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क्या तीसरी बार भी वैश्य समाज के चेहरे पर दांव लगाएगी भाजपा?पिछले दो चुनावों से भाजपा ने वैश्य समुदाय को ही टिकट दिया है और दोनों चुनाव जीते हैं. भाजपा की नजर एक ऐसे मजबूत वैश्य चेहरे पर, जो पंजाबी और जाट समाज में भी सेंध लगा सके.
गुरुग्राम. हरियाणा विधानसभा चुनाव का ऐलान होते ही सभी राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के नाम तय करने को लेकर मंथन में जुट गई हैं. राज्य में सत्ता में बने रहने की कवायद के तहत बीजेपी मजबूत चेहरों की तलाश में जुटी हुई है. पार्टी ने टिकटों को फाइनल करने से पहले हरियाणा के सभी जिलों की राजनीतिक स्थिति का आंकलन करना शुरू किया है. गुरुवार को प्रदेश अध्यक्ष पंडित मोहनलाल बडौली की अध्यक्षता में दो दिवसीय मैराथन बैठक भी हुई. इस मैराथन बैठक में सभी 90 सीटों पर पार्टी ने सबसे मजबूत उम्मीदवारों के नामों को लेकर गहन मंत्रणा की है. मंथन के साथ ही पार्टी की तरफ से कई स्तर पर सर्वे और फीडबैक लिए जा रहे हैं. खुद पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर भी कह चुके हैं, सबसे अच्छे उम्मीदवार चुने जाएंगे.
बडौली के साथ ही केंद्रीय मंत्री एवं हरियाणा विधानसभा चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी चुनाव सह प्रभारी बिप्लब कुमार देब ने इस बैठक में कई नामों को लेकर आपस में विचार किया. इनमें गुड़गांव सीट पर भी खासा फोकस रहा.
इस बार पार्टी के सामने सवाल ये है कि क्या तीसरी बार भी गुरुग्राम सीट पर वैश्य समाज के किसी चेहरे को प्राथमिकता दी जाए या पार्टी इस बार पंजाबी चेहरे पर दांव लगाए या फिर इस बार किसी अन्य जाति को भी मौका दिया जा सकता है. पार्टी के अंदर और बाहर इस समय यही चर्चा का विषय बना हुआ है कि गुरुग्राम की सीट किसके खाते में जाएगी.
गुरुग्राम की सीट पर पंजाबी मतदाता सबसे अधिक हैं, और दूसरे नंबर पर वैश्य समुदाय आता है. पिछले दो चुनावों से भाजपा ने वैश्य समुदाय को ही टिकट दिया है और दोनों चुनाव जीते हैं. इस बार भी भाजपा की नजर एक ऐसे मजबूत वैश्य चेहरे पर होगी, जो पंजाबी और जाट समाज में भी सेंध लगा सके.
वैश्य समुदाय से ही देखा जाए तो गुरुग्राम सीट से भाजपा के लिए टिकट के दावेदारों की लंबी सूची में नवीन गोयल भी शामिल हैं, जो मनोहर लाल खट्टर के वफादार और पार्टी के व्यापारी प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रभारी हैं. 2019 में खट्टर के सहयोगी के रूप में गोयल तब उभरे जब उन्हें 24 विधानसभा क्षेत्रों के लिए पार्टी की अभियान समिति में शामिल किया गया. व्यापारियों, उद्योगपतियों और बनिया समुदाय के बीच काफी लोकप्रिय होने के चलते, नवीन गोयल भी अपनी उम्मीदवारी का मजबूत दावा पेश कर रहे हैं.
गोयल भी कई मौकों पर कहते रहे हैं कि हालांकि भाजपा ने व्यापारियों के कल्याण के लिए बहुत कुछ किया है, फिर भी हमें मजबूत प्रतिनिधित्व की आवश्यकता महसूस होती है. राज्यभर के व्यापारियों के पास कई अनसुलझे मुद्दे हैं, खासकर जबरन वसूली का खतरा. मौजूदा सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है, लेकिन लगता है कि विधानसभा में व्यापारियों का मजबूत प्रतिनिधित्व करने के लिए गुरुग्राम से किसी के आने से भाजपा को काफी मदद मिलेगी.’ नवीन गोयल के पास गुरुग्राम के व्यापारी संघों का अच्छा खासा समर्थन भी है, लिहाजा उनकी ओर से भी पार्टी से गुरुग्राम से टिकट का अनुरोध किया गया है.
हालांकि देखा जाए तो गुड़गांव के मौजूदा विधायक सुधीर कुमार सिंगला वैश्य समाज से ही है, लेकिन कहा जा रहा है कि पार्टी किसी दूसरे नाम पर विचार कर रही है और खट्टर के करीबी और बिजनेस हब भी होने के चलते गुड़गांव के व्यापारियों में अच्छी पकड़ व वैश्य समाज के वोटरों को देखते ही दल की ओर से नवीन की मजबूत दावेदारी दिख रही है.
वहीं गुरुग्राम में पंजाबियों की संख्या भी ज्यादा होने के चलते यह सीट करीब एक दशक से ज्यादा वक्त से बीजेपी के पास रही है, क्योंकि ज्यादा पंजाबी वोटर बीजेपी के साथ ही रहा है. इसलिए यहां पंजाबी उम्मीदवार पर भी नजर है, जिसकी चर्चा बैठक में भी हुई है. इनमें बाबा धर्मदेव, यशपाल बत्रा, गार्गी कक्कड़ को भी दावेदार के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि स्वामी धर्मदेव का नाम भी सामने आ रहा है और कहा जा रहा है कि संभवत: उन्हें भी मैदान में उतरा जा सकता है.
वहीं, भाजपा ब्राह्मण चेहरे पर भी दांव लगा सकती है, क्योंकि जीएल शर्मा और मुकेश पहलवान सक्रिय रूप से टिकट के लिए प्रयास में लगे हुए हैं. लेकिन पिछले दस वर्षों का भाजपा का रिकॉर्ड देखें तो, पार्टी ने वैश्य समाज से ही उम्मीदवार चुना है और जीत दर्ज की है.
वहीं अगर कांग्रेस पार्टी की बात की जाए तो मोहित ग्रोवर को पार्टी में शामिल कराकर उसने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं. सुखबीर कटारिया भी ग्रोवर के साथ हैं. ग्रोवर ने 2019 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में 48 हजार से अधिक वोट हासिल कर अपनी उपस्थिति दर्ज की थी. ऐसे में भाजपा भी ग्रोवर के मुकाबले युवा, मजबूत और समाजसेवी छवि वाले उम्मीदवार पर ही दांव खेलेगी.
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