह हटाए, लेकिन अमेरिका 10% टैरिफ बनाए रखना चाहता है।
  • ट्रंप का दबाव: ट्रंप ने कहा था कि जो देश 9 जुलाई तक डील नहीं करेंगे, उन्हें टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। भारत ने साफ कर दिया कि वो दबाव में नहीं झुकेगा।

इस डील का जियोपॉलिटिकल असर क्या होगा?

जवाब: ये डील सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं है, इसका सामरिक महत्व भी है:

  • चीन के खिलाफ रणनीति: भारत और अमेरिका का ये समझौता एशिया-पैसिफिक में चीन के बढ़ते प्रभाव को काउंटर करने का हिस्सा है। क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) के तहत दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत होंगे।
  • रूस और तेल आयात: भारत का रूस से सस्ता तेल खरीदना अमेरिका को खटक रहा है। ट्रंप ने रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर 500% टैरिफ का प्रस्ताव रखा है, लेकिन इस डील से भारत को कुछ राहत मिल सकती है।

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