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Weapon Technology: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 से 9 जुलाई 2025 तक पांच देशों की महत्वपूर्ण यात्रा पर जा रहे हैं जिसमें घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया शामिल हैं. यह दौरा न केवल कूटनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि रक्षा और हथियार तकनीक के क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं को भी तलाशेगा. आइए, इन देशों की सैन्य और हथियार तकनीक पर एक नजर डालते हैं और जानते हैं कि इनके पास कौन से घातक हथियार हैं.

घाना: सैन्य क्षमता और सीमित हथियार तकनीक
पश्चिम अफ्रीका का देश घाना अपनी सैन्य शक्ति के लिए उतना प्रसिद्ध नहीं है जितना अपने सोने के उत्पादन के लिए. घाना की सेना, जिसे घाना सशस्त्र बल (Ghana Armed Forces) कहा जाता है, मुख्य रूप से आंतरिक सुरक्षा और क्षेत्रीय शांति मिशनों पर ध्यान केंद्रित करती है. घाना की सैन्य तकनीक अपेक्षाकृत सीमित है और यह आयातित हथियारों पर निर्भर है. उनके पास आधुनिक टैंक या मिसाइल सिस्टम की कमी है लेकिन वे छोटे हथियारों जैसे असॉल्ट राइफल्स (AK-47 और इसके वेरिएंट) और बख्तरबंद वाहनों का इस्तेमाल करते हैं. घाना ने हाल के वर्षों में ड्रोन तकनीक में रुचि दिखाई है लेकिन उनके पास स्वदेशी हथियार निर्माण की क्षमता सबसे कम है. पीएम मोदी का दौरा घाना के साथ रक्षा सहयोग को बढ़ाने का अवसर हो सकता है विशेष रूप से साइबर सुरक्षा और ड्रोन तकनीक में.
त्रिनिदाद एंड टोबैगो: छोटी लेकिन रणनीतिक सेना
कैरेबियाई देश त्रिनिदाद एंड टोबैगो की सैन्य शक्ति भी सीमित है जो मुख्य रूप से तट रक्षक (Coast Guard) और आंतरिक सुरक्षा पर केंद्रित है. उनकी सेना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो डिफेंस फोर्स, छोटे हथियारों और हल्के बख्तरबंद वाहनों पर निर्भर करती है. उनके पास कोई उन्नत मिसाइल सिस्टम या परमाणु हथियार नहीं हैं. हालांकि, समुद्री सुरक्षा के लिए उनके पास गश्ती नौकाएं और हल्के हेलीकॉप्टर हैं. भारत के साथ उनके पुराने सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंध हैं और पीएम मोदी की यात्रा रक्षा उपकरणों, जैसे गश्ती जहाजों या निगरानी ड्रोनों, की आपूर्ति के लिए नए रास्ते खोल सकती है.
अर्जेंटीना: मध्यम स्तर की सैन्य तकनीक
अर्जेंटीना की सैन्य शक्ति दक्षिण अमेरिका में मध्यम स्तर की मानी जाती है. अर्जेंटीना सशस्त्र बलों के पास पुराने लेकिन प्रभावी हथियार हैं जिनमें टैंक (TAM – Tanque Argentino Mediano), नौसैनिक जहाज और फ्रांस से खरीदे गए मिराज फाइटर जेट शामिल हैं. उनकी नौसेना में डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां, जैसे TR-1700 क्लास, हैं. हालांकि, अर्जेंटीना का रक्षा बजट सीमित है जिसके कारण आधुनिकीकरण धीमा रहा है. हाल के वर्षों में, उन्होंने ड्रोन और साइबर युद्ध तकनीकों में निवेश शुरू किया है. भारत के साथ रक्षा सहयोग, विशेष रूप से स्वदेशी हथियार जैसे ब्रह्मोस मिसाइल, भविष्य में चर्चा का विषय हो सकता है.
ब्राजील: दक्षिण अमेरिका की सैन्य महाशक्ति
ब्राजील दक्षिण अमेरिका की सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है और इसकी सेना क्षेत्रीय प्रभाव बनाए रखने में सक्षम है. ब्राजील की सैन्य तकनीक में एडवांस हथियार शामिल हैं जैसे एम्ब्रेयर A-29 सुपर टूकानो लड़ाकू विमान, ASTROS II मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम और स्कॉर्पियन-क्लास पनडुब्बियां. ब्राजील ने हाल ही में परमाणु-संचालित पनडुब्बी कार्यक्रम शुरू किया है जो इसे क्षेत्रीय शक्ति के रूप में और मजबूत करेगा. भारत और ब्राजील के बीच रक्षा सहयोग पहले से मौजूद है, विशेष रूप से मिसाइल और विमानन तकनीक में. पीएम मोदी का दौरा इस सहयोग को और गहरा कर सकता है, खासकर स्वदेशी हथियारों जैसे आकाश मिसाइल और डी4 एंटी-ड्रोन सिस्टम के निर्यात के लिए.

नामीबिया: सीमित लेकिन रणनीतिक सैन्य क्षमता
नामीबिया की सैन्य शक्ति छोटी है, लेकिन यह क्षेत्रीय शांति मिशनों में सक्रिय है. नामीबिया डिफेंस फोर्स मुख्य रूप से हल्के हथियारों, जैसे असॉल्ट राइफल्स और बख्तरबंद कार्मिक वाहक (APCs), पर निर्भर है. उनके पास कुछ पुराने रूसी मूल के टैंक (T-55) और चीनी निर्मित नौसैनिक गश्ती जहाज हैं. नामीबिया ने हाल के वर्षों में ड्रोन और निगरानी उपकरणों में रुचि दिखाई है. भारत के साथ नामीबिया का परमाणु सहयोग उल्लेखनीय है और पीएम मोदी का दौरा रक्षा उपकरणों की आपूर्ति और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा दे सकता है.
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